ETV Bharat / state

सूर्य ग्रहण के साथ शनि जयंती आज, इन 5 राशियों पर शनि की है विशेष निगाहें

न्याय के देवता शनि की जयंती गुरुवार 10 जून को मनाई जाएगी. शनि जयंती के साथ ही इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. शनि देव हर इंसान को कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं. इस बार इन 5 राशियों पर शनि की विशेष निगाहें हैं.

सूर्य ग्रहण के साथ शनि जयंती आज
सूर्य ग्रहण के साथ शनि जयंती आज
author img

By

Published : Jun 10, 2021, 3:30 AM IST

वाराणसी: सनातन धर्म में ग्रह नक्षत्रों का योग बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और कुछ ऐसे दिन होते हैं जब यह नक्षत्र और ग्रह आपकी राशियों के आधार पर आपके जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं. इनमें यदि बात शनि ग्रह की हो तो निश्चित तौर पर लोग शनि के प्रकोप से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुरुवार यानी 10 जून को पड़ने वाली शनि जयंती के दौरान विभिन्न राशियों और उन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में. 10 जून को पहले से ही सूर्य ग्रहण पड़ रहा है और इस दिन ही शनि जयंती का पड़ना निश्चित तौर पर अलग-अलग राशियों के लिए कई बदलाव लेकर आएगा.

ग्रहण संग शनि के वक्री होने का होगा असर

ग्रहण और शनि जयंती के बारे में ज्योतिषाचार्य और काशी विद्वत परिषद के महामंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि विश्व पटल पर 2021 संवत 2078 को चार ग्रहण पड़ने वाले हैं. इनमें से दूसरा ग्रहण ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून 2021 को वृष राशि पर होगा. वहीं 10 जून को ही ज्येष्ठ अमावस्या को न्याय के देवता सूर्यपुत्र व यमराज के बड़े भाई शनि देव की जयंती भी मनाई जाती है, जो इस बार सूर्य ग्रहण के साथ शनि जयंती दोनों एक साथ होंगे. वहीं तब जब आकाश मंडल में शनि की टेढ़ी चाल वक्री है. देखा जाए शनि देव 21 मई से ही श्रवण नक्षत्र पर वक्री चल रहे हैं, जो 10 अक्टूबर तक आकाश मंडल में वक्र गति से संचरण करते रहेंगे. देखा जाए तो नवग्रहों में शनि का प्रमुख स्थान है, तो इनको जनतंत्र का कारक सेवक व न्याय तंत्र पर पूरा प्रभाव रखने वाले ग्रह की मान्यता है.


भारत पर भी होगा शनि की चाल का असर

पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि धरती पर सबसे अधिक प्रभुत्व रखने वाले ग्रहों में इनका स्थान सर्वोपरि है. वही स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषभ लग्न कर्क राशि की हैं. गोचर में शनि की दृष्टि कर्क राशि पर पड़ रही है तो वृषभ लग्न के लिए शनि राजयोगकारी होता है. वहीं चाइना की राशि मकर है और मकर राशि में ही शनिदेव वक्री हैं, जो शुभ नहीं है. पंडित द्विवेदी के मुताबिक इसलिए विश्व पटल पर भारत की स्थिति वर्तमान समय में तेजी से चौतरफा मजबूत होगी और शत्रु देश चाइना सहित पाकिस्तान आदि को भारत के सामने कमजोर स्थिति होती नजर आएगी. वहीं वर्तमान समय में वैश्विक पटल पर भारत सहित राजनीति उठापटक तो न्याय तंत्र में नए कानूनों का निर्धारण इत्यादि देखने को मिलेगा.

इन 5 राशियों पर ज्यादा प्रभाव

पंडित ऋषि द्विवेदी की मानें तो 12 राशियों में से 3 राशियों पर साढ़ेसाती तो 2 राशियों पर अढैया और एक राशि पर शनि की सप्तम दृष्टि है. सब मिलाकर 12 राशियों में से 6 राशियों पर शनि का प्रभाव गोचर में सदैव रहता है. ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह उपग्रह के रूप में मान्यता है. वहीं 12 राशियों में धनु, मकर, कुंभ पर शनि की साढ़ेसाती तुला और मिथुन पर शनि की ढैया चल रही है.

करना होगा यह उपाय

पंडित ऋषि के मुताबिक जिन लोगों की कुंडली में महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतरदशा या गोचर में शनि अशुभ भाव में स्थित होकर बैठा हो या मारकेश चल रहा हो वह लोग शनि देव को शनि जयंती पर प्रसन्न करने के लिए तेल अभिषेक, तेल का दान, छाया दान लोहे की बनी वस्तुएं, काली वस्तुएं दान करें. सुंदरकांड का पाठ शनि मंत्र शनि स्तोत्र या शनि का पाठ जप करने से शनि की पीड़ा शांत होती है.


इन मंत्रों का करें जाप


ॐ शनैश्चराय नमः

ॐ नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नमः

ॐ प्राम प्रीम प्रौम शनये नमः

ॐ प्राम प्रीम प्रौम शनैश्चराय नमः

इन राशियों को करने हैं उपाय

मिथुन: ग्रह स्थिति भाग्य के विपरीत चलेगी. भौतिक सुख सुविधाओं में कमी होगी. प्रतिष्ठा पर आघात पहुंचेगा. व्यापार में हानि का सामना करना पड़ेगा. यात्रा भी असफल साबित होगी.

तुला: किसी भी कार्य के सिद्ध होने कि कोई योग नहीं हैं. क्रोध अत्यधिक आएगा, जिससे हानि होगी. वाद विवाद भी संभव है. विश्वासघात की आशंका भी है. वाहन से चोट चपेट भी लग सकती है.

धनु: खर्च की अधिकता होगी. प्रतिष्ठा पर आघात लगेगा. दांपत्य जीवन में कटुता आएगी. वाहन से दुर्घटना हो सकती है. क्रोध और विचारों में संतुलन रखें.

मकर:- व्यावसायिक प्रगति में अड़चनें आएंगी. स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहेंगे. परिवार में मतभेद का सामना करना पड़ सकता है. शारीरिक और मानसिक कष्ट.

कुंभ: अभिलाषा पूर्ण नहीं होगी. समय साथ नहीं देगा. मित्रों से तालमेल नहीं बैठेगा और अनबन होगी. लेन-देन में विशेष सावधानी रखने की जरूरत है. बेवजह इधर उधर घूमने से मानसिक तनाव होगा.

वाराणसी: सनातन धर्म में ग्रह नक्षत्रों का योग बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और कुछ ऐसे दिन होते हैं जब यह नक्षत्र और ग्रह आपकी राशियों के आधार पर आपके जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं. इनमें यदि बात शनि ग्रह की हो तो निश्चित तौर पर लोग शनि के प्रकोप से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुरुवार यानी 10 जून को पड़ने वाली शनि जयंती के दौरान विभिन्न राशियों और उन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में. 10 जून को पहले से ही सूर्य ग्रहण पड़ रहा है और इस दिन ही शनि जयंती का पड़ना निश्चित तौर पर अलग-अलग राशियों के लिए कई बदलाव लेकर आएगा.

ग्रहण संग शनि के वक्री होने का होगा असर

ग्रहण और शनि जयंती के बारे में ज्योतिषाचार्य और काशी विद्वत परिषद के महामंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि विश्व पटल पर 2021 संवत 2078 को चार ग्रहण पड़ने वाले हैं. इनमें से दूसरा ग्रहण ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून 2021 को वृष राशि पर होगा. वहीं 10 जून को ही ज्येष्ठ अमावस्या को न्याय के देवता सूर्यपुत्र व यमराज के बड़े भाई शनि देव की जयंती भी मनाई जाती है, जो इस बार सूर्य ग्रहण के साथ शनि जयंती दोनों एक साथ होंगे. वहीं तब जब आकाश मंडल में शनि की टेढ़ी चाल वक्री है. देखा जाए शनि देव 21 मई से ही श्रवण नक्षत्र पर वक्री चल रहे हैं, जो 10 अक्टूबर तक आकाश मंडल में वक्र गति से संचरण करते रहेंगे. देखा जाए तो नवग्रहों में शनि का प्रमुख स्थान है, तो इनको जनतंत्र का कारक सेवक व न्याय तंत्र पर पूरा प्रभाव रखने वाले ग्रह की मान्यता है.


भारत पर भी होगा शनि की चाल का असर

पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि धरती पर सबसे अधिक प्रभुत्व रखने वाले ग्रहों में इनका स्थान सर्वोपरि है. वही स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषभ लग्न कर्क राशि की हैं. गोचर में शनि की दृष्टि कर्क राशि पर पड़ रही है तो वृषभ लग्न के लिए शनि राजयोगकारी होता है. वहीं चाइना की राशि मकर है और मकर राशि में ही शनिदेव वक्री हैं, जो शुभ नहीं है. पंडित द्विवेदी के मुताबिक इसलिए विश्व पटल पर भारत की स्थिति वर्तमान समय में तेजी से चौतरफा मजबूत होगी और शत्रु देश चाइना सहित पाकिस्तान आदि को भारत के सामने कमजोर स्थिति होती नजर आएगी. वहीं वर्तमान समय में वैश्विक पटल पर भारत सहित राजनीति उठापटक तो न्याय तंत्र में नए कानूनों का निर्धारण इत्यादि देखने को मिलेगा.

इन 5 राशियों पर ज्यादा प्रभाव

पंडित ऋषि द्विवेदी की मानें तो 12 राशियों में से 3 राशियों पर साढ़ेसाती तो 2 राशियों पर अढैया और एक राशि पर शनि की सप्तम दृष्टि है. सब मिलाकर 12 राशियों में से 6 राशियों पर शनि का प्रभाव गोचर में सदैव रहता है. ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह उपग्रह के रूप में मान्यता है. वहीं 12 राशियों में धनु, मकर, कुंभ पर शनि की साढ़ेसाती तुला और मिथुन पर शनि की ढैया चल रही है.

करना होगा यह उपाय

पंडित ऋषि के मुताबिक जिन लोगों की कुंडली में महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतरदशा या गोचर में शनि अशुभ भाव में स्थित होकर बैठा हो या मारकेश चल रहा हो वह लोग शनि देव को शनि जयंती पर प्रसन्न करने के लिए तेल अभिषेक, तेल का दान, छाया दान लोहे की बनी वस्तुएं, काली वस्तुएं दान करें. सुंदरकांड का पाठ शनि मंत्र शनि स्तोत्र या शनि का पाठ जप करने से शनि की पीड़ा शांत होती है.


इन मंत्रों का करें जाप


ॐ शनैश्चराय नमः

ॐ नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नमः

ॐ प्राम प्रीम प्रौम शनये नमः

ॐ प्राम प्रीम प्रौम शनैश्चराय नमः

इन राशियों को करने हैं उपाय

मिथुन: ग्रह स्थिति भाग्य के विपरीत चलेगी. भौतिक सुख सुविधाओं में कमी होगी. प्रतिष्ठा पर आघात पहुंचेगा. व्यापार में हानि का सामना करना पड़ेगा. यात्रा भी असफल साबित होगी.

तुला: किसी भी कार्य के सिद्ध होने कि कोई योग नहीं हैं. क्रोध अत्यधिक आएगा, जिससे हानि होगी. वाद विवाद भी संभव है. विश्वासघात की आशंका भी है. वाहन से चोट चपेट भी लग सकती है.

धनु: खर्च की अधिकता होगी. प्रतिष्ठा पर आघात लगेगा. दांपत्य जीवन में कटुता आएगी. वाहन से दुर्घटना हो सकती है. क्रोध और विचारों में संतुलन रखें.

मकर:- व्यावसायिक प्रगति में अड़चनें आएंगी. स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहेंगे. परिवार में मतभेद का सामना करना पड़ सकता है. शारीरिक और मानसिक कष्ट.

कुंभ: अभिलाषा पूर्ण नहीं होगी. समय साथ नहीं देगा. मित्रों से तालमेल नहीं बैठेगा और अनबन होगी. लेन-देन में विशेष सावधानी रखने की जरूरत है. बेवजह इधर उधर घूमने से मानसिक तनाव होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.