ETV Bharat / state

पूर्वांचल से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में काशी के मठ देते हैं दखल, अब तक इन दिग्गजों ने टेका है मत्था

author img

By

Published : Mar 1, 2022, 1:32 PM IST

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का चुनावी महासंग्राम जारी है. यूपी में अब तक पांच चरणों की वोटिंग हो चुकी है. आगामी चरणों में पूर्वांचल क्षेत्र में वोटिंग होनी है, कुछ महत्वपूर्ण मठ और आश्रम हैं जिनका सीधा हस्तक्षेप राजनीति से है, पढ़िए पूरी खबर...

पूर्वांचल से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में काशी के मठ देते हैं दखल
पूर्वांचल से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में काशी के मठ देते हैं दखल

वाराणसी : धर्म और आस्था का शहर कहे जाने वाले काशी में लाखों लोग आस्था और विश्वास लेकर आते हैं. यहां पर दुनियां भर से आए पर्यटकों का तांता लगा रहता है. आस्था के इस शहर की राजनीति में मठ और आश्रमों का भी काफी योगदान है. वाराणसी में कई ऐसे महत्वपूर्ण मठ और आश्रम हैं, जो पूरे देश में जाने जाते हैं. वैसे तो यहां अनगिनत मंदिर, मठ और आश्रम हैं. लेकिन इनमें कुछ खास स्थल हैं, जिनका राजनीति में सीधा दखल है. इनमें गढ़वा घाट मठ, भेलूपुर स्थित बाबा कीनाराम आश्रम, सतुआ बाबा आश्रम, कबीर मठ और जगदंबाडी मठ विशेष तौर पर जाने जाते हैं.

इन मठों में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन जब चुनाव नजदीक आते हैं तो इनका राजनैतिक महत्व भी बढ़ जाता है. इसकी एक वजह यह है कि हर मठ और आश्रम में आने वाले अनुयायियों का एक विशेष जाति वर्ग से जुड़ाव होता है. इसी जाति वर्ग को साधने के लिए हर नेता चुनाव आते ही इन आश्रमों और मठों की शरण लेते हैं. यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 का महासंग्राम जारी है. इस चुनावी समर के आखरी के 2 चरणों में पूर्वांचल की 120 सीटों पर चुनाव होने हैं. इनमें अंतिम चरण के चुनाव में वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, मऊ सहित आस-पास के जिले शामिल हैं. यही वजह है कि बनारस के इन मठ और आश्रमों का दखल पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों में होने की वजह से इनका महत्व समय के साथ बढ़ जाता है.

पूर्वांचल से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में काशी के मठ देते हैं दखल

एक्सपर्ट भी मानते हैं कि यूपी में काशी, मथुरा और अयोध्या तीन बड़े राजनीतिक शक्ति स्थल के रूप में जाने जाते हैं. इन तीन स्थलों की राजनीति अब समय के साथ और भी प्रबल होती जा रही है. पहले बीजेपी और अब विपक्ष का हर नेता इन तीनों धाम के जरिए हिंदुत्व को साधने में लगा है. जब बात हिंदुत्व की होती है, तो सिर्फ मंदिर ही नहीं बल्कि मठ और आश्रम भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं.

अगर गुजरे समय की बात करें तो 2007, 2012, 2017 के विधानसभा चुनावों से लेकर 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में इन आश्रमों का जबरदस्त बोलवाला रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत गृह मंत्री अमित शाह पिछले चुनावों के दौरान काशी में आकर माथा टेक चुके हैं. इसके पहले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव, प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई नामचीन लोग बनारस के गढ़वा घाट मठ से लेकर कबीर मठ सतुआ बाबा आश्रम और अन्य जगह पर माथा टेक चुके हैं. हाल ही में पीएम मोदी ने दिसंबर महीने में पूर्वांचल में दलित वोट बैंक में दखल रखने वाले स्वर्वेद मंदिर मठ में जाकर माथा टेका था.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

काशी के कुछ चर्चित मठ और इतिहास

  • सतुआ बाबा आश्रम
    मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम की स्थापना 18वीं शताब्दी में मानी जाती है. विष्णु स्वामी संप्रदाय के जगतगुरु अनंत श्री विभूषित भगवान विष्णु स्वामी जी महाराज से जुड़ा यह मठ अपने आप में गुजराती समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. गुजरात के सूरत में मुख्य आश्रम होने के साथ ही यूपी के गुजराती समाज का जुड़ाव यहां से महत्वपूर्ण है.
  • गढ़वा घाट मठ
    गढ़वा घाट मठ सामने घाट क्षेत्र में स्थित है और यह मठ बनारस के सबसे महत्वपूर्ण मठ में शामिल है. पूर्वांचल की राजनीति में इस मठ का काफी महत्व है. शायद यही वजह है कि चुनाव नजदीक आते ही यहां पर हर नेता आना चाहता है. ऐसा माना जाता है कि 1930 में इस मठ की स्थापना के बाद पूर्वांचल समेत देश के अलग-अलग हिस्से से बड़ी संख्या में यादव समाज के लोगों का जुड़ाव शुरू हुआ. हालांकि मठ के लोगों का कहना है कि यहां किसी जाति विशेष का नहीं बल्कि हर किसी का जुड़ाव है. लेकिन नेता अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए यहां पहुंचते हैं. इस मठ बड़ा सेंटर मिर्जापुर सोनभद्र में भी है. इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्से में इनकी शाखा भी है.
  • जंगमबाड़ी मठ
    बनारस का यह मठ सैकड़ों हजारों साल पुराना माना जाता है, दक्षिण भारत के लिंगायत समुदाय से इस मठ का सीधा जुड़ाव है. शायद यही वजह है कि बनारस के इस मठ के जरिए महाराष्ट्र और कर्नाटक की राजनीति को साधने के लिए बड़े-बड़े नेता यहां पहुंच जाते हैं. हाल ही में यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा यहां पर कई बार आ चुके हैं. येदुरप्पा के यहां पर आना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह लिंगायत समुदाय से आते हैं और यह मत लिंगायत समुदाय से जुड़ा हुआ है.
  • बाबा कीनाराम आश्रम
    बाबा कीनाराम आश्रम रविंद्रपुरी क्षेत्र में स्थित है और बनारस ही नहीं बल्कि पूर्वांचल समेत देश के अलग-अलग हिस्से में इस मठ का एक अलग स्थान है. अघोर परंपरा के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में यह हम 16 शताब्दी के उत्तरार्ध से वाराणसी में पुनर्स्थापित है. ऐसा माना जाता है कि इस मठ से रघुवंशी यानी ठाकुर समाज का जुड़ा बहुत ज्यादा है. पूर्वांचल समेत अलग-अलग हिस्से से बड़ी संख्या में ठाकुर बिरादरी की आस्था का बड़ा केंद्र है. यही वजह है कि संत कीनाराम आश्रम समय पड़ाव स्थित सर्वेश्वरी समूह में राजनेताओं का आना लगा रहता है.
  • कबीर मठ
    कबीर मठ संत कबीर की जन्म स्थली और कर्म स्थली के रूप में जाना जाता है. लहरतारा स्थित कबीर मठ में कबीर के प्राकट्य को माना जाता है, जबकि कबीरचौरा स्थित मूलगादी मठ को कबीर की कर्म भूमि के रूप में माना जाता है. कबीर पंथियों के लिए यह स्थान काफी महत्वपूर्ण और आस्था का बड़ा केंद्र है. यही वजह है कि बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश के कई बड़े नेता कबीर मठ पहुंचते रहते हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के भाई पंकज मोदी ने भी यहां पर पहुंचकर संत समुदाय का आशीर्वाद लिया था. खुद सीएम योगी से लेकर कई बड़े नेता भी यहां पर आ चुके हैं.

इसे पढ़ें- यूक्रेन संकट के बीच प्रधानमंत्री ने की राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात

वाराणसी : धर्म और आस्था का शहर कहे जाने वाले काशी में लाखों लोग आस्था और विश्वास लेकर आते हैं. यहां पर दुनियां भर से आए पर्यटकों का तांता लगा रहता है. आस्था के इस शहर की राजनीति में मठ और आश्रमों का भी काफी योगदान है. वाराणसी में कई ऐसे महत्वपूर्ण मठ और आश्रम हैं, जो पूरे देश में जाने जाते हैं. वैसे तो यहां अनगिनत मंदिर, मठ और आश्रम हैं. लेकिन इनमें कुछ खास स्थल हैं, जिनका राजनीति में सीधा दखल है. इनमें गढ़वा घाट मठ, भेलूपुर स्थित बाबा कीनाराम आश्रम, सतुआ बाबा आश्रम, कबीर मठ और जगदंबाडी मठ विशेष तौर पर जाने जाते हैं.

इन मठों में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन जब चुनाव नजदीक आते हैं तो इनका राजनैतिक महत्व भी बढ़ जाता है. इसकी एक वजह यह है कि हर मठ और आश्रम में आने वाले अनुयायियों का एक विशेष जाति वर्ग से जुड़ाव होता है. इसी जाति वर्ग को साधने के लिए हर नेता चुनाव आते ही इन आश्रमों और मठों की शरण लेते हैं. यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 का महासंग्राम जारी है. इस चुनावी समर के आखरी के 2 चरणों में पूर्वांचल की 120 सीटों पर चुनाव होने हैं. इनमें अंतिम चरण के चुनाव में वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, मऊ सहित आस-पास के जिले शामिल हैं. यही वजह है कि बनारस के इन मठ और आश्रमों का दखल पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों में होने की वजह से इनका महत्व समय के साथ बढ़ जाता है.

पूर्वांचल से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में काशी के मठ देते हैं दखल

एक्सपर्ट भी मानते हैं कि यूपी में काशी, मथुरा और अयोध्या तीन बड़े राजनीतिक शक्ति स्थल के रूप में जाने जाते हैं. इन तीन स्थलों की राजनीति अब समय के साथ और भी प्रबल होती जा रही है. पहले बीजेपी और अब विपक्ष का हर नेता इन तीनों धाम के जरिए हिंदुत्व को साधने में लगा है. जब बात हिंदुत्व की होती है, तो सिर्फ मंदिर ही नहीं बल्कि मठ और आश्रम भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं.

अगर गुजरे समय की बात करें तो 2007, 2012, 2017 के विधानसभा चुनावों से लेकर 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में इन आश्रमों का जबरदस्त बोलवाला रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत गृह मंत्री अमित शाह पिछले चुनावों के दौरान काशी में आकर माथा टेक चुके हैं. इसके पहले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव, प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई नामचीन लोग बनारस के गढ़वा घाट मठ से लेकर कबीर मठ सतुआ बाबा आश्रम और अन्य जगह पर माथा टेक चुके हैं. हाल ही में पीएम मोदी ने दिसंबर महीने में पूर्वांचल में दलित वोट बैंक में दखल रखने वाले स्वर्वेद मंदिर मठ में जाकर माथा टेका था.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

काशी के कुछ चर्चित मठ और इतिहास

  • सतुआ बाबा आश्रम
    मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम की स्थापना 18वीं शताब्दी में मानी जाती है. विष्णु स्वामी संप्रदाय के जगतगुरु अनंत श्री विभूषित भगवान विष्णु स्वामी जी महाराज से जुड़ा यह मठ अपने आप में गुजराती समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. गुजरात के सूरत में मुख्य आश्रम होने के साथ ही यूपी के गुजराती समाज का जुड़ाव यहां से महत्वपूर्ण है.
  • गढ़वा घाट मठ
    गढ़वा घाट मठ सामने घाट क्षेत्र में स्थित है और यह मठ बनारस के सबसे महत्वपूर्ण मठ में शामिल है. पूर्वांचल की राजनीति में इस मठ का काफी महत्व है. शायद यही वजह है कि चुनाव नजदीक आते ही यहां पर हर नेता आना चाहता है. ऐसा माना जाता है कि 1930 में इस मठ की स्थापना के बाद पूर्वांचल समेत देश के अलग-अलग हिस्से से बड़ी संख्या में यादव समाज के लोगों का जुड़ाव शुरू हुआ. हालांकि मठ के लोगों का कहना है कि यहां किसी जाति विशेष का नहीं बल्कि हर किसी का जुड़ाव है. लेकिन नेता अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए यहां पहुंचते हैं. इस मठ बड़ा सेंटर मिर्जापुर सोनभद्र में भी है. इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्से में इनकी शाखा भी है.
  • जंगमबाड़ी मठ
    बनारस का यह मठ सैकड़ों हजारों साल पुराना माना जाता है, दक्षिण भारत के लिंगायत समुदाय से इस मठ का सीधा जुड़ाव है. शायद यही वजह है कि बनारस के इस मठ के जरिए महाराष्ट्र और कर्नाटक की राजनीति को साधने के लिए बड़े-बड़े नेता यहां पहुंच जाते हैं. हाल ही में यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा यहां पर कई बार आ चुके हैं. येदुरप्पा के यहां पर आना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह लिंगायत समुदाय से आते हैं और यह मत लिंगायत समुदाय से जुड़ा हुआ है.
  • बाबा कीनाराम आश्रम
    बाबा कीनाराम आश्रम रविंद्रपुरी क्षेत्र में स्थित है और बनारस ही नहीं बल्कि पूर्वांचल समेत देश के अलग-अलग हिस्से में इस मठ का एक अलग स्थान है. अघोर परंपरा के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में यह हम 16 शताब्दी के उत्तरार्ध से वाराणसी में पुनर्स्थापित है. ऐसा माना जाता है कि इस मठ से रघुवंशी यानी ठाकुर समाज का जुड़ा बहुत ज्यादा है. पूर्वांचल समेत अलग-अलग हिस्से से बड़ी संख्या में ठाकुर बिरादरी की आस्था का बड़ा केंद्र है. यही वजह है कि संत कीनाराम आश्रम समय पड़ाव स्थित सर्वेश्वरी समूह में राजनेताओं का आना लगा रहता है.
  • कबीर मठ
    कबीर मठ संत कबीर की जन्म स्थली और कर्म स्थली के रूप में जाना जाता है. लहरतारा स्थित कबीर मठ में कबीर के प्राकट्य को माना जाता है, जबकि कबीरचौरा स्थित मूलगादी मठ को कबीर की कर्म भूमि के रूप में माना जाता है. कबीर पंथियों के लिए यह स्थान काफी महत्वपूर्ण और आस्था का बड़ा केंद्र है. यही वजह है कि बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश के कई बड़े नेता कबीर मठ पहुंचते रहते हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के भाई पंकज मोदी ने भी यहां पर पहुंचकर संत समुदाय का आशीर्वाद लिया था. खुद सीएम योगी से लेकर कई बड़े नेता भी यहां पर आ चुके हैं.

इसे पढ़ें- यूक्रेन संकट के बीच प्रधानमंत्री ने की राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.