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Ayurveda के इन उपायों से जिएंगे 100 साल, नहीं करनी पड़ेगी सेहत की चिंता - आयुर्वेद से गंभीर बीमारियों का इलाज

भागदौड़ भरी जीवनशैली के बीच सबसे (Ayurveda) बड़ी चुनौती है, चुस्त और दुरुस्त और फिट दिखना. आप सरल घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खों से फिट रह सकते हैं. पेश है वैद्य राकेश शर्मा से खास बातचीत के अंश.

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Published : Mar 16, 2023, 2:55 PM IST

Ayurveda के इन उपायों से जिएंगे 100 साल, नहीं करनी पड़ेगी सेहत की चिंता.

मेरठ : आयुर्वेद पर देश दुनिया के लोग अब अधिक भरोसा कर रहे हैं. सरकार भी इस तरफ ध्यान दे रही है. इस पद्धति की सबसे बड़ी बात यह है कि किसी तरह के दुष्प्रभाव भी नहीं घेरते. ईटीवी भारत ने जड़ी बूटी विशेषज्ञ राकेश शर्मा से बात की. राकेश शर्मा भारतीय चिकित्सा प्रणाली ( एथिक्स और रजिस्ट्रेशन) के अध्यक्ष हैं जो एक कार्यक्रम में मेरठ पहुंचे थे. राकेश शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेद में आहार निद्रा और ब्रह्मचर्य तीन उपस्तम्भ बताए गए हैं. जो व्यक्ति अच्छा और सम्यक आहार के साथ सम्यक निद्रा लेता है और ब्रह्मचर्य का आचरण करता है (यहां ब्रह्मचर्य का आचरण से तात्पर्य अनुशासित जीवन शैली से है) ऐसे व्यक्ति 100 साल तक सुखद जीवन जी सकते हैं.

वैद्य राकेश शर्मा के अनुसार आयुर्वेद में आहार के बारे में बताया गया है कि जितनी मात्रा की भोजन की आवश्यकता हो उतना ही भोजन ग्रहण करना चाहिए. अतिरिक्त भोजन नहीं करना चाहिए. बेवजह किसी भी चीज को अन्यथा न खाएं. प्राचीन काल में सिर्फ दो समय ही भोजन ग्रहण का नियम था. एक प्रातःकाल और दूसरा सांयकाल. ऐसी ही विधा को पुन भारत में शुरू करना चाहिए. इससे हम निरोगी जीवन जी सकते हैं. अक्सर लोगों के मन में आता है कि हम क्या खाएं क्या न खाएं. इसके लिए जरूरी है कि हम जिस भी राज्य प्रान्त में रहते हैं या जिस भी स्थान या देश में रहते हैं तो वहां की जो भी शाक-सब्जियां हैं, उन्हें ज्यादातर लेना चाहिए. अक्सर देखा जाता है कि हमारी माताओं और बहनों और बच्चियों में खून की कमी हो जाती है. ऐसे में उन्हें खासतौर से हरी सब्जियों का सेवन सबसे ज्यादा करना चाहिए. जैसे पालक का साग, बथुआ का साग, मेथी के पत्तों का साग, मूली के पत्तों का साग, यानी जो भी सीजनल हो, वह लें रक्त अल्पता नहीं होगी.

गंभीर बीमारियों से बचाता है मोटा आनाज : मूंग की दाल, मोंठ की दाल, मसूर की दाल का सेवन आहार में जरूर शामिल करें. दालों के अंदर जितना अधिक रस प्रमान्य होगा. वह उतना ही लाभकारी रहेगा. मिलेटस से बनी रोटी का सेवन बेहद ही गुणकारी है. ज्वार, बाजरा और जौ की रोटी खाना शुरू करें. इससे मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसी बीमारियों से हम बच सकते हैं. इसके अलावा तनावमुक्त रहने के लिए कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद लेनी बेहद ही आवश्यक है. फास्ट लाइफ स्टाइल नींद में बाधा बन रही है जो मानसिक और शारीरिक बीमारियों का कारण है. इसके अलावा ह्रदय रोग समेत कई लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर वाली बीमारियां घेर लेती हैं.


उपयोगी है देशी गाय का घी : आंख में देशी गाय का घी डालना चाहिए और नाक में सरसों का तेल या अणु तेल लगाना चाहिए. इससे बाल काले रहते हैं. बाल जल्दी जल्दी गिरते भी नहीं हैं. अणु तेल आयुर्वेद का क्लासिकल फार्मूला है. चरक संहिता में लिखा गया है. इसके नियमित सेवन से साइनोसाइट्स से बचाव होगा बाल नहीं गिरेंगे. आंखें अच्छी रहेंगी मस्तिष्क में तनाव भी नहीं रहेगा. कभी कभी कान में भी कोई तेल डाला जा सकता है. सिर पर तेल जरूर लगाएं, आज कल कर बच्चे सिर पर तेल नहीं लगाते. जिसकी वजह से डैंड्रफ होती है और डैंड्रफ की वजह से बहुत सारी बीमारियां होती हैं. डैंड्रफ का कोई इलाज भी नहीं है. कंघी करने से वह निकल जाती है और वह बार बार बनती रहती है. इस ओर बेहद ही ध्यान देने की आवश्यकता होती है.

आंखों की रोशनी बरकरार रखने का अचूक तरीका : त्रिफला के चूर्ण के पानी से आंखों के नियमित धोने से नेत्र विकार से बचा जा सकता है. त्रिफला युक्त पानी को छानकर आंखों को धोने में उपयोग में लिया जा सकता है. ऐसा करने से चमत्कारी परिणाम मिलता है. त्रिफलाघृत और सप्तामृत लौह भी आंखों के लिए सेवन कर सकते हैं. ध्यान रहे किसी योग्य वैध से मात्रा के विषय में परामर्श जरूरी है. ऐसे ही घी कितना खाना है उसके लिए भी सलाह जरूरी होती है. त्रिफला पानी से आंखों को धोकर देशी घी आंखों में रात्रि में सोते समय डालने से आंखों में आने वाली कमजोरी या वर्तमान में जो भी कमजोरी है उससे बचा जा सकता है.

गोमूत्र बेहद कारगर : आयुर्वेद में पंचगव्य का अति महत्व है. गोमूत्र पीने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन कौन सा गोमूत्र है जिसका सेवन किया जाना चाहिए यह जानना बेहद ही जरूरी है. दूध दुहने के वक्त जो गाय मूत्र विसर्जन क़रती है, उस गोमूत्र का सेवन उपयोगी होता है. उसमें भी यह ध्यान देने योग्य है कि एक तो वह देशी गाय हो दूसरा वह ब्याई हुई हो. ऐसे मूत्र को पीने से मोटापा कम होता है. ब्लडप्रेशर ठीक होगा. शरीर का अगर कोई चैनल अवरोधित है तो उन अवरोधों को दूर करेगा. शरीर के अंदर जितने भी वेस्ट प्रोडक्ट हैं उसको यह गोमूत्र बाहर निकाल देगा.

ऐसे बढ़ा सकते हैं याददाश्त : गिलोय वटी आंखों के लिए तो फायदेमंद है. तनाव से मुक्त रखती है, बुद्धि भी बढ़ाने का काम करती है. यह आसानी से उपलब्ध भी है. इसका रस आराम से निकालकर पिया जा सकता है. जिन बच्चों को याददाश्त नहीं रहती, वह प्राणायाम करें. प्राणायाम से जो प्राण वायु है उसका संचरन पूरे मस्तिष्क से लेकर पूरे शरीर में हो जाएगा. जिससे हर कैप्लरी को ऑक्सीजन मिलेगी जिससे धीरे धीरे याददाश्त बढ़ने लग जाएगी. अगर नींद अच्छी लेंगे तो भी याददाश्त अच्छी होती है. ऐसा करने से याददाश्त खोने से बचा जा सकेगा. याददाश्त बढ़ाने के लिए आंवला रसायन, ब्रह्म रसायन, च्यवनप्राश, ब्राह्मी वटी, स्मृतिसागर रस आदि का सेवन कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें : वृंदावन में भ्रमण पर निकले भगवान रंगनाथ और माता गोदा, 52 फीट ऊंचे चंदन के रथ में निकली यात्रा

Ayurveda के इन उपायों से जिएंगे 100 साल, नहीं करनी पड़ेगी सेहत की चिंता.

मेरठ : आयुर्वेद पर देश दुनिया के लोग अब अधिक भरोसा कर रहे हैं. सरकार भी इस तरफ ध्यान दे रही है. इस पद्धति की सबसे बड़ी बात यह है कि किसी तरह के दुष्प्रभाव भी नहीं घेरते. ईटीवी भारत ने जड़ी बूटी विशेषज्ञ राकेश शर्मा से बात की. राकेश शर्मा भारतीय चिकित्सा प्रणाली ( एथिक्स और रजिस्ट्रेशन) के अध्यक्ष हैं जो एक कार्यक्रम में मेरठ पहुंचे थे. राकेश शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेद में आहार निद्रा और ब्रह्मचर्य तीन उपस्तम्भ बताए गए हैं. जो व्यक्ति अच्छा और सम्यक आहार के साथ सम्यक निद्रा लेता है और ब्रह्मचर्य का आचरण करता है (यहां ब्रह्मचर्य का आचरण से तात्पर्य अनुशासित जीवन शैली से है) ऐसे व्यक्ति 100 साल तक सुखद जीवन जी सकते हैं.

वैद्य राकेश शर्मा के अनुसार आयुर्वेद में आहार के बारे में बताया गया है कि जितनी मात्रा की भोजन की आवश्यकता हो उतना ही भोजन ग्रहण करना चाहिए. अतिरिक्त भोजन नहीं करना चाहिए. बेवजह किसी भी चीज को अन्यथा न खाएं. प्राचीन काल में सिर्फ दो समय ही भोजन ग्रहण का नियम था. एक प्रातःकाल और दूसरा सांयकाल. ऐसी ही विधा को पुन भारत में शुरू करना चाहिए. इससे हम निरोगी जीवन जी सकते हैं. अक्सर लोगों के मन में आता है कि हम क्या खाएं क्या न खाएं. इसके लिए जरूरी है कि हम जिस भी राज्य प्रान्त में रहते हैं या जिस भी स्थान या देश में रहते हैं तो वहां की जो भी शाक-सब्जियां हैं, उन्हें ज्यादातर लेना चाहिए. अक्सर देखा जाता है कि हमारी माताओं और बहनों और बच्चियों में खून की कमी हो जाती है. ऐसे में उन्हें खासतौर से हरी सब्जियों का सेवन सबसे ज्यादा करना चाहिए. जैसे पालक का साग, बथुआ का साग, मेथी के पत्तों का साग, मूली के पत्तों का साग, यानी जो भी सीजनल हो, वह लें रक्त अल्पता नहीं होगी.

गंभीर बीमारियों से बचाता है मोटा आनाज : मूंग की दाल, मोंठ की दाल, मसूर की दाल का सेवन आहार में जरूर शामिल करें. दालों के अंदर जितना अधिक रस प्रमान्य होगा. वह उतना ही लाभकारी रहेगा. मिलेटस से बनी रोटी का सेवन बेहद ही गुणकारी है. ज्वार, बाजरा और जौ की रोटी खाना शुरू करें. इससे मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसी बीमारियों से हम बच सकते हैं. इसके अलावा तनावमुक्त रहने के लिए कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद लेनी बेहद ही आवश्यक है. फास्ट लाइफ स्टाइल नींद में बाधा बन रही है जो मानसिक और शारीरिक बीमारियों का कारण है. इसके अलावा ह्रदय रोग समेत कई लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर वाली बीमारियां घेर लेती हैं.


उपयोगी है देशी गाय का घी : आंख में देशी गाय का घी डालना चाहिए और नाक में सरसों का तेल या अणु तेल लगाना चाहिए. इससे बाल काले रहते हैं. बाल जल्दी जल्दी गिरते भी नहीं हैं. अणु तेल आयुर्वेद का क्लासिकल फार्मूला है. चरक संहिता में लिखा गया है. इसके नियमित सेवन से साइनोसाइट्स से बचाव होगा बाल नहीं गिरेंगे. आंखें अच्छी रहेंगी मस्तिष्क में तनाव भी नहीं रहेगा. कभी कभी कान में भी कोई तेल डाला जा सकता है. सिर पर तेल जरूर लगाएं, आज कल कर बच्चे सिर पर तेल नहीं लगाते. जिसकी वजह से डैंड्रफ होती है और डैंड्रफ की वजह से बहुत सारी बीमारियां होती हैं. डैंड्रफ का कोई इलाज भी नहीं है. कंघी करने से वह निकल जाती है और वह बार बार बनती रहती है. इस ओर बेहद ही ध्यान देने की आवश्यकता होती है.

आंखों की रोशनी बरकरार रखने का अचूक तरीका : त्रिफला के चूर्ण के पानी से आंखों के नियमित धोने से नेत्र विकार से बचा जा सकता है. त्रिफला युक्त पानी को छानकर आंखों को धोने में उपयोग में लिया जा सकता है. ऐसा करने से चमत्कारी परिणाम मिलता है. त्रिफलाघृत और सप्तामृत लौह भी आंखों के लिए सेवन कर सकते हैं. ध्यान रहे किसी योग्य वैध से मात्रा के विषय में परामर्श जरूरी है. ऐसे ही घी कितना खाना है उसके लिए भी सलाह जरूरी होती है. त्रिफला पानी से आंखों को धोकर देशी घी आंखों में रात्रि में सोते समय डालने से आंखों में आने वाली कमजोरी या वर्तमान में जो भी कमजोरी है उससे बचा जा सकता है.

गोमूत्र बेहद कारगर : आयुर्वेद में पंचगव्य का अति महत्व है. गोमूत्र पीने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन कौन सा गोमूत्र है जिसका सेवन किया जाना चाहिए यह जानना बेहद ही जरूरी है. दूध दुहने के वक्त जो गाय मूत्र विसर्जन क़रती है, उस गोमूत्र का सेवन उपयोगी होता है. उसमें भी यह ध्यान देने योग्य है कि एक तो वह देशी गाय हो दूसरा वह ब्याई हुई हो. ऐसे मूत्र को पीने से मोटापा कम होता है. ब्लडप्रेशर ठीक होगा. शरीर का अगर कोई चैनल अवरोधित है तो उन अवरोधों को दूर करेगा. शरीर के अंदर जितने भी वेस्ट प्रोडक्ट हैं उसको यह गोमूत्र बाहर निकाल देगा.

ऐसे बढ़ा सकते हैं याददाश्त : गिलोय वटी आंखों के लिए तो फायदेमंद है. तनाव से मुक्त रखती है, बुद्धि भी बढ़ाने का काम करती है. यह आसानी से उपलब्ध भी है. इसका रस आराम से निकालकर पिया जा सकता है. जिन बच्चों को याददाश्त नहीं रहती, वह प्राणायाम करें. प्राणायाम से जो प्राण वायु है उसका संचरन पूरे मस्तिष्क से लेकर पूरे शरीर में हो जाएगा. जिससे हर कैप्लरी को ऑक्सीजन मिलेगी जिससे धीरे धीरे याददाश्त बढ़ने लग जाएगी. अगर नींद अच्छी लेंगे तो भी याददाश्त अच्छी होती है. ऐसा करने से याददाश्त खोने से बचा जा सकेगा. याददाश्त बढ़ाने के लिए आंवला रसायन, ब्रह्म रसायन, च्यवनप्राश, ब्राह्मी वटी, स्मृतिसागर रस आदि का सेवन कर सकते हैं.

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