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पितृपक्ष आज से शुरू, काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

यूपी के वाराणसी में पितृपक्ष शुरू होते ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया है. मान्यता है कि जिन मनुष्यों की अकाल मृत्यु हो जाती है उनकी आत्मा की शांति के लिए पिशाच मोचन कुंड पर पिंडदान करके पुर्वजों को मुक्ति दिलाई जाती है.

पिशाच मोचन कुंड
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Published : Sep 14, 2019, 1:04 PM IST

वाराणसी: कहते हैं कि जब पुरखों की आत्माओं का आशीष इंसान की जिंदगी में मिलता रहता है तो उसके जीवन में खुशियां बनी रहती है. ऐसी मान्यता है कि आकाश से हमारे बुजुर्ग अपनी दुआओं को हमारी जिंदगी में रोशनी के साथ हमेशा ही बिचरते रहते हैं. यही कारण है कि पितरों के लिए विधि- विधान पूर्वक तर्पण आदि करना सभी मनुष्यों के लिए जरूरी होता है. जिससे जीवन सुखमय बना रहे. वहीं शनिवार से शुरू हुए पितृपक्ष के अवसर पर काशी में अपने पितरों की शांति के लिए देशभर से श्रद्धालु आने शुरू हो गए हैं.

काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़.

पढ़ें: काशी का पिशाच मोचन कुंड: यहां पिंडदान करने से अकाल मृत्यु से मिलती है मुक्ति

काशी में प्राण त्यागने वाले मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कहा जाता है कि काशी में प्राण त्यागने वाले हर इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं, मगर जो लोग काशी के बाहर प्राण त्यागते हैं, उनके मोक्ष की कामना के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है. जो पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति दिलाता है.


अकाल मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए पिशाच मोचन कुंड पर होते हैं पिंडदान
मान्यताएं हैं कि जिन पूर्वजों की अकाल मृत्यु होती है, वह प्रेत योनि में जाते हैं और उनकी आत्मा भटकती रहती है, जिनको शांति सिर्फ काशी के इस पिशाच मोचन कुंड पर पिंड दान करने से मिलती है. सिर्फ बनारस के आसपास के जिले ही नहीं बल्कि देश दुनिया के अलग-अलग कोनों से लोग आकर यहां पितृपक्ष के 15 दिनों के दौरान पिंडदान करते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.


गुजरात से आए श्रद्धालु जगन्नाथ सिंह चौहान ने ईटीवी भारत से बातचीत कर बताया कि यहां पर पिंडदान करके अपने पूर्वजों से यह प्रार्थना की जाती है कि जिस तरह उन्होंने अपनी जिंदगी के दौरान घर की परिवार की सुख समृद्धि के बारे में सोचा है उसी तरह पितृ देव बन के घर की रक्षा करें.

वाराणसी: कहते हैं कि जब पुरखों की आत्माओं का आशीष इंसान की जिंदगी में मिलता रहता है तो उसके जीवन में खुशियां बनी रहती है. ऐसी मान्यता है कि आकाश से हमारे बुजुर्ग अपनी दुआओं को हमारी जिंदगी में रोशनी के साथ हमेशा ही बिचरते रहते हैं. यही कारण है कि पितरों के लिए विधि- विधान पूर्वक तर्पण आदि करना सभी मनुष्यों के लिए जरूरी होता है. जिससे जीवन सुखमय बना रहे. वहीं शनिवार से शुरू हुए पितृपक्ष के अवसर पर काशी में अपने पितरों की शांति के लिए देशभर से श्रद्धालु आने शुरू हो गए हैं.

काशी के पिशाचमोचन कुंड पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़.

पढ़ें: काशी का पिशाच मोचन कुंड: यहां पिंडदान करने से अकाल मृत्यु से मिलती है मुक्ति

काशी में प्राण त्यागने वाले मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कहा जाता है कि काशी में प्राण त्यागने वाले हर इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं, मगर जो लोग काशी के बाहर प्राण त्यागते हैं, उनके मोक्ष की कामना के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है. जो पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति दिलाता है.


अकाल मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए पिशाच मोचन कुंड पर होते हैं पिंडदान
मान्यताएं हैं कि जिन पूर्वजों की अकाल मृत्यु होती है, वह प्रेत योनि में जाते हैं और उनकी आत्मा भटकती रहती है, जिनको शांति सिर्फ काशी के इस पिशाच मोचन कुंड पर पिंड दान करने से मिलती है. सिर्फ बनारस के आसपास के जिले ही नहीं बल्कि देश दुनिया के अलग-अलग कोनों से लोग आकर यहां पितृपक्ष के 15 दिनों के दौरान पिंडदान करते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.


गुजरात से आए श्रद्धालु जगन्नाथ सिंह चौहान ने ईटीवी भारत से बातचीत कर बताया कि यहां पर पिंडदान करके अपने पूर्वजों से यह प्रार्थना की जाती है कि जिस तरह उन्होंने अपनी जिंदगी के दौरान घर की परिवार की सुख समृद्धि के बारे में सोचा है उसी तरह पितृ देव बन के घर की रक्षा करें.

Intro:वाराणसी। कहते हैं कि जब पुरखों की आत्माओं का आशीष इंसान की जिंदगी में मिलता रहता है तो उसके जीवन में खुशियां बनी रहती है और ऐसी मान्यता है कि आकाश से हमारे बुजुर्ग अपनी दुआओं को हमारी जिंदगी में रोशनी के साथ हमेशा ही बिछड़ते रहते हैं। यही कारण है कि पितरों के साथ के लिए विधि विधान पूर्वक तर्पण आदि करना सभी के लिए जरूरी होता है जिससे जीवन सुखमय बना रहे। आज से शुरू हुए पितृपक्ष के अवसर पर काशी में अपने पितरों के साथ के लिए देशभर से लोग आए हैं और भीड़ उमड़ रही है।Body:VO1: पितृपक्ष शुरू होते ही बाबा शिव के धाम काशी में आने वाले लोगों की भीड़ उमड़ने शुरू हो गई है कहा जाता है कि काशी में पितृपक्ष के दौरान आकर अपने पितरों के लिए तर्पण करना लोगों के घर में पितरों का आशीर्वाद सदा बनाए रहने के लिए जरूरी होता है। काशी में पितृपक्ष शुरू होते ही लोगों ने आना शुरू कर दिया है वैसे तो मोक्ष की नगरी के नाम से जानी जाने वाली धर्म की यह नगरी हमेशा ही श्रद्धालुओं से भरी रहती है पर पित्र पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए आने वालों का हुजूम भी काशी का रुख कर चुका है और अगले 15 दिनों तक प्रशासन कुंड पर लोग अपने बुजुर्गों की शांति के लिए हवन पूजन करते नजर आएंगे। कहा जाता है कि काशी में प्राण त्यागने वाले हर इंसान को भगवान शंकर खुद मोक्ष प्रदान करते हैं मगर जो लोग काशी के बाहर या काशी में आकर आते आते हैं उनके मोक्ष की कामना के लिए काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है। देशभर में सिर्फ काशी के ही अति प्राचीन पिशाच मोचन कुंड पर यह त्रिपिंडी श्राद्ध होता है जो पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति दिलाता है इसलिए पितृपक्ष में तीर्थ स्थल पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। अपने पितरों की मुक्ति की कामना लिए पिशाचमोचन कुंड पर श्राद्ध और तर्पण करने के लिए लोगों की भीड़ पितृपक्ष के महीने में जुटी है और मान्यताएं हैं कि जिन पूर्वजों की मृत्यु कब हुई है वह प्रेत योनि में जाते हैं और उनकी आत्मा भटकती रहती है, जिनको शांति सिर्फ काशी के इस 50 मोचन कुंड पर पिंड दान करने से मिलती है। सिर्फ बनारस के आसपास के जिले ही नहीं बल्कि देश दुनिया के अलग-अलग कोनों से लोग आकर यहां पितृपक्ष के 15 दिनों के दौरान पिंडदान करते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

बाइट: जगन्नाथ सिंह चौहान, गुजरात से आये श्रद्धालुConclusion:VO2: लोगों का कहना है कि यहां पर पिंडदान करके अपने पूर्वजों से यह प्रार्थना की जाती है कि जिस तरह उन्होंने अपनी जिंदगी के दौरान घर की परिवार की सुख समृद्धि के बारे में सोचा है उसी तरह पित्र देव बन के घर की रक्षा करें। गुजरात से आने वाले एक श्रद्धालु बताते हैं कि वह आने वाले 15 दिनों तक पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों को याद कर वह सभी कार्य करेंगे जो उनके पूर्वजों को पसंद थे इसी दौरान वह उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष शुरू होते ही काशी में पिंडदान करने आए हैं जिससे पित्र देव उन के घर परिवार की रक्षा हमेशा करें।

बाइट: प्रदीप कुमार पांडेय, पिशाच मोचन कुंड
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