वाराणसी: जिले में बने एक खंडहर की दास्तान अगर कहीं जाए तो काशी के लिए इसका महत्व 4 गुना बढ़ जाता है. आज सिर्फ ईंट और मिट्टी की रह गई हैं दीवारें कुछ अरसे पहले तक स्वामी विवेकानंद का निवास स्थल हुआ करती थी. स्वामी विवेकानंद अपनी मृत्यु से 5 महीने पहले बनारस आए थे और उन्होंने 1 महीने 10 दिन बनारस के इसी मकान में निवास किया था.
- 4 जुलाई को युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के पुण्यतिथि पूरे देश में मनाई जाती है.
- स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई 1902 में वेल्लूर में हुई थी, लेकिन उनके जीवन के अंतिम कुछ बेहतरीन पल बनारस के इस घर में बीते हैं.
- जो स्वामी विवेकानंद के आने से पहले मकान था और अब उनकी मौत के बाद एक खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है.
- आज उस खंडहर पर जंगली पेड़ों की बेल चढ़ी नजर आती है.
- कई सालों से इस जगह को स्वामी विवेकानंद धाम बनाने की अपील काशी वासियों ने की है.
- फिलहाल सरकार के आला अधिकारियों के पास महापुरुषों के लिए समय निकालना मुश्किल हो रहा है.
पिछले कई सालों से लगातार इस बात को लेकर सरकार तक जा रहे हैं. पर अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाए गए. काशी वासियों की उम्मीद है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी को विकास की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं. ठीक उसी प्रकार वाराणसी में महापुरुषों से जुड़े स्थलों को भी विकसित किया जाए, ताकि आज की युवा पीढ़ी को महापुरुषों के इतिहास से रूबरू हो सकें.
-नित्यानंद राय, पूर्व महामंत्री, बार एसोसिएशन, बनारस