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इस बार मायूस नहीं होंगे बनारस के मूर्तिकार, खुशी से खिले चेहरे, जानिए वजह

कोरोना संक्रमण की वजह से अरसे से आर्थिक संकट से जूझ रहे बनारस के मूर्तिकारों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं. इसकी वजह बना है सरकार का एक आदेश. इन मूर्तिकारों को उम्मीद है इससे उनका आर्थिक संकट दूर हो सकेगा. चलिए जानते है वह वजह.

काशी में दुर्गा पूजा की तैयारी.
काशी में दुर्गा पूजा की तैयारी.
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Published : Sep 27, 2021, 7:04 PM IST

वाराणसी: देश में कोविड-19 की लहर आने के बाद बनारस के मूर्तिकार भी आर्थिक संकट में फंस गए थे. लॉकडाउन और उसके बाद दूसरी लहर की वजह से पूरा काम चौपट हो गया. गणेश उत्सव, विश्वकर्मा पूजा और दुर्गा उत्सव पर रोक लगने से उनके बहुत आर्डर कैंसिल हो गए थे. खाने-पीने से लेकर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तक चौपट हो गई. अब उन्हें कोरोना की तीसरी लहर की चिंता सता रही थी.

हाल में ही दुर्गा पूजा के लिए सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गई तो उनके चेहरे खुशी से खिल उठे. दरअसल, सरकार की ओर से कुछ बंदिशों के साथ दुर्गा पूजा आयोजन की अनुमति दे दी गई है, इससे इन मूर्तिकारों की उम्मीद जग उठी हैं, हालांकि अभी उन्हें काफी आर्डर नहीं मिल रहे हैं. फिर भी उन्हें उम्मीद है कि अगले वर्ष से पूरे आर्डर मिलने लगेंगे.

काशी में दुर्गा पूजा की तैयारी.

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सात अक्टूबर से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है. इसके तहत खुले स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना करने के अलावा पांच फीट ऊंची ही प्रतिमाओं को स्थापित करने की अनुमति दी गई है. इस आदेश से मूर्तिकारों को काफी राहत मिली है. कोरोना संक्रमण की वजह से पहले गणेश उत्सव फिर विश्वकर्मा पूजा फिर दुर्गा पूजा और फिर काली पूजा में बनाई जाने वाली प्रतिमाओं के आर्डर कैंसिल होने से ये भुखमरी की कगार पर पहुंच गए थे.

ये भी पढ़ेंः विश्व पर्यटन दिवस: पयर्टकों का नया ठिकाना बन रहा सीएम योगी का गृह जनपद

वाराणसी के पांडेय हवेली क्षेत्र में दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण में कई मूर्तिकार जुटे हैं. इनमें से एक वंशी पाल के परिवार की कई पीढ़ियां इसी काम में जुटी हैं. बंगाल से आया यह परिवार बीते कई सालों से काशी में रह रहा है और भगवान की प्रतिमाएं बनाकर परिवार का जीवनयापन करता आ रहा है, लेकिन बीते लंबे वक्त से मूर्तियों के आर्डर कैंसिल होने के कारण पूरे परिवार के आगे रोजी-रोटी का बड़ा संकट था, लेकिन अब जब फिर से दुर्गा पूजा को लेकर नहीं गाइडलाइन जारी हुई है तो मूर्तिकारों में काफी खुशी देखने को मिल रही है.



हालांकि मूर्तिकारों का कहना है कि आदेश काफी देर से जारी हुआ है लेकिन उम्मीद है कि अब पुराने ढर्रे पर चीजें लौट आएंगी. अभी उतने आर्डर नहीं मिले हैं जितने मिलने चाहिए. सैकड़ों की संख्या में मूर्तियां बनाई जा रही है. निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुए मूर्तियों का साइज पांच फीट तक ही रखा जा रहा है, ताकि उन्हें विसर्जन करने में दिक्कत न हो.

बनारस में तैयार होने लगीं माता की भव्य प्रतिमाएं.
बनारस में तैयार होने लगीं माता की भव्य प्रतिमाएं.

वाराणसी में इस वक्त 322 से ज्यादा दुर्गा पूजा समितियां रजिस्टर्ड है. बिना रजिस्ट्रेशन के इससे ज्यादा दुर्गा प्रतिमाएं और पूजा पंडाल स्थापित होते हैं. वाराणसी को मिनी कोलकाता के नाम से भी जाना जाता है. हर साल शारदीय नवरात्र में सैकड़ों की संख्या में दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना भी होती है. यही वजह है कि मूर्तिकारों के सामने बीते दो सालों से बड़ा आर्थिक संकट था. हालांकि अब वे खुश हैं.

वाराणसी: देश में कोविड-19 की लहर आने के बाद बनारस के मूर्तिकार भी आर्थिक संकट में फंस गए थे. लॉकडाउन और उसके बाद दूसरी लहर की वजह से पूरा काम चौपट हो गया. गणेश उत्सव, विश्वकर्मा पूजा और दुर्गा उत्सव पर रोक लगने से उनके बहुत आर्डर कैंसिल हो गए थे. खाने-पीने से लेकर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तक चौपट हो गई. अब उन्हें कोरोना की तीसरी लहर की चिंता सता रही थी.

हाल में ही दुर्गा पूजा के लिए सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गई तो उनके चेहरे खुशी से खिल उठे. दरअसल, सरकार की ओर से कुछ बंदिशों के साथ दुर्गा पूजा आयोजन की अनुमति दे दी गई है, इससे इन मूर्तिकारों की उम्मीद जग उठी हैं, हालांकि अभी उन्हें काफी आर्डर नहीं मिल रहे हैं. फिर भी उन्हें उम्मीद है कि अगले वर्ष से पूरे आर्डर मिलने लगेंगे.

काशी में दुर्गा पूजा की तैयारी.

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सात अक्टूबर से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है. इसके तहत खुले स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना करने के अलावा पांच फीट ऊंची ही प्रतिमाओं को स्थापित करने की अनुमति दी गई है. इस आदेश से मूर्तिकारों को काफी राहत मिली है. कोरोना संक्रमण की वजह से पहले गणेश उत्सव फिर विश्वकर्मा पूजा फिर दुर्गा पूजा और फिर काली पूजा में बनाई जाने वाली प्रतिमाओं के आर्डर कैंसिल होने से ये भुखमरी की कगार पर पहुंच गए थे.

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वाराणसी के पांडेय हवेली क्षेत्र में दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण में कई मूर्तिकार जुटे हैं. इनमें से एक वंशी पाल के परिवार की कई पीढ़ियां इसी काम में जुटी हैं. बंगाल से आया यह परिवार बीते कई सालों से काशी में रह रहा है और भगवान की प्रतिमाएं बनाकर परिवार का जीवनयापन करता आ रहा है, लेकिन बीते लंबे वक्त से मूर्तियों के आर्डर कैंसिल होने के कारण पूरे परिवार के आगे रोजी-रोटी का बड़ा संकट था, लेकिन अब जब फिर से दुर्गा पूजा को लेकर नहीं गाइडलाइन जारी हुई है तो मूर्तिकारों में काफी खुशी देखने को मिल रही है.



हालांकि मूर्तिकारों का कहना है कि आदेश काफी देर से जारी हुआ है लेकिन उम्मीद है कि अब पुराने ढर्रे पर चीजें लौट आएंगी. अभी उतने आर्डर नहीं मिले हैं जितने मिलने चाहिए. सैकड़ों की संख्या में मूर्तियां बनाई जा रही है. निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुए मूर्तियों का साइज पांच फीट तक ही रखा जा रहा है, ताकि उन्हें विसर्जन करने में दिक्कत न हो.

बनारस में तैयार होने लगीं माता की भव्य प्रतिमाएं.
बनारस में तैयार होने लगीं माता की भव्य प्रतिमाएं.

वाराणसी में इस वक्त 322 से ज्यादा दुर्गा पूजा समितियां रजिस्टर्ड है. बिना रजिस्ट्रेशन के इससे ज्यादा दुर्गा प्रतिमाएं और पूजा पंडाल स्थापित होते हैं. वाराणसी को मिनी कोलकाता के नाम से भी जाना जाता है. हर साल शारदीय नवरात्र में सैकड़ों की संख्या में दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना भी होती है. यही वजह है कि मूर्तिकारों के सामने बीते दो सालों से बड़ा आर्थिक संकट था. हालांकि अब वे खुश हैं.

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