वाराणसी : अयोध्या श्रीराम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (87) के निधन का समाचार मिलने के बाद संत समाज में भी शोक है. संत समाज अपने-अपने तरीके से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. वाराणसी में जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि महाराज और अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने भी शोक व्यक्त किया है. संतों ने प्रभु श्री राम से संत शिरोमणि को अपने चरणों में स्थान देने की प्रार्थना की है.
वाराणसी में महाकुंभ से पहुंचे जूना अखाड़े के संत और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि महाराज ने कहा कि संतों का जाना बेहद दुखद है. यह संसार है, मृत्यु लोक है, यहां से सभी को जाना है. उन्होंने शरीर छोड़ा है, यह नई प्रक्रिया नहीं है. हम लोग मृत्यु में हैं, क्योंकि हम साधु संत बनने के बाद हम सभी मृत्यु से परे होते हैं जब भी हमारा समय आएगा तो हमें जाना होगा. सत्येंद्र दास जी बहुत अच्छे संत थे, राम मंदिर में पुजारी थे, उनको लाखों लोग फॉलो करते थे. हम सभी को दुख है, लेकिन दुख के साथ-साथ हम भगवान से उनको अपने चरणों में श्री स्थान देने की आराधना करते हैं. ऐसे संतों का स्थान पूर्ति करना बेहद कठिन है. इसलिए मैं प्रभु से मांगता हूं कि ऐसे संतों का फिर से प्राकट्य होना चाहिए.
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद भगवान राम के पूजा पाठ और उनकी देखरेख की जिम्मेदारी सत्येंद्र दास जी ने संभाली थी. उन्होंने 34 साल अनवरत रामलाल की सेवा की. उन्होंने अपना शरीर छोड़ा है. यह बेहद दुखद है, लेकिन नश्वर संसार प्रभु की गति है.