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एलर्जी और मौसम परिवर्तन की डबल मार से सांस के रोगियों की दुश्मन बनी Air pollution, ऐसे करें बचाव - Latest hindi UP news

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में वायु प्रदूषण का दंश बढ़ता जा रहा है. लिहाजा अस्पतालों में मरीजों की कतारें लंबी होती जा रही है. ऐसे में कुछ एहतियातों को अपनाकर सांस के साथ कैंसर व हृदय संबंधी बड़ी समस्याओं से भी बचा जा सकता है.

Air pollutionAir pollutionसांस के रोगियों की दुश्मन बनी पॉल्यूशन
Air pollutionसांस के रोगियों की दुश्मन बनी पॉल्यूशन
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Published : Nov 14, 2021, 10:33 AM IST

वाराणसीः दीपावली की धूम-धड़ाका के बाद देश की राजधानी से सटे उत्तर प्रदेश के जिला नोएडा में वायु प्रदूषण और बदलते मौसम के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में सांस के मरीजों का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है. जिसका परिणाम ये रहा कि सामान्य रूप से मंडलीय अस्पताल में ओपीडी 60 मरीजों की रहती थी वहीं यह आंकड़ा अब 100 को छू रहा है. ऐसे में सांस के रोगियों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है.

मास्क से छेड़छाड़ बढ़ा सकती है समस्या
इस बाबत SSPG मंडलीय चिकित्सालय के फिजीशियन डॉक्टर चौधरी ने बताया कि भारत में वायु प्रदूषण पहले से ही काफी है. ऊपर से इस मौसम में हवा का गति कम और हवा में नमी ज्यादा रहती है. इससे प्रदूषित कण हवा में मौजूद रहते हैं और हम इसे सांस के जरिए संक्रमित होने के लिए बाध्य रहते हैं. ऐसे में मरीजों को नियमित मास्क लगाइए. खुले में न सोयें, बच्चे, सांस के मरीज तथा वृद्धजन पूरी बांह के कपड़े पहने, गले को ढ़के. सुबह के समय 30 मिनट तक धूप में अवश्य बैठें.

कोविड प्रोटोकाल से कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से भी मुक्ति मिली रहेगी.उन्होंने बताया कि मंडलीय चिकित्सालय में सितम्बर में जहां 1245 मरीजों की ओपीडी रही वहीं अक्टूबर में 1457 मरीजों का ओपीडी में इलाज हुआ. इसमें ज़्यादातर मरीज वायरल फीवर, डेंगू मलेरिया, टाइफाइड, शुगर, उच्च रक्तचाप और टीबी के थे.

सांस के साथ कैंसर व हृदय संबंधी हो सकती हैं बड़ी समस्याएं
वायु प्रदूषण लंग्स के लिए बेहद ही खतरनाक है जो कि लोगों में बढ़ता ही जा रहा है. दूषित हवा में ज्यादा समय गुजारने से सीधे तौर पर फेफड़े प्रभावित होते हैं.प्रदूषित हवा में रहना दिन भर में कई सिगरेट पीने के बराबर है. आज का प्रदूषण सिगरेट पीने से भी ज्यादा खतरनाक हो चुका है. ये फेफ़ड़े के अलावा दिल के रोग भी देता है. प्रदूषित हवा दिल का दौरा पड़ने का भी बड़ा कारण हो सकती है. हालांकि, दूषित हवा की पहचान कर आप इससे सचेत हो सकते हैं.प्रदूषण से जो समस्याएं हो सकती हैं, उसके लक्षण शरीर पर पहले ही दिखने लग जाते हैं.

वाराणसीः दीपावली की धूम-धड़ाका के बाद देश की राजधानी से सटे उत्तर प्रदेश के जिला नोएडा में वायु प्रदूषण और बदलते मौसम के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में सांस के मरीजों का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है. जिसका परिणाम ये रहा कि सामान्य रूप से मंडलीय अस्पताल में ओपीडी 60 मरीजों की रहती थी वहीं यह आंकड़ा अब 100 को छू रहा है. ऐसे में सांस के रोगियों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है.

मास्क से छेड़छाड़ बढ़ा सकती है समस्या
इस बाबत SSPG मंडलीय चिकित्सालय के फिजीशियन डॉक्टर चौधरी ने बताया कि भारत में वायु प्रदूषण पहले से ही काफी है. ऊपर से इस मौसम में हवा का गति कम और हवा में नमी ज्यादा रहती है. इससे प्रदूषित कण हवा में मौजूद रहते हैं और हम इसे सांस के जरिए संक्रमित होने के लिए बाध्य रहते हैं. ऐसे में मरीजों को नियमित मास्क लगाइए. खुले में न सोयें, बच्चे, सांस के मरीज तथा वृद्धजन पूरी बांह के कपड़े पहने, गले को ढ़के. सुबह के समय 30 मिनट तक धूप में अवश्य बैठें.

कोविड प्रोटोकाल से कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से भी मुक्ति मिली रहेगी.उन्होंने बताया कि मंडलीय चिकित्सालय में सितम्बर में जहां 1245 मरीजों की ओपीडी रही वहीं अक्टूबर में 1457 मरीजों का ओपीडी में इलाज हुआ. इसमें ज़्यादातर मरीज वायरल फीवर, डेंगू मलेरिया, टाइफाइड, शुगर, उच्च रक्तचाप और टीबी के थे.

सांस के साथ कैंसर व हृदय संबंधी हो सकती हैं बड़ी समस्याएं
वायु प्रदूषण लंग्स के लिए बेहद ही खतरनाक है जो कि लोगों में बढ़ता ही जा रहा है. दूषित हवा में ज्यादा समय गुजारने से सीधे तौर पर फेफड़े प्रभावित होते हैं.प्रदूषित हवा में रहना दिन भर में कई सिगरेट पीने के बराबर है. आज का प्रदूषण सिगरेट पीने से भी ज्यादा खतरनाक हो चुका है. ये फेफ़ड़े के अलावा दिल के रोग भी देता है. प्रदूषित हवा दिल का दौरा पड़ने का भी बड़ा कारण हो सकती है. हालांकि, दूषित हवा की पहचान कर आप इससे सचेत हो सकते हैं.प्रदूषण से जो समस्याएं हो सकती हैं, उसके लक्षण शरीर पर पहले ही दिखने लग जाते हैं.

पढ़ें- वायु प्रदूषण पैदा कर सकता है इस्केमिक हृदय रोग, फेफड़ों को करता है प्रभावित

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