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मणिकर्णिका घाट पर लग रही 'मोक्ष के लिए वेटिंग'

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां स्थित मणिकर्णिका घाट पर प्रतिदिन लोग मोक्ष की चाह में शवों को लेकर आते हैं. वहीं यहां के सभी प्लेटफार्म पानी में डूब चुके हैं. ऐसे में जहां एक बार में 10 शवों का ही दाह संस्कार किया जा सकता है, वहां एक बार में 25 से 30 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. इस वजह से यहां पर मोक्ष पाने के लिए जबरदस्त वेटिंग है.

मोक्ष के लिए वेटिंग
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Published : Aug 20, 2019, 10:20 AM IST

Updated : Aug 20, 2019, 11:06 AM IST

वाराणसी: पहाड़ों पर हो रही बारिश की वजह से काशी में गंगा खतरे के निशान तक पहुंचने वाली है. केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो मंगलवार सुबह 6 बजे तक गंगा का जलस्तर 69.60 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से महज 1.66 मीटर दूर है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा समस्या शवों का दाह संस्कार के लिए आने वाले लोगों को हो रही है. महाश्मशान मणिकर्णिका घाट के नीचे का पूरा इलाका डूब चुका है.

मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार के लिए लग रही है लम्बी लाइन.

दरअसल महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर वाराणसी और आसपास के जिलों के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में शवों को दाह संस्कार के लिए लाया जाता है. यहां जिस प्लेटफार्म पर दाह संस्कार किया जाता है, वह इन दिनों पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ है. गंगा बनारस की गलियों में घुस चुकी है और पूरा इलाके में हालात खराब हैं. इस वजह से अब छतों के ऊपर शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. यहां भी सिर्फ 10 शवों को ही एक बार में जलाया जा सकता है, जिसके कारण आसपास के खाली स्थान पर लोग शवों को रखकर दाह संस्कार के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- काशी नगरी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से गलियों में हो रहा शवों का अंतिम संस्कार

शवों को जलाने के लिए 5 से 6 घंटे का वक्त लग रहा है, जिसके बाद दाह संस्कार की जगह मिल पा रही है. एक तरफ जहां शवों के दाह संस्कार और इन्हें मुक्ति दिलाने की चाह में यहां आए लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं मणिकर्णिका तीर्थ पर धर्म-कर्म का कार्य भी पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. यहां के हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं और मणिकर्णिका तीर्थ पर मौजूद सभी मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं. गंगा अब बनारस की गलियों में घुस चुकी है, जो लोगों को डराने का भी काम कर रही है.

वाराणसी: पहाड़ों पर हो रही बारिश की वजह से काशी में गंगा खतरे के निशान तक पहुंचने वाली है. केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो मंगलवार सुबह 6 बजे तक गंगा का जलस्तर 69.60 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से महज 1.66 मीटर दूर है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा समस्या शवों का दाह संस्कार के लिए आने वाले लोगों को हो रही है. महाश्मशान मणिकर्णिका घाट के नीचे का पूरा इलाका डूब चुका है.

मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार के लिए लग रही है लम्बी लाइन.

दरअसल महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर वाराणसी और आसपास के जिलों के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में शवों को दाह संस्कार के लिए लाया जाता है. यहां जिस प्लेटफार्म पर दाह संस्कार किया जाता है, वह इन दिनों पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ है. गंगा बनारस की गलियों में घुस चुकी है और पूरा इलाके में हालात खराब हैं. इस वजह से अब छतों के ऊपर शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. यहां भी सिर्फ 10 शवों को ही एक बार में जलाया जा सकता है, जिसके कारण आसपास के खाली स्थान पर लोग शवों को रखकर दाह संस्कार के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- काशी नगरी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से गलियों में हो रहा शवों का अंतिम संस्कार

शवों को जलाने के लिए 5 से 6 घंटे का वक्त लग रहा है, जिसके बाद दाह संस्कार की जगह मिल पा रही है. एक तरफ जहां शवों के दाह संस्कार और इन्हें मुक्ति दिलाने की चाह में यहां आए लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं मणिकर्णिका तीर्थ पर धर्म-कर्म का कार्य भी पूरी तरह से प्रभावित हो गया है. यहां के हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं और मणिकर्णिका तीर्थ पर मौजूद सभी मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं. गंगा अब बनारस की गलियों में घुस चुकी है, जो लोगों को डराने का भी काम कर रही है.

Intro:स्पेशल:

वाराणसी: पहाड़ों पर हो रही बारिश की वजह से धर्मनगरी वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से महज डेढ़ मीटर दूर रह गई है केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो आज सुबह 6:00 बजे तक गंगा का जलस्तर 69.60 मीटर दर्ज किया गया है जो खतरे के निशान से महज 1.66 मीटर दूर है. वाराणसी में खतरे का निशान 71.26 मीटर है. गंगा के इतनी तेजी से बढ़ने की वजह से दिक्कतें तो बहुत सी है लेकिन सबसे ज्यादा समस्या काशी में मुक्ति दिलाने की खातिर अपनों की मृत्यु के बाद उनके दाह संस्कार के लिए लाशें लेकर आने वाले लोगों को उठानी पड़ रही है. महा शमशान मणिकर्णिका घाट पर हालात यह हैं कि नीचे का पूरा इलाका पूरी तरह से गंगा के पानी में डूब चुका है सिर्फ एक प्लेटफार्म बचा है जहां पर एक बार में 10 शवों का ही दाह संस्कार किया जा सकता है, जबकि यहां पर आने वाले शवों की संख्या एक बार में 25 से 30 होती है. जिसकी वजह से यहां पर मोक्ष पाने के लिए जबरदस्त वेटिंग है.


Body:वीओ-01 दरअसल महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर सिर्फ वाराणसी आसपास के जिलों से ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में डेड बॉडीज को दाह संस्कार के लिए लेकर आया जाता है. बिहार मध्य प्रदेश और अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग अपनों का दाह संस्कार करने यहां आते हैं लेकिन जिस मेन प्लेटफार्म पर दाह संस्कार होते हैं वह इन दिनों पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ है गंगा गलियों में घुस चुकी हैं और पूरा इलाका पूरी तरह से डिस्टर्ब है हालात यह हैं कि ऊपर छत पर जहां शवों का दाह संस्कार किया जा रहा वहां सिर्फ 10 लाशों को ही एक बार में जलाया जा सकता है जिसके कारण आसपास के खाली स्थान पर लो लाशों को रखकर दाह संस्कार के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं 11 क्लास को जलाने के लिए 5 से 6 घंटे का वक्त लग रहा है तब जाकर दाह संस्कार की जगह मिल पा रही है.

बाईट- मुकेश द्विवेदी, नेपाली तीर्थ पुरोहित
बाईट- दीपक पांडेय, शव यात्री


Conclusion:वीओ-02 एक तरफ जहां शवों के दाह संस्कार और इन्हें मुक्ति दिलाने की चाह में शव लेकर आए लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वहीं गंगा के गलियों में प्रवेश करने आने के बाद मणिकर्णिका तीर्थ पर धर्म-कर्म का कार्य भी पूरी तरह से प्रभावित हो गया है नीचे होने वाले शब्द कर्म व अन्य धार्मिक कृत्यों को अब गलियों में या फिर छतों पर संपन्न कराया जा रहा है हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं और मणिकर्णिका तीर्थ पर मौजूद सभी मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं गंगा अब गली में घुस चुकी है जो लोगों को डराने का भी काम कर रही है.

बाईट- रूपेश कुमार शास्त्री, तीर्थ पुरोहित, मणिकर्णिका


गोपाल मिश्र

9839809074
Last Updated : Aug 20, 2019, 11:06 AM IST
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