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कल मनाई जाएगी स्वामी रामानंदाचार्य की 722वीं जयंती

वाराणसी में 24 जनवरी को आयोजित होगी आदि जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य की 722वीं जयंती. धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में वैष्णों विरक्त संत समाज के तत्वावधान में आयोजित जयंती में जुटेंगे देश भर के साधु-संत. डॉ. स्वामी रामकमल दास वेदांती महाराज ने बताया कि वैश्विक कोरोना महामारी के दौर में कोविड 19 प्रोटोकॉल का किया जाएगा पालन.

जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य की 722 वीं जयंती
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य की 722 वीं जयंती
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Published : Jan 23, 2022, 10:13 AM IST

वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में वैष्णों विरक्त संत समाज के तत्वाधान में आदि जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य की 722वीं जयंती का 24 जनवरी को आयोजन किया जाएगा. आयोजन में देश भर के साधु-संत जुटेंगे. विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम और विद्वान लोग धर्म पर चर्चा करेंगे. यह कार्यक्रम शहर के विभिन्न मंदिरों में आयोजित होगा.

स्वामी रामानंदाचार्य का जन्म संगम नगरी प्रयागराज की धरती पर सन 1356 में हुआ था. 5 वर्ष की आयु में वह वाराणसी के पश्चिम घाट स्थित स्वामी राघवाचार्य महाराज के पास पहुंचे. यहां पर उन्होंने वेद वेदांत निपुण आचार्य पद पर प्रतिष्ठित होकर जनकल्याण श्री राम भक्ति और धर्म का प्रचार किया.

यह भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव : रैलियों पर प्रतिबंध 31 जनवरी तक बढ़ाया गया, पहले दो चरणों के मतदान के लिए कुछ छूट


14वीं शताब्दी के मध्य काल में प्रजा उच्च नीच, भेदभाव, अधर्म, अन्याय, अत्याचार से त्रस्त थी और अपना धर्म छोड़कर अन्य धर्म ग्रहण करने को मजबूर थे. जजिया कर से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे थे उस दौर में महाराज जी ने राम भक्ति का प्रचार किया और लोगों को सनातन धर्म में वापसी करवाने का काम किया. कबीरदास ने ऐसे महान संत स्वामी रामानंदाचार्य को अपना गुरु बनाया. रैदास के भी गुरु रामानंदाचार्य ही रहे.

डॉ. स्वामी रामकमल दास वेदांती महाराज ने बताया कि स्वामी रामानंदाचार्य की 722वीं जयंती (माघ कृष्ण पक्ष सप्तमी दिन सोमवार) प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाएगी. इस वर्ष जयंती 24 जनवरी को श्री वैष्णों विरक्त संत समाज काशी के तत्वावधान में मनाई जाएगी. सभी राम मंदिरों और मठों में उनकी जयंती मनाई जाएगी.

वेदांती महाराज ने बताया कि जयंती के लिए श्री आचार्य जी का विग्रह स्थापित किया जाता है. विभिन्न शोभायात्रा दशाश्वमेध घाट से गाजे-बाजे के साथ निकलेगी. चितरंजन पार्क में पूजन-पाठ के बाद शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए यात्रा निकाली जाएगी. यात्रा श्री राधा कृष्ण, राम जानकी हनुमान मंदिर पर समाप्त होगी. शाम को विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा. वैश्विक कोरोना महामारी के दौर में कोविड 19 प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा.

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वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में वैष्णों विरक्त संत समाज के तत्वाधान में आदि जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य की 722वीं जयंती का 24 जनवरी को आयोजन किया जाएगा. आयोजन में देश भर के साधु-संत जुटेंगे. विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम और विद्वान लोग धर्म पर चर्चा करेंगे. यह कार्यक्रम शहर के विभिन्न मंदिरों में आयोजित होगा.

स्वामी रामानंदाचार्य का जन्म संगम नगरी प्रयागराज की धरती पर सन 1356 में हुआ था. 5 वर्ष की आयु में वह वाराणसी के पश्चिम घाट स्थित स्वामी राघवाचार्य महाराज के पास पहुंचे. यहां पर उन्होंने वेद वेदांत निपुण आचार्य पद पर प्रतिष्ठित होकर जनकल्याण श्री राम भक्ति और धर्म का प्रचार किया.

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14वीं शताब्दी के मध्य काल में प्रजा उच्च नीच, भेदभाव, अधर्म, अन्याय, अत्याचार से त्रस्त थी और अपना धर्म छोड़कर अन्य धर्म ग्रहण करने को मजबूर थे. जजिया कर से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे थे उस दौर में महाराज जी ने राम भक्ति का प्रचार किया और लोगों को सनातन धर्म में वापसी करवाने का काम किया. कबीरदास ने ऐसे महान संत स्वामी रामानंदाचार्य को अपना गुरु बनाया. रैदास के भी गुरु रामानंदाचार्य ही रहे.

डॉ. स्वामी रामकमल दास वेदांती महाराज ने बताया कि स्वामी रामानंदाचार्य की 722वीं जयंती (माघ कृष्ण पक्ष सप्तमी दिन सोमवार) प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाएगी. इस वर्ष जयंती 24 जनवरी को श्री वैष्णों विरक्त संत समाज काशी के तत्वावधान में मनाई जाएगी. सभी राम मंदिरों और मठों में उनकी जयंती मनाई जाएगी.

वेदांती महाराज ने बताया कि जयंती के लिए श्री आचार्य जी का विग्रह स्थापित किया जाता है. विभिन्न शोभायात्रा दशाश्वमेध घाट से गाजे-बाजे के साथ निकलेगी. चितरंजन पार्क में पूजन-पाठ के बाद शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए यात्रा निकाली जाएगी. यात्रा श्री राधा कृष्ण, राम जानकी हनुमान मंदिर पर समाप्त होगी. शाम को विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा. वैश्विक कोरोना महामारी के दौर में कोविड 19 प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा.

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