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'सैयां मिलें लरकइया' व अन्य लोकगीतों पर थिरकीं महिलाएं, यूं मनाया गया कजरी तीज उत्सव

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Published : Aug 25, 2021, 10:10 AM IST

Updated : Aug 25, 2021, 12:42 PM IST

यूपी के वाराणसी में महिलाओं ने लोकगीतों और नृत्य कर कजरी तीज (kajari teej) का त्योहार मनाया. लोकगीतों पर महिलाएं जमकर थिरकीं. काशी में कुछ खास अंदाज में कजरी तीज (kajari teej) का त्योहार मनाया गया.

वाराणसी में खास अंदाज में मनाया गया कजरी तीज का त्योहार.
वाराणसी में खास अंदाज में मनाया गया कजरी तीज का त्योहार.

वाराणसी: भाद्र मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (kajri teej) का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस पूजा को कजरी तीज (kajri teej), बूढ़ी तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. खास बात यह है कि इस दिन महिलाएं व्रत रखने के साथ-साथ पूरी रात कजरी लोकगीत गाकर इस परंपरा को सहेजती हैं. आइए जानते हैं आखिर क्या है कजरी तीज (kajri teej) व महिलाएं कजरी उत्सव (kajri festival) को कैसे मनाती है.

वाराणसी में खास अंदाज में मनाया गया कजरी तीज का त्योहार.
सनातन धर्म की मानें तो भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (kajri teej) मनाई जाती है. इस वर्ष तीज 25 अगस्त को मनाया जा रहा है. इस दिन जहां सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने की कामना के साथ निर्जल व्रत रखती हैं, तो ही कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर प्राप्ति के लिए मां पार्वती व महादेव की पूजा करती है. खास बात यह है कि महिलाएं कजरी तीज (kajri teej) पर लोकप्रिय कजरी गीत गाकर अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करती हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में कजरी तीज व्रती (kajri teej) महिलाओं ने बताया कि कजरी का त्यौहार उनके लिए आपसी संबंधों को और मधुर बनाने का एक माध्यम हैं. इस दिन वह सोलह श्रृंगार करती हैं. महिलाओं ने कहा कि साल में बहुत कम ऐसे मौके होते हैं, जब वो सोलह श्रृंगार कर अपने पति के साथ त्योहार मनाती हैं. कजरी तीज (kajri teej) भी इन्हीं त्योहारों में से एक है. उन्होंने बताया कि भले ही वर्तमान समय में हम आधुनिकता के दौर में रह रहे हो, लेकिन आज भी पूर्वांचल खासकर बनारस में यह परंपरा देखने को मिलती है, जो इसे और भी खास बनाती हैं.


बता दें कि कजरी गीत (kajri songs) मुख्य तौर पर अर्थशास्त्री गीत हैं, जिसे पूर्वांचल में तिराई क्षेत्र के किनारे रहने वाले क्षेत्रों में महिलाएं कजरी तीज (kajri teej) के दिन पूरी रात जाती हैं और रतजगा कर इस त्योहार को मनाते हैं. महिलाओं ने बताया कि कजरी में जो गीत गाया जाता है, उसके कुछ आपने अलग मायने होते हैं. इन गीतों के माध्यम से पति-पत्नी, देवर-भाभी के संबंधों के प्रति प्रेम व सम्मान को दर्शाया जाता है. आज के समय के भी इन गीतों के माध्यम से रिश्तों के बीच के तनाव को कम किया जाता है.

बता दें कि कजरी तीज पर महिलाएं सुबह स्नान करके संकल्प के साथ अपने व्रत की शुरुआत करती हैं. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं. महिलाएं हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, चूड़ी, लाल चुनरी माता पार्वती को अर्पित करती हैं और भोग में सत्तू और मालपुआ चढ़ाती हैं. इसके साथ ही रात में भगवान चन्द्रमा को अर्घ देकर अपने व्रत का पारण करती हैं.

इसे भी पढ़ें- Kajari Teej 2021: धृति योग में महिलाएं रखेंगी कजरी तीज का व्रत, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

वाराणसी: भाद्र मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (kajri teej) का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस पूजा को कजरी तीज (kajri teej), बूढ़ी तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. खास बात यह है कि इस दिन महिलाएं व्रत रखने के साथ-साथ पूरी रात कजरी लोकगीत गाकर इस परंपरा को सहेजती हैं. आइए जानते हैं आखिर क्या है कजरी तीज (kajri teej) व महिलाएं कजरी उत्सव (kajri festival) को कैसे मनाती है.

वाराणसी में खास अंदाज में मनाया गया कजरी तीज का त्योहार.
सनातन धर्म की मानें तो भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (kajri teej) मनाई जाती है. इस वर्ष तीज 25 अगस्त को मनाया जा रहा है. इस दिन जहां सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने की कामना के साथ निर्जल व्रत रखती हैं, तो ही कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर प्राप्ति के लिए मां पार्वती व महादेव की पूजा करती है. खास बात यह है कि महिलाएं कजरी तीज (kajri teej) पर लोकप्रिय कजरी गीत गाकर अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करती हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में कजरी तीज व्रती (kajri teej) महिलाओं ने बताया कि कजरी का त्यौहार उनके लिए आपसी संबंधों को और मधुर बनाने का एक माध्यम हैं. इस दिन वह सोलह श्रृंगार करती हैं. महिलाओं ने कहा कि साल में बहुत कम ऐसे मौके होते हैं, जब वो सोलह श्रृंगार कर अपने पति के साथ त्योहार मनाती हैं. कजरी तीज (kajri teej) भी इन्हीं त्योहारों में से एक है. उन्होंने बताया कि भले ही वर्तमान समय में हम आधुनिकता के दौर में रह रहे हो, लेकिन आज भी पूर्वांचल खासकर बनारस में यह परंपरा देखने को मिलती है, जो इसे और भी खास बनाती हैं.


बता दें कि कजरी गीत (kajri songs) मुख्य तौर पर अर्थशास्त्री गीत हैं, जिसे पूर्वांचल में तिराई क्षेत्र के किनारे रहने वाले क्षेत्रों में महिलाएं कजरी तीज (kajri teej) के दिन पूरी रात जाती हैं और रतजगा कर इस त्योहार को मनाते हैं. महिलाओं ने बताया कि कजरी में जो गीत गाया जाता है, उसके कुछ आपने अलग मायने होते हैं. इन गीतों के माध्यम से पति-पत्नी, देवर-भाभी के संबंधों के प्रति प्रेम व सम्मान को दर्शाया जाता है. आज के समय के भी इन गीतों के माध्यम से रिश्तों के बीच के तनाव को कम किया जाता है.

बता दें कि कजरी तीज पर महिलाएं सुबह स्नान करके संकल्प के साथ अपने व्रत की शुरुआत करती हैं. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं. महिलाएं हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, चूड़ी, लाल चुनरी माता पार्वती को अर्पित करती हैं और भोग में सत्तू और मालपुआ चढ़ाती हैं. इसके साथ ही रात में भगवान चन्द्रमा को अर्घ देकर अपने व्रत का पारण करती हैं.

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Last Updated : Aug 25, 2021, 12:42 PM IST
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