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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर केंद्र सरकार पर उठाए सवाल

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण ट्रस्ट को लेकर ईटीवी से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने नए ट्रस्ट का गठन कर धर्माचार्यों और शंकराचार्यों की अवहेलना की है.

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का आरोप केंद्र सरकार को नहीं है शंकराचार्य, धर्माचार्यों पर विश्वास.
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Published : Feb 5, 2020, 4:02 PM IST

वाराणसी: अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर आज संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट बनाए जाने की घोषणा की. इस घोषणा के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उनका कहना था कि जब पहले से ही चारों पीठ के शंकराचार्य, धर्माचार्य और सभी अखाड़ों के प्रमुखों की अगुवाई में रामालय ट्रस्ट काम कर रहा है और देशभर में भव्य मंदिरों के निर्माण और उसके संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहा है तो इस कार्य के लिए अलग ट्रस्ट क्यों बनाया गया.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल.

केंद्र सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
ईटीवी से बातचीत में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट के गठन के बाद केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठता है. केंद्र सरकार अपने अधीन एक ऐसे ट्रस्ट का निर्माण करना चाहती है जो उनके इशारे पर काम करे, जबकि पूरा देश यह चाहता है कि धर्माचार्य, शंकराचार्य और सारे अखाड़ों के प्रमुखों की अगुवाई में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया.

पहले से बना है रामालय ट्रस्ट
प्रधानमंत्री ने संसद में खड़े होकर यह घोषणा कर दी कि राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट का गठन किया जा रहा है, जबकि पहले से ही एक ट्रस्ट मौजूद है. रामालय ट्रस्ट लगातार इस दिशा में योगदान करता रहा है. राम मंदिर आंदोलन से लेकर कोर्ट में केस लड़ने तक का काम रामालय ट्रस्ट ने किया है. चारों पीठों के शंकराचार्य, धर्माचार्य और सभी अन्य प्रमुख लोगों की मौजूदगी में यह ट्रस्ट पहले से मौजूद है, उसके बाद भी नए ट्रस्ट का होना समझ से परे है.

प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा राजनीति से प्रेरित है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने का समय राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट बनाने के लिए दिया था, न कि यह कहा था कि तीन महीने जब खत्म होने वाले हों तब ट्रस्ट का गठन किया जाए. अब दिल्ली चुनाव में महज तीन दिन का वक्त बचा है, तब इस तरह की घोषणा कर हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर भाजपा दिल्ली चुनाव में फायदा उठाना चाह रही है.
- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, सचिव रामालय ट्रस्ट

वाराणसी: अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर आज संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट बनाए जाने की घोषणा की. इस घोषणा के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उनका कहना था कि जब पहले से ही चारों पीठ के शंकराचार्य, धर्माचार्य और सभी अखाड़ों के प्रमुखों की अगुवाई में रामालय ट्रस्ट काम कर रहा है और देशभर में भव्य मंदिरों के निर्माण और उसके संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहा है तो इस कार्य के लिए अलग ट्रस्ट क्यों बनाया गया.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल.

केंद्र सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
ईटीवी से बातचीत में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट के गठन के बाद केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठता है. केंद्र सरकार अपने अधीन एक ऐसे ट्रस्ट का निर्माण करना चाहती है जो उनके इशारे पर काम करे, जबकि पूरा देश यह चाहता है कि धर्माचार्य, शंकराचार्य और सारे अखाड़ों के प्रमुखों की अगुवाई में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया.

पहले से बना है रामालय ट्रस्ट
प्रधानमंत्री ने संसद में खड़े होकर यह घोषणा कर दी कि राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट का गठन किया जा रहा है, जबकि पहले से ही एक ट्रस्ट मौजूद है. रामालय ट्रस्ट लगातार इस दिशा में योगदान करता रहा है. राम मंदिर आंदोलन से लेकर कोर्ट में केस लड़ने तक का काम रामालय ट्रस्ट ने किया है. चारों पीठों के शंकराचार्य, धर्माचार्य और सभी अन्य प्रमुख लोगों की मौजूदगी में यह ट्रस्ट पहले से मौजूद है, उसके बाद भी नए ट्रस्ट का होना समझ से परे है.

प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा राजनीति से प्रेरित है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने का समय राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट बनाने के लिए दिया था, न कि यह कहा था कि तीन महीने जब खत्म होने वाले हों तब ट्रस्ट का गठन किया जाए. अब दिल्ली चुनाव में महज तीन दिन का वक्त बचा है, तब इस तरह की घोषणा कर हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर भाजपा दिल्ली चुनाव में फायदा उठाना चाह रही है.
- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, सचिव रामालय ट्रस्ट

Intro:स्पेशल:

वाराणसी: अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर आज संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाए जाने की घोषणा कर दी है. इस घोषणा के बाद अयोध्या को लेकर फैसला आने के बाद से मंदिर निर्माण के लिए रामालय ट्रस्ट को पूरी जिम्मेदारी दिए जाने के लिए आवाज उठा रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है उनका कहना था कि जब पहले से ही चारों पीठ के शंकराचार्य धर्माचार्य और सभी अखाड़ों के प्रमुखों की अगुवाई में रामालय ट्रस्ट काम कर रहा है और देश भर में भव्य मंदिरों के निर्माण और उसके संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहा है तो इस कार्य के लिए अलग ट्रस्ट क्यों बनाया गया. उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि सुप्रीम कोर्ट ने नए ट्रस्ट के गठन की कोई बात नहीं कही थी, बल्कि चुने हुए ट्रस्ट को ही राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी दिए जाने का आदेश दिया था. इसके बाद भी केंद्र सरकार ने नए ट्रस्ट का गठन कर धर्माचार्यों और शंकराचार्यों की अवहेलना की है.


Body:वीओ-01 अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट के गठन के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने केंद्र सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाया उनका कहना है कि केंद्र सरकार अपने अधीन ही एक ऐसे ट्रस्ट का निर्माण करना चाह रही थी जो उनके इशारे पर काम करें जबकि पूरा देश यह चाहता है कि धर्म आचार्य शंकराचार्य और सारे अखाड़ों के प्रमुखों की अगुवाई में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया प्रधानमंत्री खुद आगे आए और उन्होंने संसद में खड़े होकर यह घोषणा कर दी कि राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट का गठन किया जा रहा है जबकि पहले से ही एक ट्रस्ट मौजूद है रामालय ट्रस्ट लगातार इस दिशा में योगदान करता रहा है राम मंदिर आंदोलन से लेकर कोर्ट में केस लड़ने तक का काम रामालय ट्रस्ट ने किया चारों पीठों के शंकराचार्य धर्माचार्य और सभी अन्य प्रमुख लोगों की मौजूदगी में यह ट्रस्ट पहले से मौजूद है उसके बाद भी नए ट्रस्ट का होना समझ से परे है.


Conclusion:वीओ-02 वहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री के द्वारा की गई है घोषणा राजनीति से प्रेरित है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने का वक्त राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने को दिया था ना कि यह कहा था कि 3 महीने जब खत्म होने वाले हैं तब ट्रस्ट का गठन हूं. अब जब दिल्ली चुनाव में महज 3 दिन का वक्त बचा है तब इस तरह की घोषणा कर हिंदू मुस्लिम की राजनीति कर भाजपा दिल्ली चुनाव में फायदा उठाना चाह रही है. वही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार ने भले ही ट्रस्ट बनाए जाने का ऐलान कर दिया हो लेकिन अब तक उसका प्रारुप सामने नहीं रखा है जो यह सवाल खड़े कर रहा है कि आखिर सरकार की मंशा क्या है उन्होंने कहा कि प्रारूप को पब्लिक डोमेन में डालकर लोगों की प्रतिक्रिया लेनी चाहिए थी ताकि लोग स्पष्ट कर सके कि राम मंदिर की भव्यता किस रूप में कैसे आगे बढ़ाई जाएगी लेकिन सरकार ने सब कुछ गुप्त तरीके से किया.

बाईट- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, सचिव रामालय ट्रस्ट
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