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वाराणसी: कक्षा 8 के छात्रों ने भूस्खलन से बचने की बनाई अनोखी डिवाइस, मलबे में फंसे जवान का लग जाएगा पता

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Published : Aug 6, 2022, 11:18 AM IST

वाराणसी आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जिससे भूस्खलन के मलबे में दबे जवान का पता आसानी से लग जाएगा. इससे अधिकारियों को भी काफी सुविधा हो जाएगी. जानिए ये डिवाइस कैसे काम करती है.

अनोखी डिवाइस
अनोखी डिवाइस

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के सपने को वाराणसी आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा 8 के दो छात्र साकार कर रहे हैं. छात्रों ने देश के जवानों के लिए एक खास अविष्कार किया है. यह बॉर्डर एरिया में तैनात जवान के भूस्खलन या लैंडस्लाइड होने पर मलबे में फंसे होने पर सेना के अधिकारियों की मदद करेगा. इससे समय रहते मलबे में फंसे जवानों को बचाया जा सकेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा 8 में पढ़ने वाले दो छात्र दक्ष अग्रवाल और सूरज ने मिलकर आर्मी के जवानों के लिए एक खास स्मार्ट सोल्जर ट्रेकर घड़ी तैयार की है. स्मार्ट सोल्जर घड़ी लैंडस्लाइड होने पर बॉर्डर एरिया में बर्फीली चट्टानों की स्लाइड होने पर मलबे में फंसे जवानों के लापता होने पर समय रहते सेना के अधिकारीयों को उन तक पहुंचने में मदद करेगा.

डिवाइस के बारे में जानकारी देते छात्र.

छात्र दक्ष ने बताया कि डिवाइज के दो पार्ट हैं. पहला ट्रांसमीटर जो एक घड़ी की तरह होगा, ये घड़ी जवानों की कलाई पर लगी होगी और दूसरा हमारा रिसीवर सिस्टम जो काफी छोटा होगा उसे भी हम मोबाइल की तरह पॉकेट में रख सकतें है. ये रिसीवर डिवाइज जवानों के कंट्रोल रूम में होगा. ये दोनों डिवाइज रेडियो सिग्नल की मदद से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं. अगर कभी जवान के साथ कोइ दुर्घटना होती है तो उसके हाथ में लगी स्मार्ट घड़ी के जरिए उस तक पहुंचने में आसानी होगी. क्योंकि ये घड़ी एक ट्रांसमीटर की तरह काम करती है. मलबे में दबे सोल्जर्स के नजदीक रिसीवर लेकर उसे ढूंढते हुए उसके नजदीक पहुंचते हैं तो उसकी घड़ी से रेडियो सिग्नल मिल जाता है. इस दौरान रिसीवर में लगा अलार्म ऑन हो जाता है और पता चल जाता है कि जवान यही आस-पास हमारे सिग्नल की रेंज में है. छात्रों ने इस प्रोजेक्ट को अपने स्कूल के जूनियर कलाम स्टार्टअप लैब में तैयार किया है.

यह भी पढ़ें: वाराणसी में ई रिक्शों और इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए बनाए जाएंगे चार्जिंग प्वाइंट

सूरज ने बताया कि उन लोगों ने अभी इस स्मार्ट सोल्जर घड़ी का एक मॉडल तैयार किया है. इसकी रेंज करीब 20 मीटर होगी. इसे और भी बढ़ाया जा सकता है. इस स्मार्ट घड़ी का बैटरी बैकअप 3 महीने का होगा. मॉडल बनाने में दो हजार रुपये का खर्च आया है और करीब एक हप्ते का समय लगा है. इसे बनाने में बटन, सेल, 3 वोल्ट, रेडियो, ट्रांसमीटर, रिसीवर, स्विच, घड़ी, रेड एंडीकैटर, मिनी अलार्म का इस्तेमाल किया गया है.

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वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के सपने को वाराणसी आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा 8 के दो छात्र साकार कर रहे हैं. छात्रों ने देश के जवानों के लिए एक खास अविष्कार किया है. यह बॉर्डर एरिया में तैनात जवान के भूस्खलन या लैंडस्लाइड होने पर मलबे में फंसे होने पर सेना के अधिकारियों की मदद करेगा. इससे समय रहते मलबे में फंसे जवानों को बचाया जा सकेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा 8 में पढ़ने वाले दो छात्र दक्ष अग्रवाल और सूरज ने मिलकर आर्मी के जवानों के लिए एक खास स्मार्ट सोल्जर ट्रेकर घड़ी तैयार की है. स्मार्ट सोल्जर घड़ी लैंडस्लाइड होने पर बॉर्डर एरिया में बर्फीली चट्टानों की स्लाइड होने पर मलबे में फंसे जवानों के लापता होने पर समय रहते सेना के अधिकारीयों को उन तक पहुंचने में मदद करेगा.

डिवाइस के बारे में जानकारी देते छात्र.

छात्र दक्ष ने बताया कि डिवाइज के दो पार्ट हैं. पहला ट्रांसमीटर जो एक घड़ी की तरह होगा, ये घड़ी जवानों की कलाई पर लगी होगी और दूसरा हमारा रिसीवर सिस्टम जो काफी छोटा होगा उसे भी हम मोबाइल की तरह पॉकेट में रख सकतें है. ये रिसीवर डिवाइज जवानों के कंट्रोल रूम में होगा. ये दोनों डिवाइज रेडियो सिग्नल की मदद से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं. अगर कभी जवान के साथ कोइ दुर्घटना होती है तो उसके हाथ में लगी स्मार्ट घड़ी के जरिए उस तक पहुंचने में आसानी होगी. क्योंकि ये घड़ी एक ट्रांसमीटर की तरह काम करती है. मलबे में दबे सोल्जर्स के नजदीक रिसीवर लेकर उसे ढूंढते हुए उसके नजदीक पहुंचते हैं तो उसकी घड़ी से रेडियो सिग्नल मिल जाता है. इस दौरान रिसीवर में लगा अलार्म ऑन हो जाता है और पता चल जाता है कि जवान यही आस-पास हमारे सिग्नल की रेंज में है. छात्रों ने इस प्रोजेक्ट को अपने स्कूल के जूनियर कलाम स्टार्टअप लैब में तैयार किया है.

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सूरज ने बताया कि उन लोगों ने अभी इस स्मार्ट सोल्जर घड़ी का एक मॉडल तैयार किया है. इसकी रेंज करीब 20 मीटर होगी. इसे और भी बढ़ाया जा सकता है. इस स्मार्ट घड़ी का बैटरी बैकअप 3 महीने का होगा. मॉडल बनाने में दो हजार रुपये का खर्च आया है और करीब एक हप्ते का समय लगा है. इसे बनाने में बटन, सेल, 3 वोल्ट, रेडियो, ट्रांसमीटर, रिसीवर, स्विच, घड़ी, रेड एंडीकैटर, मिनी अलार्म का इस्तेमाल किया गया है.

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