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वाराणसी: बीएचयू में ज्योतिषशास्त्र पर दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय ज्योतिष शास्त्रीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (वेबिनार) शनिवार को आरंभ हुआ, जिसमें देश के कोने-कोने से 400 से ज्यादा ज्योतिष विद्वान हिस्सा ले रहे हैं.

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Published : May 17, 2020, 2:55 PM IST

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ज्योतिष शास्त्रीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में ऑनलाइन चर्चा करते ज्योतिष विद्वान.

वाराणसी: समाज को जागरूक करने के लिए 'वर्तमान सन्दर्भ में ज्योतिषशास्त्र की प्रासंगिकता' पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग की तरफ से दो दिवसीय ज्योतिष शास्त्रीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (ऑनलाइन वेबिनार) का आरंभ हुआ है. इसमें देश के कोने-कोने से 400 से ज्यादा ज्योतिष के विद्वान हिस्सा ले रहे हैं.

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वेबिनार में भाग लेते ज्योतिष विद्वान.


मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि शास्त्र सर्वदा प्रासंगिक होता है. ज्योतिष का उद्देश्य लोगों का मार्गदर्शन करना और उनके जीवन का उद्देश्य बताना है. ज्योतिषी भगवान नहीं है और न ही किसी का प्रारब्ध (पूर्व के कर्म) बदल सकते हैं, लेकिन वह सही मार्गदर्शन कर सकता है. व्यक्ति का प्रारब्ध या नियति उसके संचित कर्मों के अनुसार बनती है. पिछले जन्मों में किए कर्म व्यक्ति को भोगने ही पड़ते हैं. ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाण्डेय ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र एक ऐसा प्राच्य विज्ञान है जो ग्रह, नक्षत्र, राशियों के परस्पर संबंध पर आधारित है.

वाराणसी: समाज को जागरूक करने के लिए 'वर्तमान सन्दर्भ में ज्योतिषशास्त्र की प्रासंगिकता' पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग की तरफ से दो दिवसीय ज्योतिष शास्त्रीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (ऑनलाइन वेबिनार) का आरंभ हुआ है. इसमें देश के कोने-कोने से 400 से ज्यादा ज्योतिष के विद्वान हिस्सा ले रहे हैं.

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वेबिनार में भाग लेते ज्योतिष विद्वान.


मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि शास्त्र सर्वदा प्रासंगिक होता है. ज्योतिष का उद्देश्य लोगों का मार्गदर्शन करना और उनके जीवन का उद्देश्य बताना है. ज्योतिषी भगवान नहीं है और न ही किसी का प्रारब्ध (पूर्व के कर्म) बदल सकते हैं, लेकिन वह सही मार्गदर्शन कर सकता है. व्यक्ति का प्रारब्ध या नियति उसके संचित कर्मों के अनुसार बनती है. पिछले जन्मों में किए कर्म व्यक्ति को भोगने ही पड़ते हैं. ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाण्डेय ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र एक ऐसा प्राच्य विज्ञान है जो ग्रह, नक्षत्र, राशियों के परस्पर संबंध पर आधारित है.

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