अलीगढ़ : सरकारी रिकॉर्ड में खुद को जिंदा साबित करने के लिए एक बुजुर्ग आठ महीने से चक्कर काट रहा है. मामला अलीगढ़ के अतरौली तहसील का है, जहां सत्यापन प्रक्रिया में हुई एक गलती ने बुजुर्ग की वृद्धावस्था पेंशन रोक दी, जिससे वे आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं.
अतरौली के कासिमपुर गदाईपुर के रहने वाले भगवंत सिंह को वर्ष 2021 से वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी, लेकिन जून 2024 से अचानक उनकी पेंशन बंद हो गई. जब उन्होंने ऑनलाइन पेंशन स्टेटस चेक किया, तो पता चला कि सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है. यह गलती तब हुई जब गांव में पेंशन सत्यापन के लिए पहुंचे सरकारी कर्मियों ने गलत तरीके से उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी.
जीवित प्रमाण पत्र लेकर भटक रहे: इसके बाद भगवंत सिंह ने ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव को मामले की जानकारी दी. दोनों ने उन्हें सलाह दी कि वे जीवित प्रमाण पत्र बनवाकर विकास भवन में जमा करें, ताकि उनकी पेंशन फिर से शुरू हो सके. लेकिन आठ महीने बाद भी सरकारी रिकॉर्ड में वह अभी तक 'मृत' ही हैं.
भगवंत सिंह अब लगातार तहसील, ब्लॉक और विकास भवन के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा. हाल ही में उन्होंने फिर से एसडीएम अतरौली को शिकायत पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने अपनी पेंशन बहाल करने की गुहार लगाई है.
वीडीओ बोले- जांच की जा रही: वीडीओ वेद प्रकाश ने कहा कि मामाल संज्ञान में आया है और इसकी जांच की जा रही है. हालांकि, अभी तक प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. यह मामला फिल्म 'कागज' के वास्तविक घटनाक्रम से मेल खाता है, जिसमें एक जीवित व्यक्ति को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया था और उसे खुद को जिंदा साबित करने में वर्षों लग गए थे।
भगवंत सिंह की स्थिति भी कुछ ऐसी ही हो गई है। भगवंत सिंह की मांग है कि जल्द से जल्द उनकी पेंशन बहाल की जाए और सरकारी रिकॉर्ड में उनकी 'मृत्यु' की एंट्री को हटाया जाए.
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