वाराणसीः महिलाओं के सुहाग का पर्व हरितालिका तीज पर बनारस के बाजार पूजा में प्रयोग होने वाले सुहाग के सामानों से पटा पड़ा है. सुहागिन महिलाओं ने तीज की पूर्व संध्या पर अलग-अलग तरीके से सजे हुए पूजा के थाल खरीदीं. वहीं, गंगा के मिट्टी से बने शिव-पार्वती की मूर्तियां भी महिलाओं ने जमकर खरीदी.
बता दें कि धर्म की नगरी काशी में हर त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हरितालिका तीज पर जहां महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शाम को शिव पार्वती की पूजा करती हैं. इस व्रत के लिए खुद ही बाजारों में जाकर महिलाएं श्रृंगार और पूजन के सामान की खरीदारी की. महिलाओं का कहना है कि यह त्योहार हमारे सौभाग्य का त्योहार होता है, इसलिए हमें इसे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. हमारे इस त्योहार में व्रत का भी खासा महत्व होता है. उन्होंने बताया कि बाजारों में भी अलग-अलग तरीके के पूजन सामग्री उपलब्ध है. जिनका प्रयोग कर हम तीज की पूजा को संपन्न करते हैं .उन्होंने बताया कि कोविड गाइडलाइन का भी पालन करते हुए हरितालिका व्रत कर रही हैं.दुकानदार अमन ने बताया कि महादेव की नगरी में तीज पर महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती का व्रत करके और उनका पूजन करती हैं. ऐसी मान्यता है कि व्रत से उनके सुहाग की उम्र लंबी होती है. यही कारण है कि इस पूजा में कारीगर भी खासा साफ सफाई का ध्यान देते हैं. बाजारों में तरह-तरह का पूजन सामान शामिल होता है. लेकिन इस पूजा में गंगा की मिट्टी से बने शिव-पार्वती की प्रतिमा का ज्यादा महत्व होता है. यही वजह है कि इसकी बाजारों में ज्यादा मांग होती है. हालांकि इस बार कोरोना का असर भी दिख रहा है. यही वजह है कि इस बार मूर्तियों की खरीदारी थोड़ी कम हो रही है.
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वहीं, वाराणासी व्यापार मंडल के बैनर तले महिलाओं ने हरियाली तीज की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम का आयोजन किया. जहां एक ओर पारंपरिक तरीके से सोलहों श्रृंगार कर महिलाएं तैयार हुई तो वही दूसरी ओर नृत्य-संगीत कर धूमधाम से हरियाली तीज का त्योहार मनाया. महिलाओं का कहना है कि करवा चौथ व तीज ही होता है, जब हम सोलह श्रृंगार अपने पति के लिए करती हैं. हरियाली तीज हमारे लिए एक खास तोहफे की तरह होता है. इसके जरिए हम अपने और पति के रिश्ते में मधुरता को और बढ़ाते हैं. साथ ही उनके दीर्घायु होने की कामना करते हैं.