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मनाया गया सुभाष चन्द्र बोस का जन्मदिन, महोत्सव का हुआ आयोजन - नेता जी

वाराणसी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनके 125वें जन्मदिन पर आजाद हिन्द फौज ने उन्हें सलामी दी. साथ ही 6 फीट की मूर्ति लगाकर एक मंदिर बनाया गया. वहीं महोत्सव का आयोजन कर महिलाओं को सिलाई मशीन वितरित की गई.

सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन.
सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन.
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Published : Jan 23, 2021, 6:27 PM IST

वाराणसीः विशाल भारत संस्थान ने लमही के इन्द्रेश नगर के आजाद हिन्द मार्ग पर सुभाष भवन और सुभाष मंदिर की स्थापना की है. सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित सुभाष महोत्सव के दूसरे दिन सुभाष मंदिर में महोत्सव का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज एवं आध्यात्मिक गुरु चून्नु साईं महाराज ने वेदपाठ एवं मंत्रोच्चारण किया. साथ ही 11 किलो की माला सुभाष चंद्र बोस को अर्पित की.

आजाद हिन्द फौज ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सलामी दी. वेदपाठी ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रों के साथ पुष्पवर्षा की. भारत को आजादी दिलाने वाले सुभाष चंद्र बोस की 6 फीट की मूर्ति लगाई गई है. मूर्ति काले रंग की ग्रेनाईट से बनी है. 11 फीट ऊंचे मंदिर की सीढ़ियां लाल रंग की हैं.

25 महिलाओं को वितरित की गई सिलाई मशीन

वहीं मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार एवं उद्योग उपायुक्त वीरेन्द्र कुमार ने संयुक्त रूप से 25 प्रशिक्षणार्थी महिलाओं को सिलाई मशीन एवं प्रमाण पत्र उद्योग विभाग, उ0प्र0 सरकार की ओर से दी गई. ताकि महिलायें आत्मनिर्भर बनकर समाज में अपनी भूमिका निभा सकें.

सुभाष महोत्सव के अवसर पर मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अनुयायी पूरी दुनियां में हैं. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मां भारती के साधक थे. उन्होंने पवित्र भाव से अपना जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने व्यवहारिक तरीके से जाति भेद, छूआछूत और धर्मभेद को खत्म कर दिया. विशाल भारत संस्थान ने विश्व का पहला सुभाष मंदिर स्थापित कर राष्ट्रीय एकता, मानवीय संवेदना, छूआछूत खत्म करने को पूरी तरह चरितार्थ कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि किसी भी महापुरूष का यह पहला मंदिर होगा, जहां उनके विचारों को पूरी तरह प्रतिस्थापित ही नहीं किया जाएगा. बल्कि देश को जोड़ने का सूत्र भी मिलेगा. उनके सूत्र वाक्य एकता, विश्वास और त्याग से ही हमारा देश महान बनेगा. काशी मंदिरों का शहर है, यहां पर स्थापित सुभाष मंदिर भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगा. सरकार को भी इस मंदिर के और सुभाष तीर्थ के विकास पर ध्यान देना चाहिए. 125 वें जन्मोत्सव पर देश विदेश के लोग सुभाष के दर्शन हेतु जुटेंगे.

वाराणसीः विशाल भारत संस्थान ने लमही के इन्द्रेश नगर के आजाद हिन्द मार्ग पर सुभाष भवन और सुभाष मंदिर की स्थापना की है. सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित सुभाष महोत्सव के दूसरे दिन सुभाष मंदिर में महोत्सव का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज एवं आध्यात्मिक गुरु चून्नु साईं महाराज ने वेदपाठ एवं मंत्रोच्चारण किया. साथ ही 11 किलो की माला सुभाष चंद्र बोस को अर्पित की.

आजाद हिन्द फौज ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सलामी दी. वेदपाठी ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रों के साथ पुष्पवर्षा की. भारत को आजादी दिलाने वाले सुभाष चंद्र बोस की 6 फीट की मूर्ति लगाई गई है. मूर्ति काले रंग की ग्रेनाईट से बनी है. 11 फीट ऊंचे मंदिर की सीढ़ियां लाल रंग की हैं.

25 महिलाओं को वितरित की गई सिलाई मशीन

वहीं मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार एवं उद्योग उपायुक्त वीरेन्द्र कुमार ने संयुक्त रूप से 25 प्रशिक्षणार्थी महिलाओं को सिलाई मशीन एवं प्रमाण पत्र उद्योग विभाग, उ0प्र0 सरकार की ओर से दी गई. ताकि महिलायें आत्मनिर्भर बनकर समाज में अपनी भूमिका निभा सकें.

सुभाष महोत्सव के अवसर पर मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अनुयायी पूरी दुनियां में हैं. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मां भारती के साधक थे. उन्होंने पवित्र भाव से अपना जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने व्यवहारिक तरीके से जाति भेद, छूआछूत और धर्मभेद को खत्म कर दिया. विशाल भारत संस्थान ने विश्व का पहला सुभाष मंदिर स्थापित कर राष्ट्रीय एकता, मानवीय संवेदना, छूआछूत खत्म करने को पूरी तरह चरितार्थ कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि किसी भी महापुरूष का यह पहला मंदिर होगा, जहां उनके विचारों को पूरी तरह प्रतिस्थापित ही नहीं किया जाएगा. बल्कि देश को जोड़ने का सूत्र भी मिलेगा. उनके सूत्र वाक्य एकता, विश्वास और त्याग से ही हमारा देश महान बनेगा. काशी मंदिरों का शहर है, यहां पर स्थापित सुभाष मंदिर भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगा. सरकार को भी इस मंदिर के और सुभाष तीर्थ के विकास पर ध्यान देना चाहिए. 125 वें जन्मोत्सव पर देश विदेश के लोग सुभाष के दर्शन हेतु जुटेंगे.

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