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वाराणसी: खंडहर बन चुका है विवेकानंद का निवास स्थल गोपाल लाल किला - वाराणसी ताजा खबर

वाराणसी में बना गोपाल लाल किला, जिसमें स्वामी विवेकानंद ने अपनी मृत्यु से पहले 1 महीने 10 दिन बिताए थे. आज यह एक खंडहर के रूप में तब्दील हो चुका है. बनारस के लोग पिछले कई सालों से लगातार इस बात को लेकर सरकार तक जा रहे हैं, पर अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.

स्वामी विवेकानंद का निवास स्थल बन चुका है खंडहर.स्वामी विवेकानंद का निवास स्थल बन चुका है खंडहर.
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Published : Jul 4, 2019, 7:08 PM IST

वाराणसी: जिले में बने एक खंडहर की दास्तान अगर कहीं जाए तो काशी के लिए इसका महत्व 4 गुना बढ़ जाता है. आज सिर्फ ईंट और मिट्टी की रह गई हैं दीवारें कुछ अरसे पहले तक स्वामी विवेकानंद का निवास स्थल हुआ करती थी. स्वामी विवेकानंद अपनी मृत्यु से 5 महीने पहले बनारस आए थे और उन्होंने 1 महीने 10 दिन बनारस के इसी मकान में निवास किया था.

स्वामी विवेकानंद का निवास स्थल बन चुका है खंडहर.
  • 4 जुलाई को युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के पुण्यतिथि पूरे देश में मनाई जाती है.
  • स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई 1902 में वेल्लूर में हुई थी, लेकिन उनके जीवन के अंतिम कुछ बेहतरीन पल बनारस के इस घर में बीते हैं.
  • जो स्वामी विवेकानंद के आने से पहले मकान था और अब उनकी मौत के बाद एक खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है.
  • आज उस खंडहर पर जंगली पेड़ों की बेल चढ़ी नजर आती है.
  • कई सालों से इस जगह को स्वामी विवेकानंद धाम बनाने की अपील काशी वासियों ने की है.
  • फिलहाल सरकार के आला अधिकारियों के पास महापुरुषों के लिए समय निकालना मुश्किल हो रहा है.

पिछले कई सालों से लगातार इस बात को लेकर सरकार तक जा रहे हैं. पर अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाए गए. काशी वासियों की उम्मीद है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी को विकास की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं. ठीक उसी प्रकार वाराणसी में महापुरुषों से जुड़े स्थलों को भी विकसित किया जाए, ताकि आज की युवा पीढ़ी को महापुरुषों के इतिहास से रूबरू हो सकें.

-नित्यानंद राय, पूर्व महामंत्री, बार एसोसिएशन, बनारस

वाराणसी: जिले में बने एक खंडहर की दास्तान अगर कहीं जाए तो काशी के लिए इसका महत्व 4 गुना बढ़ जाता है. आज सिर्फ ईंट और मिट्टी की रह गई हैं दीवारें कुछ अरसे पहले तक स्वामी विवेकानंद का निवास स्थल हुआ करती थी. स्वामी विवेकानंद अपनी मृत्यु से 5 महीने पहले बनारस आए थे और उन्होंने 1 महीने 10 दिन बनारस के इसी मकान में निवास किया था.

स्वामी विवेकानंद का निवास स्थल बन चुका है खंडहर.
  • 4 जुलाई को युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के पुण्यतिथि पूरे देश में मनाई जाती है.
  • स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई 1902 में वेल्लूर में हुई थी, लेकिन उनके जीवन के अंतिम कुछ बेहतरीन पल बनारस के इस घर में बीते हैं.
  • जो स्वामी विवेकानंद के आने से पहले मकान था और अब उनकी मौत के बाद एक खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है.
  • आज उस खंडहर पर जंगली पेड़ों की बेल चढ़ी नजर आती है.
  • कई सालों से इस जगह को स्वामी विवेकानंद धाम बनाने की अपील काशी वासियों ने की है.
  • फिलहाल सरकार के आला अधिकारियों के पास महापुरुषों के लिए समय निकालना मुश्किल हो रहा है.

पिछले कई सालों से लगातार इस बात को लेकर सरकार तक जा रहे हैं. पर अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाए गए. काशी वासियों की उम्मीद है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी को विकास की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं. ठीक उसी प्रकार वाराणसी में महापुरुषों से जुड़े स्थलों को भी विकसित किया जाए, ताकि आज की युवा पीढ़ी को महापुरुषों के इतिहास से रूबरू हो सकें.

-नित्यानंद राय, पूर्व महामंत्री, बार एसोसिएशन, बनारस

Intro:वाराणसी। मकान दरकते है, लेकिन हर ईट अपनी दास्तान सालों तक करती रहती है कुछ ऐसी ही कहानी है। वाराणसी में बने एक खंडहर थी इस खंडहर की दास्तान अगर कहीं जाए तो काशी के लिए इसका महत्व 4 गुना बढ़ जाता है। आज सिर्फ ईट और मिट्टी की रह गई है दीवार है कुछ अरसे पहले तक स्वामी विवेकानंद का निवास स्थल हुआ करती थी। स्वामी विवेकानंद अपनी मृत्यु से 5 महीने पहले बनारस आए थे और उन्होंने 1 महीने 10 बनारस के एचडी क्वालिटी बने इसी मकान में निवास किया था।


Body:VO1:- 4 जुलाई को युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के पुण्यतिथि पूरे देश में मनाई जाती है। स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई उन्नीस सौ दो में वेल्लूर में हुई थी लेकिन उनके जीवन के अंतिम कुछ बेहतरीन पल बनारस के इस घर में बीते हैं। जो स्वामी विवेकानंद के आने से पहले मकान था और अब उनकी मौत के बाद एक खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है। जिस घर में कभी चहल कदमी होती थी आज वहां सन्नाटा साए साए करता है, जिस घर के पीछे के हिस्से को गुलाब का बगीचा गुलजार करता रहा। आज उस खंडहर पर जंगली पेड़ों की बेल चढ़ी नजर आती है। कई सालों से इस जगह को स्वामी विवेकानंद धाम बनाने की अपील काशी वासियों ने की है पर शायद फिलहाल सरकार के आला अधिकारियों के पास महापुरुषों के लिए समय निकालना मुश्किल हो रहा है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आला अधिकारियों से लेकर वाराणसी के प्रशासन तक को कई बार इस मामले में पहल करने के लिए अपील की जा चुकी है पर किसी के पास फुर्सत तक नहीं कि वह इस इमारत पर थोड़ा ध्यान दें। बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जर्जर स्थिति में पहुंच चुके गोपाल लाल विला को विवेकानंद धाम के रूप में विकसित करने का अनुरोध किया है उनका कहना है कि वह पिछले कई सालों से लगातार इस बात को लेकर सरकार तक जा रहे हैं पर अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाए गए। काशी वासियों की उम्मीद है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी को विकास की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं ठीक उसी प्रकार वाराणसी में महापुरुषों से जुड़े स्थलों को भी विकसित किया जाए ताकि आज की युवा पीढ़ी को महापुरुषों के इतिहास से रूबरू करा सकेंगे।

बाइट:- नित्यानंद राय, पूर्व महामंत्री, दी बनारस बार एसोसिएशन


Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236


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