वाराणसीः काशी नगरी में बने बंदरगाह के समीप प्रस्तावित फ्रेट विलेज के लिए भूमि अधिग्रहण से पहले यहां के सामाजिक ताने-बाने का सर्वे होगा. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से एजेंसी नामित कर टेंडर जारी कर दिया गया है. वहीं फ्रेट विलेज के निर्माण का कार्य दो चरणों में पूरा होना है.
रामनगर के रालहुपुर में बने बंदरगाह के समीप प्रस्तावित फ्रेट विलेज के लिए भूमि अधिग्रहण से पहले यहां के सामाजिक स्थिति सर्वे किया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से एजेंसी नामित करने के लिए टेंडर जारी किया गया है. एजेंसी द्वारा जनपद के मिल्कीपुर गांव और ताहिरपुर गांव की भूमि अधिग्रहण के पूर्व वहां का भौगोलिक, सामाजिक, लोगों की आजीविका की निर्भरता सहित अन्य पहलुओं की जांच रिपोर्ट प्रशासन को देनी होगी. इसके बाद प्रशासन आगे की कार्रवाई पूरी करेगा.
चरणबद्ध योजना से होगा कार्य
फ्रेट विलेज का निर्माण दो चरणों में होना है. इसके लिए प्रथम चरण के निर्माण को लगभग 74 एकड़ और दूसरे चरण के लिए 26 एकड़ भूमि की आवश्यकता है. वहीं विभाग के पास अभी तक मात्र 10 एकड़ की भूमि उपलब्ध हो पाया है. भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी भूस्वामी से कई बार वार्ता किये, लेकिन नतीजा हर बार शून्य रहा. भूमि अधिग्रहण में आ रही अड़चन से प्रधानमंत्री के परियोजना पर असर पड़ रहा है. जबकि पीएम के स्वर्णिम परियोजना में एक बंदरगाह परिकल्पना को मूर्त रूप ले लिया परंतु फ्रेट विलेज निर्माण का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है.
कारोबारियों को होगी सहूलियत, रोजगार का होगा अवसर
फ्रेड विलेज के बनने से बड़े कारोबारियों के अलावा पूर्वांचल के कारोबारी माल स्टोर कर देश के दूसरे हिस्से में भेज और मंगा सकेंगे. फ्रेट विलेज के आकार लेने पर गंगा पार नया शहर जनसंख्या नियोजन का बड़ा साधन होगा. इससे हजारों को रोजगार मिलेगा.
फ्रेट विलेज में होगी यह सुविधा
प्रस्तावित फ्रेट विलेज में कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग, रैपिंग, वेयर हाउस, कार्गो स्टोरेज, रोड ट्रांसपोर्ट सर्विस सहित शहरी जीवन की बुनियादी सुविधाएं होंगे.