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हर घर तिरंगा यात्रा: पढ़ाना छोड़ झंडे बेचने में लगे शिक्षक, बोले- ऐसे धन उगाही नहीं है ठीक

वाराणसी में हर घर तिरंगा यात्रा अभियान के तहत जिले में शिक्षा विभाग को 120000 का टारगेट दिया गया है. इसके चलते शिक्षकों में रोष है, उनका कहना है कि हर घर तिरंगा यात्रा के नाम पर शिक्षकों से धन उगाही ठीक नहीं है.

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हर घर तिरंगा यात्रा
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Published : Jul 28, 2022, 5:32 PM IST

वाराणसी: कहते हैं शिक्षक समाज का सबसे मजबूत स्तंभ है, क्योंकि अपने छात्रों के भविष्य को संवारने के साथ देश के भविष्य के लिए भी शिक्षक अपनी पूरी जी जान लगा देता है, लेकिन इन दिनों शिक्षक कुछ नाराज हैं. नाराजगी इस बात की कि उन्हें लगातार शैक्षणिक कार्यों से विरत कर गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा रहा है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में इन दिनों हर घर तिरंगा अभियान को लेकर तैयारी जोर शोर से चल रही है. 11 अगस्त से 17 अगस्त तक प्रदेश सरकार के इस आयोजन में पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में हर घर पर तिरंगा फहराना है, जिसे लेकर हर विभाग को तिरंगे घर-घर पहुंचाने का टारगेट दिया जा रहा है. इसके चलते वाराणसी में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से बकायदा एक चिट्ठी जारी कर सभी ब्लॉक को टारगेट निर्धारित किया गया है.

जानकारी देते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह

हर ब्लॉक को लगभग 11000 तिरंगे खरीदने का लक्ष्य दिया गया है, जिसके लिए 40 रुपये की दर से 440000 की धनराशि निर्धारित खाता संख्या में जमा करने का भी आदेश दिया गया है, जिससे शिक्षिकों में हड़कंप मच गया. हालांकि शिक्षा विभाग ने पहले ऐसे किसी भी आदेश से इनकार किया था. लेकिन ईटीवी भारत की जांच पड़ताल के बाद उन्होंने मान लिया की आदेश वापस भी हुआ है. शिक्षक इस टारगेट से परेशान हैं, उनका कहना है पहले प्रति शिक्षक 16 झंडे 40 की दर से खरीदने का लिखित आदेश था. अब भले ही अब आदेश वापस लेने की अधिकारी बात कर रहे हैं. लेकिन अब भी शिक्षक झंडे खरीदने के लिए 600 रुपये प्रति शिक्षक वसूले गए हैं.

यह भी पढ़ें- राज्यपाल के जीवन पर आधारित पुस्तक 'प्रतिबद्धता के पदचिह्न' का विमोचन, सरकार के कामों की हुई समीक्षा

लगातार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने को लेकर शिक्षक संघ और शिक्षक एकजुट हो रहे हैं. उनका कहना है कि वाराणसी में बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा मनमाने तरीके से कार्य किया जा रहा है. कभी वीआईपी ड्यूटी तो कभी मंत्री की अगवानी और कभी किसी अन्य सरकारी काम में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है. हमेशा चुनाव से लेकर पोलियो अभियान में शिक्षक अपना योगदान देते हैं, लेकिन हर घर तिरंगा यात्रा के नाम पर शिक्षकों से धन उगाही ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि शिक्षक कहां से पैसा लाएंगे और क्यों भरेंगे कोई यदि पैसे का भुगतान नहीं करता है, तो उनके जगह पर शिक्षक टारगेट को पूरा करेंगे जोर जबरदस्ती से नहीं बल्कि सहभागिता से कार्य किया जाना चाहिए.

शिक्षकों ने कहा कि इसके अतिरिक्त काशी विद्यापीठ ब्लॉक को टारगेट के 2000 झंडे के 80000 रुपये अन्य विद्यापीठ ब्लाक को 9000 झंडे के 360000 रुपये, आराजी लाइन को 6000 झंडे के 240000 रुपये, 5000 झंडे के 200000 रुपये और रामनगर के साथ ही नगर सीमा के विद्यालयों को 12000 झंडे के 480000 रुपये निर्धारित बैंक खाते में जमा करने के लिए कहा गया है, जिसके बाद सवाल उठना लाजमी है कि बाकायदा लेटर जारी कर टारगेट देते हुए शिक्षकों से इस तरह की वसूली कितनी सही है, जिसका वह विरोध करते है.

वहीं, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी पत्र में प्रत्येक ब्लॉक को टारगेट दिया गया है. इसमें विकास क्षेत्र चिरईगांव चोलापुर थाना सेवापुरी बड़ागांव को 11- 11 हजार झंडे 40 रुपये की दर से कलेक्शन कर 444000 रुपये दिए गए एचडीएफसी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं.

बता दें कि, हर घर तिरंगा यात्रा के लिए सरकारी तंत्र इस समय सबसे ज्यादा एक्टिव है. तिरंगा कार्यक्रम के तहत झंडा तैयार करने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लगाया गया है. जिसके लिए प्रति झंडे के हिसाब से उनको उसका भुगतान किया जाना है. इसके लिए हर विभाग को टारगेट भी दिया जा रहा है. वाराणसी में शिक्षा विभाग को 120000 का टारगेट दिया गया है. खुद इस बात की पुष्टि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह कर रहे हैं. उनका कहना है कि 120000 को पूरा करने के लिए हमें भी तो प्रेशर है. हमने किसी को कोई लक्ष्य नहीं दिया है, लेकिन हां सहयोग सभी को करना है.

सहयोग के लिए शिक्षा विभाग खड़ा हुआ है, क्योंकि तिरंगे का सम्मान है और यह गैर शैक्षणिक कार्य नहीं बल्कि बच्चों तक तिरंगे के सम्मान की बात को पहुंचाना है, जो शिक्षक बेहतर तरीके से कर सकता है. उनका कहना है कि ब्लॉक वाइज दिए गए टारगेट को लेकर कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जा रही है. सभी को यह कहा गया है कि अपने स्तर पर कलेक्शन करें ताकि जो महिलाएं इस को तैयार कर रही हैं. उनको भुगतान कर लक्ष्य को पूरा किया जा सके.

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वाराणसी: कहते हैं शिक्षक समाज का सबसे मजबूत स्तंभ है, क्योंकि अपने छात्रों के भविष्य को संवारने के साथ देश के भविष्य के लिए भी शिक्षक अपनी पूरी जी जान लगा देता है, लेकिन इन दिनों शिक्षक कुछ नाराज हैं. नाराजगी इस बात की कि उन्हें लगातार शैक्षणिक कार्यों से विरत कर गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा रहा है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में इन दिनों हर घर तिरंगा अभियान को लेकर तैयारी जोर शोर से चल रही है. 11 अगस्त से 17 अगस्त तक प्रदेश सरकार के इस आयोजन में पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में हर घर पर तिरंगा फहराना है, जिसे लेकर हर विभाग को तिरंगे घर-घर पहुंचाने का टारगेट दिया जा रहा है. इसके चलते वाराणसी में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से बकायदा एक चिट्ठी जारी कर सभी ब्लॉक को टारगेट निर्धारित किया गया है.

जानकारी देते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह

हर ब्लॉक को लगभग 11000 तिरंगे खरीदने का लक्ष्य दिया गया है, जिसके लिए 40 रुपये की दर से 440000 की धनराशि निर्धारित खाता संख्या में जमा करने का भी आदेश दिया गया है, जिससे शिक्षिकों में हड़कंप मच गया. हालांकि शिक्षा विभाग ने पहले ऐसे किसी भी आदेश से इनकार किया था. लेकिन ईटीवी भारत की जांच पड़ताल के बाद उन्होंने मान लिया की आदेश वापस भी हुआ है. शिक्षक इस टारगेट से परेशान हैं, उनका कहना है पहले प्रति शिक्षक 16 झंडे 40 की दर से खरीदने का लिखित आदेश था. अब भले ही अब आदेश वापस लेने की अधिकारी बात कर रहे हैं. लेकिन अब भी शिक्षक झंडे खरीदने के लिए 600 रुपये प्रति शिक्षक वसूले गए हैं.

यह भी पढ़ें- राज्यपाल के जीवन पर आधारित पुस्तक 'प्रतिबद्धता के पदचिह्न' का विमोचन, सरकार के कामों की हुई समीक्षा

लगातार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने को लेकर शिक्षक संघ और शिक्षक एकजुट हो रहे हैं. उनका कहना है कि वाराणसी में बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा मनमाने तरीके से कार्य किया जा रहा है. कभी वीआईपी ड्यूटी तो कभी मंत्री की अगवानी और कभी किसी अन्य सरकारी काम में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है. हमेशा चुनाव से लेकर पोलियो अभियान में शिक्षक अपना योगदान देते हैं, लेकिन हर घर तिरंगा यात्रा के नाम पर शिक्षकों से धन उगाही ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि शिक्षक कहां से पैसा लाएंगे और क्यों भरेंगे कोई यदि पैसे का भुगतान नहीं करता है, तो उनके जगह पर शिक्षक टारगेट को पूरा करेंगे जोर जबरदस्ती से नहीं बल्कि सहभागिता से कार्य किया जाना चाहिए.

शिक्षकों ने कहा कि इसके अतिरिक्त काशी विद्यापीठ ब्लॉक को टारगेट के 2000 झंडे के 80000 रुपये अन्य विद्यापीठ ब्लाक को 9000 झंडे के 360000 रुपये, आराजी लाइन को 6000 झंडे के 240000 रुपये, 5000 झंडे के 200000 रुपये और रामनगर के साथ ही नगर सीमा के विद्यालयों को 12000 झंडे के 480000 रुपये निर्धारित बैंक खाते में जमा करने के लिए कहा गया है, जिसके बाद सवाल उठना लाजमी है कि बाकायदा लेटर जारी कर टारगेट देते हुए शिक्षकों से इस तरह की वसूली कितनी सही है, जिसका वह विरोध करते है.

वहीं, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी पत्र में प्रत्येक ब्लॉक को टारगेट दिया गया है. इसमें विकास क्षेत्र चिरईगांव चोलापुर थाना सेवापुरी बड़ागांव को 11- 11 हजार झंडे 40 रुपये की दर से कलेक्शन कर 444000 रुपये दिए गए एचडीएफसी बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं.

बता दें कि, हर घर तिरंगा यात्रा के लिए सरकारी तंत्र इस समय सबसे ज्यादा एक्टिव है. तिरंगा कार्यक्रम के तहत झंडा तैयार करने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लगाया गया है. जिसके लिए प्रति झंडे के हिसाब से उनको उसका भुगतान किया जाना है. इसके लिए हर विभाग को टारगेट भी दिया जा रहा है. वाराणसी में शिक्षा विभाग को 120000 का टारगेट दिया गया है. खुद इस बात की पुष्टि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह कर रहे हैं. उनका कहना है कि 120000 को पूरा करने के लिए हमें भी तो प्रेशर है. हमने किसी को कोई लक्ष्य नहीं दिया है, लेकिन हां सहयोग सभी को करना है.

सहयोग के लिए शिक्षा विभाग खड़ा हुआ है, क्योंकि तिरंगे का सम्मान है और यह गैर शैक्षणिक कार्य नहीं बल्कि बच्चों तक तिरंगे के सम्मान की बात को पहुंचाना है, जो शिक्षक बेहतर तरीके से कर सकता है. उनका कहना है कि ब्लॉक वाइज दिए गए टारगेट को लेकर कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जा रही है. सभी को यह कहा गया है कि अपने स्तर पर कलेक्शन करें ताकि जो महिलाएं इस को तैयार कर रही हैं. उनको भुगतान कर लक्ष्य को पूरा किया जा सके.

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