वाराणसी: अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर आज संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट बनाए जाने की घोषणा की. इस घोषणा के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उनका कहना था कि जब पहले से ही चारों पीठ के शंकराचार्य, धर्माचार्य और सभी अखाड़ों के प्रमुखों की अगुवाई में रामालय ट्रस्ट काम कर रहा है और देशभर में भव्य मंदिरों के निर्माण और उसके संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहा है तो इस कार्य के लिए अलग ट्रस्ट क्यों बनाया गया.
केंद्र सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
ईटीवी से बातचीत में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट के गठन के बाद केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठता है. केंद्र सरकार अपने अधीन एक ऐसे ट्रस्ट का निर्माण करना चाहती है जो उनके इशारे पर काम करे, जबकि पूरा देश यह चाहता है कि धर्माचार्य, शंकराचार्य और सारे अखाड़ों के प्रमुखों की अगुवाई में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा नहीं किया.
पहले से बना है रामालय ट्रस्ट
प्रधानमंत्री ने संसद में खड़े होकर यह घोषणा कर दी कि राम मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट का गठन किया जा रहा है, जबकि पहले से ही एक ट्रस्ट मौजूद है. रामालय ट्रस्ट लगातार इस दिशा में योगदान करता रहा है. राम मंदिर आंदोलन से लेकर कोर्ट में केस लड़ने तक का काम रामालय ट्रस्ट ने किया है. चारों पीठों के शंकराचार्य, धर्माचार्य और सभी अन्य प्रमुख लोगों की मौजूदगी में यह ट्रस्ट पहले से मौजूद है, उसके बाद भी नए ट्रस्ट का होना समझ से परे है.
प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा राजनीति से प्रेरित है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने का समय राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट बनाने के लिए दिया था, न कि यह कहा था कि तीन महीने जब खत्म होने वाले हों तब ट्रस्ट का गठन किया जाए. अब दिल्ली चुनाव में महज तीन दिन का वक्त बचा है, तब इस तरह की घोषणा कर हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर भाजपा दिल्ली चुनाव में फायदा उठाना चाह रही है.
- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, सचिव रामालय ट्रस्ट