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आंदोलन से दूर खेतों में पसीना बहा रहे किसान, लोकल से हुए इंटरनेशनल - export of vegetables

नए कृषि कानूनों को वापस लेने का एक तरफ किसान विरोध कर रहे हैं. वहीं वाराणसी में सब्जी उगाने वाले किसान इन दिनों मोटा मुनाफा कमाने में जुटे हैं. काशी के किसान अपनी सब्जियों को विदेशों में भी बेंच रहे हैं.

varanasi
विदेशों में सब्जी का एक्सपोर्ट
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Published : Jan 21, 2021, 6:22 PM IST

वाराणसी: देश के अधिकांश हिस्सों में इन दिनों किसान अशांत है. दिल्ली बॉर्डर पर महीनों से किसान धरने पर बैठे हैं. यहां नए किसान कानून को वापस लिए जाने की मांग की जा रही है. भविष्य में खेती से मुनाफे के खातिर खेतों को छोड़ किसान सड़कों पर डटे हैं. लेकिन इन सब से विपरीत, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के किसान न इस आंदोलन से सरोकार रखते हैं और न ही खेत छोड़कर कहीं जाने को तैयार है. इसकी बड़ी वजह यह है, कि वाराणसी में सब्जी उगाने वाले किसान इन दिनों अपनी सब्जियों को इंटरनेशनल लेवल पर बेंचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. आमतौर पर लोकल सब्जी मंडियों में सब्जी बेंचकर किसान मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह बिचौलिए भी हैं. लेकिन इस नुकसान की भरपाई अब यह किसान खाड़ी देशों समेत अन्य विदेशी मुल्क में अपनी सब्जियां भेज कर करने में जुटे हैं.

विदेशों में सब्जी एक्सपोर्ट कर रहे काशी के किसान
कोविड काल भी रहा फायदेमंदमार्च के महीने में शुरू हुए लॉकडाउन और कोरोना की वजह से देश की आर्थिक व्यवस्था भले चरमरा गई हो, लेकिन काशी के किसानों के लिए कोविड-19 का दौर भी नुकसान कम मुनाफे वाला ज्यादा साबित हुआ. वाराणसी के बड़ागांव, साधोगंज समेत जौनपुर, गाजीपुर अन्य जगहों के किसानों की फसल जिनमें आम, हरी मिर्च, बैगन, हरा मटर और अन्य कई तरह की सब्जियां शामिल थी. इन्हें सीधे वाराणसी से खाड़ी देशों समेत अमेरिकी देशों में भी भेजा गया था. इनमें बनारसी आम की डिमांड तो अब जर्मनी और अन्य देशों से भी आने लगी है. यही वजह है कि किसान कोविड-19 के दौर से ही लगातार मुनाफा कमाने में जुटे थे और खेतों में पसीना बहाकर अपने भविष्य को संवारने की कोशिश कर रहे थे. जिसका रिजल्ट अब उन्हें दिखने लगा है.
varanasi
सब्जी की फसल की तैयारी में किसान

इंटरनेशनल मार्केट में धाक जमाने में जुटे किसान
वाराणसी के खेतों में पसीना बहाने वाले वीरेंद्र हो या फिर राजेंद्र पटेल या सुनील कुमार, यह किसान दिन रात मेहनत कर अपने भविष्य को संवारने का प्रयास कर रहे हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि दो दिन पहले ही इन किसानों का माल वाराणसी से सीधे अरब देशों के लिए भेजा गया है. वाराणसी का हरा मटर और बैंगन के साथ हरी मिर्च खाड़ी देशों को लगातार भेजी जा रही है. वहां से आ रही अच्छी डिमांड की वजह से किसान इसकी खेती में भी जुटे हुए हैं. किसानों का साफ तौर पर कहना है, कि सरकार की नई नीतियों और नए किसान कानून की वजह से ही यह संभव हुआ है. पहले किसान अपनी फसल को औने-पौने दाम पर लोकल मंडियों में बेचते थे. इसका फायदा बिचौलिए उठाते थे. लेकिन अब नाबार्ड के सहयोग से किसान हितों के लिए बनाई जा रही कंपनियों में रजिस्ट्रेशन कर के हम तैयार माल को सीधे विदेशों में भेज रहे हैं और बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं.

ट्रांसपैरेंट सिस्टम का किसान को फायदा
लगातार अपनी सब्जियों का निर्यात कर रहे किसानों को इस बात की बेहद खुशी है, कि उनकी इनकम तो बड़ी ही रही है. साथ ही उनके आसपास के जिलों और आसपास के क्षेत्रों से जुड़े किसान भी अब इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि पहले किसानों को तैयार फसलों को मार्केट में ले जाकर बिचौलियों के माध्यम से बेंचना पड़ता था. उसके बाद फसल का पैसा मिलता था. लेकिन अब तैयार माल को सरकार की सही नीतियों की वजह से सीधे विदेशों तक भेजने का लाभ मिल रहा है. माल पहुंचने के बाद उसके पैसे दिए जाने के लिए हर किसान का खाता खोला गया है. उसकी रकम सीधे उनके बैंक अकाउंट में भेजी जा रही है. रजिस्टर्ड कंपनी और एपीड़ा के साथ मिलकर किसान लगातार विदेशों में अपनी सब्जियां भेज रहे हैं और लगातार इसकी डिमांड भी आती जा रही है.

अगली फसल की हो रही तैयारी
सीजन के हिसाब से वाराणसी के किसान सब्जियों की अलग-अलग खेप खाड़ी देशों के साथ विदेशी मुल्क में भेज रहे हैं. अब इसका सबसे बड़ा फायदा इसलिए भी मिलने वाला है. क्योंकि काशी में लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पैकिंग सेंटर सीधे बनाया जा चुका है. पहले लखनऊ और दिल्ली से सामान को भेजा जाता था. लेकिन अब एयर इंडिया की कार्गो सर्विस के जरिए सीधे सामान यहां पैक करके किसी भी देश में भेजा जा रहा है. इतना ही नहीं ओमान सहित अन्य देशों से आ रहे ऑर्डर को पूरा करने के लिए किसान अब अपने खेतों में अगली फसल भी उगा रहे हैं. बड़ागांव के रहने वाले वीरेंद्र ने हाल ही में डिमांड के हिसाब से कई सब्जियां बाहर भेजी हैं. इसके साथ ही किसान अगली फसल पत्तागोभी, टमाटर की फसल तैयार करने में जुट गए हैं. किसानों को उम्मीद है कि इस बार अच्छा खासा माल बाहर जाएगा और उन्हें मुनाफा भी बेहतर होगा.

वाराणसी: देश के अधिकांश हिस्सों में इन दिनों किसान अशांत है. दिल्ली बॉर्डर पर महीनों से किसान धरने पर बैठे हैं. यहां नए किसान कानून को वापस लिए जाने की मांग की जा रही है. भविष्य में खेती से मुनाफे के खातिर खेतों को छोड़ किसान सड़कों पर डटे हैं. लेकिन इन सब से विपरीत, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के किसान न इस आंदोलन से सरोकार रखते हैं और न ही खेत छोड़कर कहीं जाने को तैयार है. इसकी बड़ी वजह यह है, कि वाराणसी में सब्जी उगाने वाले किसान इन दिनों अपनी सब्जियों को इंटरनेशनल लेवल पर बेंचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. आमतौर पर लोकल सब्जी मंडियों में सब्जी बेंचकर किसान मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह बिचौलिए भी हैं. लेकिन इस नुकसान की भरपाई अब यह किसान खाड़ी देशों समेत अन्य विदेशी मुल्क में अपनी सब्जियां भेज कर करने में जुटे हैं.

विदेशों में सब्जी एक्सपोर्ट कर रहे काशी के किसान
कोविड काल भी रहा फायदेमंदमार्च के महीने में शुरू हुए लॉकडाउन और कोरोना की वजह से देश की आर्थिक व्यवस्था भले चरमरा गई हो, लेकिन काशी के किसानों के लिए कोविड-19 का दौर भी नुकसान कम मुनाफे वाला ज्यादा साबित हुआ. वाराणसी के बड़ागांव, साधोगंज समेत जौनपुर, गाजीपुर अन्य जगहों के किसानों की फसल जिनमें आम, हरी मिर्च, बैगन, हरा मटर और अन्य कई तरह की सब्जियां शामिल थी. इन्हें सीधे वाराणसी से खाड़ी देशों समेत अमेरिकी देशों में भी भेजा गया था. इनमें बनारसी आम की डिमांड तो अब जर्मनी और अन्य देशों से भी आने लगी है. यही वजह है कि किसान कोविड-19 के दौर से ही लगातार मुनाफा कमाने में जुटे थे और खेतों में पसीना बहाकर अपने भविष्य को संवारने की कोशिश कर रहे थे. जिसका रिजल्ट अब उन्हें दिखने लगा है.
varanasi
सब्जी की फसल की तैयारी में किसान

इंटरनेशनल मार्केट में धाक जमाने में जुटे किसान
वाराणसी के खेतों में पसीना बहाने वाले वीरेंद्र हो या फिर राजेंद्र पटेल या सुनील कुमार, यह किसान दिन रात मेहनत कर अपने भविष्य को संवारने का प्रयास कर रहे हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि दो दिन पहले ही इन किसानों का माल वाराणसी से सीधे अरब देशों के लिए भेजा गया है. वाराणसी का हरा मटर और बैंगन के साथ हरी मिर्च खाड़ी देशों को लगातार भेजी जा रही है. वहां से आ रही अच्छी डिमांड की वजह से किसान इसकी खेती में भी जुटे हुए हैं. किसानों का साफ तौर पर कहना है, कि सरकार की नई नीतियों और नए किसान कानून की वजह से ही यह संभव हुआ है. पहले किसान अपनी फसल को औने-पौने दाम पर लोकल मंडियों में बेचते थे. इसका फायदा बिचौलिए उठाते थे. लेकिन अब नाबार्ड के सहयोग से किसान हितों के लिए बनाई जा रही कंपनियों में रजिस्ट्रेशन कर के हम तैयार माल को सीधे विदेशों में भेज रहे हैं और बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं.

ट्रांसपैरेंट सिस्टम का किसान को फायदा
लगातार अपनी सब्जियों का निर्यात कर रहे किसानों को इस बात की बेहद खुशी है, कि उनकी इनकम तो बड़ी ही रही है. साथ ही उनके आसपास के जिलों और आसपास के क्षेत्रों से जुड़े किसान भी अब इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि पहले किसानों को तैयार फसलों को मार्केट में ले जाकर बिचौलियों के माध्यम से बेंचना पड़ता था. उसके बाद फसल का पैसा मिलता था. लेकिन अब तैयार माल को सरकार की सही नीतियों की वजह से सीधे विदेशों तक भेजने का लाभ मिल रहा है. माल पहुंचने के बाद उसके पैसे दिए जाने के लिए हर किसान का खाता खोला गया है. उसकी रकम सीधे उनके बैंक अकाउंट में भेजी जा रही है. रजिस्टर्ड कंपनी और एपीड़ा के साथ मिलकर किसान लगातार विदेशों में अपनी सब्जियां भेज रहे हैं और लगातार इसकी डिमांड भी आती जा रही है.

अगली फसल की हो रही तैयारी
सीजन के हिसाब से वाराणसी के किसान सब्जियों की अलग-अलग खेप खाड़ी देशों के साथ विदेशी मुल्क में भेज रहे हैं. अब इसका सबसे बड़ा फायदा इसलिए भी मिलने वाला है. क्योंकि काशी में लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पैकिंग सेंटर सीधे बनाया जा चुका है. पहले लखनऊ और दिल्ली से सामान को भेजा जाता था. लेकिन अब एयर इंडिया की कार्गो सर्विस के जरिए सीधे सामान यहां पैक करके किसी भी देश में भेजा जा रहा है. इतना ही नहीं ओमान सहित अन्य देशों से आ रहे ऑर्डर को पूरा करने के लिए किसान अब अपने खेतों में अगली फसल भी उगा रहे हैं. बड़ागांव के रहने वाले वीरेंद्र ने हाल ही में डिमांड के हिसाब से कई सब्जियां बाहर भेजी हैं. इसके साथ ही किसान अगली फसल पत्तागोभी, टमाटर की फसल तैयार करने में जुट गए हैं. किसानों को उम्मीद है कि इस बार अच्छा खासा माल बाहर जाएगा और उन्हें मुनाफा भी बेहतर होगा.

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