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बीएचयू के प्रोफेसर हरिहरनाथ त्रिपाठी की पुण्यतिथि पर किया नमन

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्री गुरुपिता प्रोफेसर हरिहर नाथ त्रिपाठी की 23 वीं पुण्यतिथि मनाई गई. कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखें. अतिथियों का स्वागत ज्येष्ठ पुत्र डॉ. सुशील कुमार त्रिपाठी ने किया.

हरिहरनाथ त्रिपाठी की 23 वीं पुण्यतिथि
हरिहरनाथ त्रिपाठी की 23 वीं पुण्यतिथि
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Published : Jan 7, 2021, 5:38 PM IST

वाराणसी: प्रोफेसर हरिहर नाथ त्रिपाठी फाउंडेशन द्वारा काशी हिंदू यूनिवर्सिटी में जोधपुर कॉलोनी स्थित आवास पर राजनीति शास्त्री गुरुपिता प्रोफेसर हरिहरनाथ त्रिपाठी की 23 वीं पुण्यतिथि मनाई गई. कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखें. मुख्य बिंदु यह उभर कर आया कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तर्क और संवेदनशीलता का अभाव है, जिसमें छात्रों, शिक्षकों एवं समाजसेवी संगठनों को खुलकर आगे आना चाहिए. समाज को शिक्षित करना इन सभी की जिम्मेदारी होनी चाहिए.

प्रोफेसर आरपी पाठक ने कहा कि धर्म और जाति को राजनीति से पृथक रखना चाहिए- यही राष्ट्रवाद का परिचायक है और राजनीतिक शिष्टाचार सन् 19060 से 1980 के दशक के बाद इक्कीसवीं सदी में गिरावट की तरफ हैं, राजनीतिक दलों को जनप्रतिनिधि के तौर पर पढ़े लिखे और शिक्षित वर्ग को चुनाव के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. इसी में राष्ट्रहित प्रतिलक्षित होता है.

मुख्य वक्ताओं में प्रोफेसर आर. पी पाठक (पूर्व डीन सामाजिक विज्ञान संस्थान,बीएचयू), श्री प्रजानाथ शर्मा,प्रोफेसर सतीश कुमार राय, डॉ. आभा मिश्रा पाठक,डॉ सीमा तिवारी,डॉ सरिता रानी, डॉ. अजय त्यागी, डॉ. दीपक राय, डॉ. पवन दुबे, संजीव सिंह, रितु पांडेय और राघवेंद्र चौबे उपस्थित रहे. अतिथियों का स्वागत ज्येष्ठ पुत्र डॉ. सुशील कुमार त्रिपाठी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. क्षेमेन्द्र मणि त्रिपाठी (विधि संकाय,बीएचयू) ने किया.

वाराणसी: प्रोफेसर हरिहर नाथ त्रिपाठी फाउंडेशन द्वारा काशी हिंदू यूनिवर्सिटी में जोधपुर कॉलोनी स्थित आवास पर राजनीति शास्त्री गुरुपिता प्रोफेसर हरिहरनाथ त्रिपाठी की 23 वीं पुण्यतिथि मनाई गई. कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखें. मुख्य बिंदु यह उभर कर आया कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तर्क और संवेदनशीलता का अभाव है, जिसमें छात्रों, शिक्षकों एवं समाजसेवी संगठनों को खुलकर आगे आना चाहिए. समाज को शिक्षित करना इन सभी की जिम्मेदारी होनी चाहिए.

प्रोफेसर आरपी पाठक ने कहा कि धर्म और जाति को राजनीति से पृथक रखना चाहिए- यही राष्ट्रवाद का परिचायक है और राजनीतिक शिष्टाचार सन् 19060 से 1980 के दशक के बाद इक्कीसवीं सदी में गिरावट की तरफ हैं, राजनीतिक दलों को जनप्रतिनिधि के तौर पर पढ़े लिखे और शिक्षित वर्ग को चुनाव के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. इसी में राष्ट्रहित प्रतिलक्षित होता है.

मुख्य वक्ताओं में प्रोफेसर आर. पी पाठक (पूर्व डीन सामाजिक विज्ञान संस्थान,बीएचयू), श्री प्रजानाथ शर्मा,प्रोफेसर सतीश कुमार राय, डॉ. आभा मिश्रा पाठक,डॉ सीमा तिवारी,डॉ सरिता रानी, डॉ. अजय त्यागी, डॉ. दीपक राय, डॉ. पवन दुबे, संजीव सिंह, रितु पांडेय और राघवेंद्र चौबे उपस्थित रहे. अतिथियों का स्वागत ज्येष्ठ पुत्र डॉ. सुशील कुमार त्रिपाठी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. क्षेमेन्द्र मणि त्रिपाठी (विधि संकाय,बीएचयू) ने किया.

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