अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने झूठी शिकायतें करने वाले प्रोफेसर रियाजुद्दीन को निलंबित कर दिया है. केमिस्ट्री विभाग के आरोपी प्रोफेसर छात्रा बनकर अपने साथियों की झूठी शिकायतें करते थे. जिसके बाद पीड़ित प्रोफेसर ने खुद ही उनके खिलाफ साक्ष्य जुटाए थे और इसकी जानकारी इंतजामिया और पुलिस को दी थी.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय केमिस्ट्री विभाग के आरोपी प्रोफेसर रियाजुद्दीन ने छात्रा के नाम पर अपने ही विभाग के एसो. प्रोफेसर की झूठी शिकायतें की थीं. यह मामला खुला तो पुलिस ने भी आरोपी शिक्षक से पूछताछ की थी. पुलिस की रिपोर्ट मिलने के बाद एएमयू रजिस्ट्रार ने आरोपी प्रोफेसर को नोटिस देकर जवाब मांगा था. जवाब नहीं देने पर रजिस्ट्रार ने प्रोफेसर रियाजुद्दीन को सस्पेंड कर दिया है.
केमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर रियाजुद्दीन पर आरोप है कि उन्होंने अपने डिपार्टमेंट की झूठी शिकायतें कीं. उनके विभाग के एसो. प्रोफेसर डॉ. इशात मोहम्मद खान ने यह गंभीर आरोप लगाए हैं. बताया था कि छात्रा के नाम पर उनकी झूठी शिकायतें आरोपी प्रो. रियाजुद्दीन डाक विभाग से रजिस्ट्री और स्पीड पोस्ट के जरिए पुलिस और एएमयू अधिकारियों को करते थे.
डॉ. इशात मोहम्मद खान ने बीते 16 नवंबर को प्रोफेसर रियाजुद्दीन की शिकायत की थी. जिसमें उन्होंने बताया कि रियाजुद्दीन लगातार उनकी झूठी शिकायतें कर रहे हैं और अधिकारियों को गमराह भी कर रहे हैं. उन्होंने 20 सितंबर 2024 को भी छात्रा के नाम से झूठी शिकायत की. एसो. प्रोफेसर ने डाक विभाग की सीसीटीवी फुटेज भी एएमयू के अधिकारियों और पुलिस को सौंपी है. जिसके बाद आरोपी प्रोफेसर को नोटिस जारी किया गया.
इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रो. रियाजुद्दीन को निलंबित कर दिया है. इसमें कहा गया है कि प्रोफेसर रियाजुद्दीन के खिलाफ 16 नवंबर 2024 को डॉ. इशात मोहम्मद खान, एसोसिएट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग से एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रो. रियाजुद्दीन ने उनकी शैक्षणिक गतिविधियों को नुकसान पहुंचाने और उनकी छवि खराब करने के इरादे से कुलपति, आंतरिक शिकायत समिति के पीठासीन अधिकारी और अन्य सहित विभिन्न व्यक्तियों को पंजीकृत डाक के माध्यम से फर्जी नाम से पत्र की 22 प्रतियां भेजी थीं. प्रो. रियाजुद्दीन से स्पष्टीकरण मांगा गया था, जो 20 दिसंबर 2024 को प्राप्त हुआ. इसे कुलपति के समक्ष रखा गया. स्पष्टीकरण को असंतोषजनक पाया गया. प्रथम दृष्टया यह प्रो. रियाजुद्दीन की ओर से कदाचार का मामला प्रतीत होता है. अब इसलिए कुलपति, विश्वविद्यालय के क़ानून के क़ानून 40(3)(सी) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रो. रियाजुद्दीन को विभागीय जांच लंबित रहने तक तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हैं. यह भी आदेश दिया जाता है कि कुलपति की अनुमति बगैर वे अलीगढ़ नहीं छोड़ेंगे.