कानपुर : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में फैट ड्राइव्ड स्टेम सेल (शरीर की छोटी कोशिकाएं) विधि से अभी तक हजारों मरीजों का इलाज किया गया है. अब इस विषय पर आधारित शोध को पहली बार वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल गई है.
अप्रैल में लॉस एंजिल्स स्थित अमेरिकन कॉलेज आफ फिजिशियंस की अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में इस शोध पत्र को प्रस्तुत किया जाएगा. इस कांफ्रेंस के लिए दुनियाभर से 1000 शोध पत्रों को शामिल किया गया था। उनमें से टॉप-10 शोध पत्र में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की ओर से इंटर्न छात्र हिमांशु जिंदल शोध पत्र को प्रस्तुत करेंगे।
शोध पत्र टॉप 10 में शामिल
कॉलेज की इस उपलब्धि को लेकर प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि वैश्विक स्तर पर पहली बार मेडिकल कॉलेज के किसी शोध पत्र को इतना सराहा गया और टॉप-10 कैटेगरी में उसे शामिल किया गया है.
डॉ. संजय काला ने बताया, इंटर्न छात्र हिमांशु जिंदल ने अभी तक 35 शोध पत्र लिखे हैं। शहर के एलएलआर अस्पताल में सर्जरी, न्यूरो, नेत्र रोग समेत अन्य विभागों में फैट ड्राइव्ड स्टेम सेल के प्रयोग से मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
स्टेम सेल से डायबिटीज के मरीजों का इलाज
प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया, स्टेम सेल विधि के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में तीन सालों तक शोध कार्य किया गया. शोध कार्य के बाद मरीज के पेट की चर्बी से ही स्टेम सेल बनाए गए और नए अंगों को मरीजों में विकसित किया गया. इससे मरीजों को आराम मिला. धीरे-धीरे सभी विभागों में स्टेम सेल विधि से इलाज कराएंगे.
चयन के आधार के ये थे प्रमुख बिंदु:
- स्टेम सेल से इलाज के मामले में यह एडवांस स्टेज का शोध है.
- डायबिटीज के इलाज में भी स्टेल सेल का प्रयोग किया गया है.
- चीन और अमेरिका में यह अभी बहुत शुरुआती स्थिति में है.
- स्टेम सेल के फायदे से मरीजों को बहुत जल्दी आराम मिल जाता है.