वाराणसी: जिले में इस बार देव दीपावली भव्यता के साथ मनाई जाने वाली है. यहां पर काशी की संस्कृति और आधुनिकता देखी जाएगी. काशी के घाटों पर जहां एक ओर 11 लाख दीए जलाए जाएंगे. वहीं, दूसरी ओर दो घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इस भव्यता को और भी निखारने के लिए 50 देशों के मेहमान आने वाले हैं. देव दीपावली के मौके पर दोनों घाटों पर काशी के कलाकार होंगे. इसके साथ ही उत्तर से दक्षिण का मिलन भी देखने को मिलेगा. एक ओर उत्तर प्रदेश की सुनहरी आवाज मालिनी अवस्थी होंगी तो वहीं, दूसरी ओर तमिलनाडु की पद्मश्री पद्मजा रेड्डी होंगी. इसके साथ ही मंच कई बॉलीवुड कलाकारों से सजा रहेगा.
वाराणसी में हर दिन त्योहार होता है. एक उत्सव की तरह हर दिन को लोग जीते हैं. ऐसे में जब कोई त्योहार आता है तो इसका मजा कई गुना हो जाता है. दीपावली और छठ के बीत जाने के बाद अब देव दीपावली का मौका है. इस दिन को यादगार बनाने के लिए शासन-प्रशासन बड़ी ही तैयारी के साथ जुटा हुआ है. इसको भव्य तरीके से पूरा करने की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग के कंधों पर है. वहीं देव दीपावली इस बार पिछले साल की अपेक्षा बड़े स्तर पर मनाई जाएगी. इसकी तैयारी में वाराणसी प्रशासन भी शामिल रहेगा. देव दीपावली के मौके पर कई कलाकार एक ही मंच पर दिखने वाले हैं. जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. साथ ही साथ बॉलीवुड से लेकर दक्षिण के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे.
इस बार घाट पर जलाए जाएंगे 11 लाख दीए: इन तैयारियों को लेकर पर्यटन विभाग के उपनिदेशक आर के रावत बताते हैं कि काशी में देव दीपावली का आयोजन 23 नवंबर से 27 नवंबर तक होना है. इसमें 23 से 26 तक गंगा महोत्सव और 27 नवंबर को देव दीपावली का आयोजन किया जा रहा है. इस बार हम करीब 11 लाख दीये जला रहे हैं. ये दीये घाट पर और घाट के दूसरी ओर भी होंगे. इसमें करीब एक लाख दीये गाय के गोबर के हैं, जिसमें हम सारे दीये समितियों को समय पर उपलब्ध करा दे रहे हैं. इन दीयों में इतना तेल होगा कि ये करीब 4 से 5 घंटे तक जलेंगे. सांस्कृतिक कार्यक्रम की बात करें तो इस बार दो स्टेज हैं. राजेंद्र प्रसाद घाट और राजघाट.
कार्यक्रम में 50 देशों के मेहमान होंगे शामिल: आर के रावत ने बताया कि राजेंद्र प्रसाद पर काशी सांसद सांस्कृतिक कार्यक्रम के जो विजेता हैं, उन आर्टिस्ट्स को प्रस्तुति देने का मौका दिया जा रहा है. राज घाट हमारा मुख्य स्टेज है. इस घाट पर बॉलीवुड के कलाकार होंगे. विशेषकर काशी के जो बड़े आर्टिस्ट हैं, उनको भी मौका दिया जा रहा है. अन्य प्रदेश के पद्मश्री आर्टिस्ट भी आ रहे हैं. बड़ी संख्या में अच्छे कार्यक्रमों को इस बार आयोजित किया जा रहा है. हमें उम्मीद है कि इस बार ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट इस कार्यक्रम को देखने के लिए आएंगे. उन्होंने बताया कि इस बार 27 नवंबर को करीब 50 देशों के राजदूत-मेहमान आ रहे हैं. इन्हें हम क्रूज के माध्यम से आरती व देव दीपावली की आतिशबाजी के साथ ही प्रोजेक्शन मैपिंग दिखाएंगे.
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मालिनी अवस्थी के साथ होंगी पद्मजा रेड्डी: आर के रावत बताते हैं कि जो काशी में सांस्कृतिक कार्यक्रम का फ्लेवर है वह क्लासिकल का है. इसमें विशेषकर फोक सिंगर में मालिनी अवस्थी भी हैं. तमिलनाडु से पद्मश्री पद्मजा रेड्डी भी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आ रही हैं. इसके साथ ही इस स्टेज पर लोकल आर्टिस्ट्स को भी प्राथमिकता दी जाए, इसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. फाइनल टच दिया जा रहा है. बता दें कि देव दीपावली को साल 2014 से ही भव्य तरीके से मनाया जा रहा है. इसकी तैयारी में घाटों पर लाखों दीये तैयार किए जाते हैं. इन दीयों को वाराणसी के लोकल कुम्हारों को ऑर्डर देकर बनवाया जाता है. इनमें मिट्टी के दीयों के साथ ही गाय के गोबर के दीये शामिल किए जाते हैं.
देव दीपावली को राजकीय मेला किया घोषित: काशी के अर्द्धचंद्राकार घाटों पर सजने वाले देव दीपावली की पहचान अब प्रदेश के मेले के रूप में होगी. प्रदेश सरकार ने देवताओं के उत्सव देव दीपावली को राजकीय मेला घोषित कर दिया है. इस फैसले के बाद इस आयोजन की भव्यता बढ़ जाएगी. सरकार के इस फैसले के बाद देव दीपावली के आयोजन पर होने वाला खर्च नगर विकास विभाग उठाएगा. मेला स्थलों पर सड़क, बिजली, शौचालय और आश्रय स्थल जैसी सुविधाओं का विकास अब आसानी से हो सकेगा. इस मेले का आयोजन जिलाधिकारी के प्रबंधन में किया जाएगा. देव दीपावली को राजकीय मेला घोषित करने का प्रस्ताव वाराणसी जिला प्रशासन ने 24 घंटे पहले भेजा था.
घरेलू पर्यटन में पहले स्थान पर है वाराणसी: वाराणसी देश की सांस्कृतिक राजधानी है. ऐसे में यह उत्तर प्रदेश में पर्यटन का बहुत बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. यहां केवल देश से ही नहीं बल्कि, विदेशों से भी पर्यटक आ रहे हैं. पर्यटन विभाग के अनुसार प्रतिदिन वाराणसी आने वाले पर्यटकों की संख्या 2.5 लाख से 3 लाख पहुंच चुकी हैं, जो कि बीते सालों की तुलना में कहीं ज्यादा है. वहीं, सावन के महीने में काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए 1.6 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे. घरेलू पर्यटन के मामले में सबसे आगे काशी है. साल 2022 में 7.12 करोड़ से ज्यादा लोग यहां पहुंचे थे. वहीं, प्रयागराज में 2.55 करोड़, अयोध्या में 2.39 करोड़ और वृंदावन में 1.76 करोड़ लोग पहुंचे थे. वाराणसी घरेलू पर्यटन के मामले में पहले स्थान पर आ चुका है.
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