वाराणसी: कहते हैं कि जब पुरखों की आत्माओं का आशीष इंसान की जिंदगी में मिलता रहता है तो उसके जीवन में खुशियां बनी रहती है. ऐसी मान्यता है कि आकाश से हमारे बुजुर्ग अपनी दुआओं को हमारी जिंदगी में रोशनी के साथ हमेशा ही बिचरते रहते हैं. यही कारण है कि पितरों के लिए विधि- विधान पूर्वक तर्पण आदि करना सभी मनुष्यों के लिए जरूरी होता है. जिससे जीवन सुखमय बना रहे. वहीं शनिवार से शुरू हुए पितृपक्ष के अवसर पर काशी में अपने पितरों की शांति के लिए देशभर से श्रद्धालु आने शुरू हो गए हैं.
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काशी में प्राण त्यागने वाले मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कहा जाता है कि काशी में प्राण त्यागने वाले हर इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं, मगर जो लोग काशी के बाहर प्राण त्यागते हैं, उनके मोक्ष की कामना के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है. जो पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति दिलाता है.
अकाल मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए पिशाच मोचन कुंड पर होते हैं पिंडदान
मान्यताएं हैं कि जिन पूर्वजों की अकाल मृत्यु होती है, वह प्रेत योनि में जाते हैं और उनकी आत्मा भटकती रहती है, जिनको शांति सिर्फ काशी के इस पिशाच मोचन कुंड पर पिंड दान करने से मिलती है. सिर्फ बनारस के आसपास के जिले ही नहीं बल्कि देश दुनिया के अलग-अलग कोनों से लोग आकर यहां पितृपक्ष के 15 दिनों के दौरान पिंडदान करते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.
गुजरात से आए श्रद्धालु जगन्नाथ सिंह चौहान ने ईटीवी भारत से बातचीत कर बताया कि यहां पर पिंडदान करके अपने पूर्वजों से यह प्रार्थना की जाती है कि जिस तरह उन्होंने अपनी जिंदगी के दौरान घर की परिवार की सुख समृद्धि के बारे में सोचा है उसी तरह पितृ देव बन के घर की रक्षा करें.