वाराणसी: यूपी नगर निकाय चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने मेयर पद के लिए अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने सबसे पहले अपने मेयर प्रत्याशी की घोषणा की थी. कांग्रेस पार्टी ने वरिष्ठ नेता अनिल श्रीवास्तव को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि अब तक जनता ने उन्हें प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया.
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रवि प्रकाश पांडेय ने ईटीवी भारत को बताया कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अनिल श्रीवास्तव ने 5 बार वाराणसी की कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन हर बार उनको हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हें जनप्रतिनिधि के रूप में मेयर पद का प्रत्याशी बनाया है. उनके प्रत्याशी बनाने को लेकर वाराणसी में चर्चाओं का बाजार गर्म है. कोई इसे कांग्रेस का सरेंडर बता रहा है तो कोई इसे विकल्पहीनता की स्थिति के रूप में परिभाषित कर रहा है.
कांग्रेस ने क्यों चुना प्रत्याशीः इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रवि प्रकाश पांडेय ने बताया कि वाराणसी में एक लंबे अरसे से राजेश मिश्रा के बाद कोई ऐसा मजबूत नेतृत्व निकल कर के सामने नहीं आया और ना ही वर्तमान समय में कोई एक मजबूत नेतृत्व उभरता हुआ नजर आ रहा है. दूसरी बात टिकट देते समय राजनीतिक दल मुख्यतः इस बात का ध्यान रखते हैं कि या तो प्रत्याशी उनका पुराने कैडर का हो या तो बाहर से आने वाला जिताऊ हो.
वर्तमान समय में बाहरी कोई भी कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर भी नहीं रह गया है और ना ही काशी में कोई है. राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि, पुराने समय के नेता पार्टी में 2 से 3 लोग ही हैं. जो अभी तक पार्टी से जुड़े हुए हैं. उनमें से एक नाम अनिल श्रीवास्तव का भी है. इसलिए सम्भवतः विकल्पहीनता की स्थिति में कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया है. अब यह चुनाव में जनता के द्वारा दिए गए वोट के बाद परिणाम के रूप में नजर आएगा की स्थिति क्या होगी.
वाराणसी मेयर सीट पर बीजेपी है अभेद्य किलाः रवि प्रकाश पांडेय ने बताया कि वाराणसी मेयर सीट बीजेपी की अभेद सीट मानी जाती है. क्योंकि आज तक उस पर बीजेपी के अलावा कोई भी मेयर काबिज नहीं हुआ है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की ओर से हारे व्यक्ति को प्रत्याशी घोषित करना चुनाव से पहले सरेंडर करना है या फिर विकल्पहीनता. यह मुख्यतः नेतृत्व का ही अभाव है. हालांकि पार्टी के अंदर की रणनीति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. परंतु ऐसा लगता है कि विकल्प न होने के स्थिति में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव कई बार हारे हुए प्रत्याशी पर दांव लगाकर उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है.
75 हजार मिले थे वोटः कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि पार्टी ने उन पर विश्वास जताया है. उस पर पूरी तरीके से खरे उतरने की कोशिश करेंगे. बीजेपी के अभेद्य किला को भेदने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भले ही बीजेपी अब तक यहां जीत हासिल करती आई हो. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. जब उन्होंने चुनाव लड़ा था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के लिए प्रचार-प्रसार किया था. उसके बावजूद जनता ने उनका सपोर्ट किया था. उस समय उन्हें 75 हजार वोट मिले थे. ऐसे में यदि एक विधानसभा से उन्हें जनता का इतना साथ मिला है तो निश्चित तौर पर नगर निगम में उन्हें जनता पूरी तरीके से सपोर्ट करेगी.
पार्टी में कई पदों पर दी हैं सेवाएंः अनिल श्रीवास्तव कांग्रेस पार्टी के दिग्गज पुराने नेता हैं. जो लंबे समय से जनता से जुड़े हुए हैं. उन्होंने पार्टी में कई पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं. राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने यूथ कांग्रेस की कमान भी संभाली है. इसके साथ ही वे एनएसयूआई में भी काफी दिनों तक सक्रिय रहे थे. उसके बाद वाराणसी में पार्टी के जिला अध्यक्ष पद पर उन्होंने अपनी सेवाएं दी. कई जिलों के प्रभारी भी रहे हैं. वह कई बार विधायक के पद पर भी चुनाव लड़ चुके हैं. जनता के जुड़े हुए वह कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सक्रिय सदस्य हैं.
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