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UP STF ने सॉल्वर गैंग के सदस्य को किया गिरफ्तार, KVS Teacher भर्ती में कराई थी ऑनलाइन नकल - केन्द्रीय विद्यालय संगठन

केन्द्रीय विद्यालय संगठन की प्राइमरी टीचर की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा में ऑनलाइन नकल कराने का मामला उजागर हुआ था. पकड़ा गया सॉल्वर गैंग का सदस्य ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली कंपनी का प्रयागराज सिटी हेड है.

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Published : Feb 26, 2023, 9:49 PM IST

वाराणसी: केन्द्रीय विद्यालय संगठन की प्राइमरी टीचर की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा में साल्वर के जरिए ऑनलाइन नकल कराई गई थी. इस मामले में यूपी एसटीएफ ने साल्वर गैंग के एक सदस्य को वाराणसी से गिरफ्तार किया है. गिरोह ने सुनियोजित ढंग से कुछ परीक्षार्थियों को आवंटित कम्प्यूटर को लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) एवं प्रॉक्सी सर्वर के माध्यम से पलवल (हरियाणा) में बैठकर रिमोट एक्सेस एप्लीकेशन के माध्यम से नकल कराई थी.

परीक्षार्थी के मानीटर को जनपद प्रयागराज में बैठे सॉल्वर से ऑनलाइन जोड़ कर नकल कराई थी. यूपी एसटीएफ ने जनपद पलवल (हरियाण), जनपद प्रयागराज एवं जनपद वाराणसी से कुल 21 अभियुक्तों को गिरफ्तार करते हुए कई कम्प्यूटर, लैपटाप, मोबाइल फोन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाईस जब्त की हैं. रविवार को इस प्रकरण में सम्मिलित अभियुक्त मनीष रस्तोगी को शिवपुर थाना क्षेत्र के गिलट बाजार तिराहे के पास से गिरफ्तार करने में एसटीएफ सफलता मिली है.

एसटीएफ वाराणसी यूनिट के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सॉल्वर गैंग में मनीष रस्तोगी भी सम्मिलित था. इसकी गिरफ्तारी के लिए निरीक्षक अरविन्द सिंह एसटीएफ फील्ड इकाई वाराणसी के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी. रविवार को पता चला कि सॉल्वर गैंग का सदस्य मनीष रस्तोगी थाना शिवपुर क्षेत्रान्तर्गत गिलट बाजार तिराहे के पास खड़ा है. इस सूचना पर निरीक्षक अरविन्द सिंह द्वारा थाना शिवपुर पुलिस को साथ लेकर तत्काल पहुंचे और मनीष रस्तोगी को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में मालूम हुआ कि मनीष रस्तोगी ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली कम्पनी एपटेक का वाराणसी में ‘सिटी हेड’ है. वाराणसी में एपटेक कम्पनी द्वारा ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए जो ऑनलाइन परीक्षा केन्द्र बनाए जाते हैं, वहां पर सुचारू ढंग से परीक्षा कराने की जिम्मेदारी इसकी रहती थी. ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं में हैकिंग के माध्यम से नकल कराने वाले सॉल्वर गैंग से इसका संपर्क हो गया था. मनीष रस्तोगी द्वारा सॉल्वर गैंग से जुडे़ परीक्षा केन्द्रों के संचालकों को उनके द्वारा परीक्षा में किए जा रहे अवैध कार्यों का भय दिखाकर प्रत्येक परीक्षा सेण्टर से प्रति नोड/सीट के हिसाब से पैसा लिया जाता था.

ये भी पढ़ेंः फतेहपुर में किशोरी के साथ दुष्कर्म, घर पहुंचकर रोते हुए बिटिया ने परिवार वालों को बताई घटना

वाराणसी: केन्द्रीय विद्यालय संगठन की प्राइमरी टीचर की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा में साल्वर के जरिए ऑनलाइन नकल कराई गई थी. इस मामले में यूपी एसटीएफ ने साल्वर गैंग के एक सदस्य को वाराणसी से गिरफ्तार किया है. गिरोह ने सुनियोजित ढंग से कुछ परीक्षार्थियों को आवंटित कम्प्यूटर को लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) एवं प्रॉक्सी सर्वर के माध्यम से पलवल (हरियाणा) में बैठकर रिमोट एक्सेस एप्लीकेशन के माध्यम से नकल कराई थी.

परीक्षार्थी के मानीटर को जनपद प्रयागराज में बैठे सॉल्वर से ऑनलाइन जोड़ कर नकल कराई थी. यूपी एसटीएफ ने जनपद पलवल (हरियाण), जनपद प्रयागराज एवं जनपद वाराणसी से कुल 21 अभियुक्तों को गिरफ्तार करते हुए कई कम्प्यूटर, लैपटाप, मोबाइल फोन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाईस जब्त की हैं. रविवार को इस प्रकरण में सम्मिलित अभियुक्त मनीष रस्तोगी को शिवपुर थाना क्षेत्र के गिलट बाजार तिराहे के पास से गिरफ्तार करने में एसटीएफ सफलता मिली है.

एसटीएफ वाराणसी यूनिट के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सॉल्वर गैंग में मनीष रस्तोगी भी सम्मिलित था. इसकी गिरफ्तारी के लिए निरीक्षक अरविन्द सिंह एसटीएफ फील्ड इकाई वाराणसी के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी. रविवार को पता चला कि सॉल्वर गैंग का सदस्य मनीष रस्तोगी थाना शिवपुर क्षेत्रान्तर्गत गिलट बाजार तिराहे के पास खड़ा है. इस सूचना पर निरीक्षक अरविन्द सिंह द्वारा थाना शिवपुर पुलिस को साथ लेकर तत्काल पहुंचे और मनीष रस्तोगी को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में मालूम हुआ कि मनीष रस्तोगी ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली कम्पनी एपटेक का वाराणसी में ‘सिटी हेड’ है. वाराणसी में एपटेक कम्पनी द्वारा ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए जो ऑनलाइन परीक्षा केन्द्र बनाए जाते हैं, वहां पर सुचारू ढंग से परीक्षा कराने की जिम्मेदारी इसकी रहती थी. ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं में हैकिंग के माध्यम से नकल कराने वाले सॉल्वर गैंग से इसका संपर्क हो गया था. मनीष रस्तोगी द्वारा सॉल्वर गैंग से जुडे़ परीक्षा केन्द्रों के संचालकों को उनके द्वारा परीक्षा में किए जा रहे अवैध कार्यों का भय दिखाकर प्रत्येक परीक्षा सेण्टर से प्रति नोड/सीट के हिसाब से पैसा लिया जाता था.

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