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मोबाइल-लैपटॉप का गलत तरीके से इस्तेमाल और खराब क्वालिटी हेलमेट आपको कर सकता है बीमार, जानिए कौन सी बीमारी? - VERTIGO DISEASE

डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव के मुताबिक, खराब क्वालिटी और वजनदार हेलमेट की वजह से "वर्टिगो" की बीमारी युवाओं में बढ़ रही, जानिए उपचार और इलाज

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वर्टिगो बीमारी. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 19, 2025, 5:05 PM IST

गोरखपुरः अगर आप खराब क्वालिटी के साथ वजनदार हेलमेट लगाकर बाइक चला रहे हैं. साथ ही टूटी-फूटी सड़कें और जाम के शिकार हो रहे हैं, मोबाइल और लैपटॉप जैसी चीज का इस्तेमाल अपने गर्दन को सही पोजीशन में रखकर नहीं करते हैं तो आप "वर्टिगो" जैसी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. ऐसे में इस बीमारी से कैसे बचाव और सही इलाज के लिए गोरखपुर के जाने-माने न्यूरो सर्जन डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव ने सलाह दी है.

युवा हो रहे शिकारः डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव कहना है कि गर्दन में दर्द, चक्कर, बेहोशी जैसी समस्याओं को लेकर लोग उनके ओपीडी में आ रहे हैं. इसके ज्यादा शिकार 15 से 35 वर्ष के युवा हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले यह लगभग हर 70वें मरीज में हो रहा था. लेकिन अब प्रतिदिन 2 से 4 मरीज क्लीनिक में पहुंच रहे हैं. डॉ सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं कि वर्टिगो संतुलन बनाने से संबंधित एक विकार है. इसमें व्यक्ति अचानक असहज महसूस करने लगता है. साथ ही उसे कई और समस्याएं होती हैं.

न्यूरो सर्जन डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव (Video Credit; ETV Bharat)

डॉक्टर सौरभ का कहना है कि इससे होने वाली समस्या को ध्यान में रखते हुए सतर्क हो जाने की आवश्यकता है, नहीं तो जब उम्र 40 के पार जाएगी तो उन्हें सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और स्पाईन की बड़ी समस्या झेलनी पड़ सकती है. इसके निदान के लिए आपको अच्छे क्वालिटी का हेलमेट और इसके बेल्ट को बांधकर बाइक, स्कूटर चलाना होगा.

जाम में फंसने से भी न्यूरो संबंधी हो रही बीमारीः डॉ सौरभ ने बताया कि शहर में जाम की समस्या भी न्यूरो संबंधी बीमारी की वजह है. अगर आप दो पहिया वाहन की सवारी करने के दौरान जाम में फंस जाते हैं तो इससे आपके कंधों पर दबाव पड़ता है. जिससे कंधों और हाथ में झंझनाहट होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में दो पहिया वाहन चलाने के बाद जब भी आप फ्री हो तो न्यूरो से जुड़ा हुआ योग एक्सरसाइज जरूर करें. यही नहीं अधिकतर लोग हेलमेट की बेल्ट भी नहीं बांधते. जबकि लगातार ऐसा करते रहने से उनके अंदर सर्वाइकल की ऐसी समस्या पैदा हो सकती है. अगर कोई भी लक्ष्ण दिखाई दे तो समय से उसका इलाज करायें नहीं तो उम्र बढ़ाने के साथ यह बड़े जोखिम का कारण बन सकता है.

वर्टिगो के लक्षणः डॉ. सौरभ ने बताया कि वर्टिगो की समस्या के दौरान कान और गर्दन के अंदरूनी भाग में कुछ परेशानी या सिर पर चोट लगने से होती हैय वर्टिगो में व्यक्ति असहज महसूस करने लगता है. अचानक ही चक्कर आ सकता है. ऐसी स्थिति में इसमें गिरने और फ्रैक्चर होने का जोखिम काफी अधिक बढ़ जाता हैय इसके साथ ही गर्दन में दर्द, कंधा और हाथ सुन्न पड़ जाता है. उन्होंने कहा कि जब भी लोग टूटी सड़के और गड्ढे से गुजरे हेलमेट का बेल्ट बंधा हो. ऐसा नहीं होने से हेलमेट सिर से टकराता है. लगातार ऐसा होने से गर्दन और कंधे पर प्रेशर बनता है. कई बार हड्डियां मांसपेशियां इससे क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है.

वर्टिगो बीमारी से कैसे बचेंः डॉ. सौरभ ने बताया कि अगर आप नकली हेलमेट या बिना हेलमेट बेल्ट बांधे दो पहिया वाहन चला रहे हैं तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है. साथ ही मोबाइल और लैपटॉप को चलाने के दौरान आपके गर्दन की पोजीशन सही होनी चाहिए. सिर और गर्दन में दिक्कत होते ही लोग घबरा जाते हैं और न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाना बेहतर समझते हैं. यह अच्छी बात है लेकिन यह समस्या ही ना आए. इसके लिए उन्हें अच्छी क्वालिटी के हल्के हेलमेट का प्रयोग करना चाहिए. इलाज और एक्सरसाइज से आप इसे दूर कर सकते हैं और भविष्य की समस्या से बच सकते हैं.

इसे भी पढ़ें-चेहरे पर काले-भूरे धब्बे क्याें होते हैं? AIIMS गोरखपुर ने ढूंढा कारण और सटीक इलाज, आप भी जानें

गोरखपुरः अगर आप खराब क्वालिटी के साथ वजनदार हेलमेट लगाकर बाइक चला रहे हैं. साथ ही टूटी-फूटी सड़कें और जाम के शिकार हो रहे हैं, मोबाइल और लैपटॉप जैसी चीज का इस्तेमाल अपने गर्दन को सही पोजीशन में रखकर नहीं करते हैं तो आप "वर्टिगो" जैसी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. ऐसे में इस बीमारी से कैसे बचाव और सही इलाज के लिए गोरखपुर के जाने-माने न्यूरो सर्जन डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव ने सलाह दी है.

युवा हो रहे शिकारः डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव कहना है कि गर्दन में दर्द, चक्कर, बेहोशी जैसी समस्याओं को लेकर लोग उनके ओपीडी में आ रहे हैं. इसके ज्यादा शिकार 15 से 35 वर्ष के युवा हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले यह लगभग हर 70वें मरीज में हो रहा था. लेकिन अब प्रतिदिन 2 से 4 मरीज क्लीनिक में पहुंच रहे हैं. डॉ सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं कि वर्टिगो संतुलन बनाने से संबंधित एक विकार है. इसमें व्यक्ति अचानक असहज महसूस करने लगता है. साथ ही उसे कई और समस्याएं होती हैं.

न्यूरो सर्जन डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव (Video Credit; ETV Bharat)

डॉक्टर सौरभ का कहना है कि इससे होने वाली समस्या को ध्यान में रखते हुए सतर्क हो जाने की आवश्यकता है, नहीं तो जब उम्र 40 के पार जाएगी तो उन्हें सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और स्पाईन की बड़ी समस्या झेलनी पड़ सकती है. इसके निदान के लिए आपको अच्छे क्वालिटी का हेलमेट और इसके बेल्ट को बांधकर बाइक, स्कूटर चलाना होगा.

जाम में फंसने से भी न्यूरो संबंधी हो रही बीमारीः डॉ सौरभ ने बताया कि शहर में जाम की समस्या भी न्यूरो संबंधी बीमारी की वजह है. अगर आप दो पहिया वाहन की सवारी करने के दौरान जाम में फंस जाते हैं तो इससे आपके कंधों पर दबाव पड़ता है. जिससे कंधों और हाथ में झंझनाहट होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में दो पहिया वाहन चलाने के बाद जब भी आप फ्री हो तो न्यूरो से जुड़ा हुआ योग एक्सरसाइज जरूर करें. यही नहीं अधिकतर लोग हेलमेट की बेल्ट भी नहीं बांधते. जबकि लगातार ऐसा करते रहने से उनके अंदर सर्वाइकल की ऐसी समस्या पैदा हो सकती है. अगर कोई भी लक्ष्ण दिखाई दे तो समय से उसका इलाज करायें नहीं तो उम्र बढ़ाने के साथ यह बड़े जोखिम का कारण बन सकता है.

वर्टिगो के लक्षणः डॉ. सौरभ ने बताया कि वर्टिगो की समस्या के दौरान कान और गर्दन के अंदरूनी भाग में कुछ परेशानी या सिर पर चोट लगने से होती हैय वर्टिगो में व्यक्ति असहज महसूस करने लगता है. अचानक ही चक्कर आ सकता है. ऐसी स्थिति में इसमें गिरने और फ्रैक्चर होने का जोखिम काफी अधिक बढ़ जाता हैय इसके साथ ही गर्दन में दर्द, कंधा और हाथ सुन्न पड़ जाता है. उन्होंने कहा कि जब भी लोग टूटी सड़के और गड्ढे से गुजरे हेलमेट का बेल्ट बंधा हो. ऐसा नहीं होने से हेलमेट सिर से टकराता है. लगातार ऐसा होने से गर्दन और कंधे पर प्रेशर बनता है. कई बार हड्डियां मांसपेशियां इससे क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है.

वर्टिगो बीमारी से कैसे बचेंः डॉ. सौरभ ने बताया कि अगर आप नकली हेलमेट या बिना हेलमेट बेल्ट बांधे दो पहिया वाहन चला रहे हैं तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है. साथ ही मोबाइल और लैपटॉप को चलाने के दौरान आपके गर्दन की पोजीशन सही होनी चाहिए. सिर और गर्दन में दिक्कत होते ही लोग घबरा जाते हैं और न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाना बेहतर समझते हैं. यह अच्छी बात है लेकिन यह समस्या ही ना आए. इसके लिए उन्हें अच्छी क्वालिटी के हल्के हेलमेट का प्रयोग करना चाहिए. इलाज और एक्सरसाइज से आप इसे दूर कर सकते हैं और भविष्य की समस्या से बच सकते हैं.

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