वाराणसी : पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नगर निगम की ओर से काशी नरेश पूर्व महाराजा स्व. डॉ. विभूति नारायण सिंह की प्रतिमा लगाई जाएगी. इसे लेकर काशी राजघराने में काफी उत्साह है. काशी के लोग भी इस फैसले से खुश दिखाई दे रहे हैं. स्व. डॉ. विभूति नारायण सिंह को काशी की जनता साक्षात महादेव का स्वरूप मानती थी. उनके अभिवादन में हर-हर महादेव का उद्घोष किया जाता था. वह जीवन भर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहे. वह काशी विश्वनाथ परिषद के अध्यक्ष भी रहे थे.
वाराणसी के नगर निगम इलाके में तीन महापुरुषों शिवाजी महाराज, काशी नरेश महाराज (विभूति नारायण सिंह) और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमाएं लगाई जानी हैं. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या व ब्रजेश पाठक ने इन महापुरुषों की प्रतिमा लगाए जाने के लिए अपनी मंशा जाहिर की थी. प्रस्ताव कार्यकारिणी के सदस्य मदन मोहन दूबे ने कार्यकारिणी की बैठक में रखा था. गुरुवार को हुई बैठक में महापौर अशोक कुमार तिवारी व सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसे पास कर दिया. नगर निगम के इस सार्थक प्रयास की बनारस राजघराने की सदस्य पूर्व काशी नरेश स्व. डॉ. विभूति नारायण सिंह की पुत्री राजकुमारी कृष्ण प्रिया ने सराहना की है. उन्होंने नगर निगम का आभार जताया है.
कृष्ण प्रिया ने कहा कि सरकार से यह भी कहना चाहूंगी कि जहां लोगों से डॉ. विभूति नारायण मिलते थे, वहां पर हाथी पर बैठे हुए उनकी एक प्रतिमा मैदागिन चौराहे पर लगाई जाए. वहां काफी जगह है. हम बहुत दिनों से चाहते थे कि वहां उनकी प्रतिमा लगे.
इसके साथ ही पूर्व काशी नरेश की बेटी ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर मनोरंजन का साधन नहीं है. वह आध्यात्मिक स्थान है. उसे कॉरिडोर का नाम देना सरासर गलत है. उनकी मर्यादा के विरुद्ध है. काशी मंदिर आध्यात्मिकता का केंद्र है, उसे आध्यात्मिक ही रहने दें. जल चढ़ा देने से, अभिषेक करने से मंदिर मंदिर नहीं हो जाता है. मंदिर में आध्यात्मिक, आध्यात्मिकता का प्रभाव रहता है. व्यापार करने के लिए बहुत जगह हैं, मंदिर से व्यापार नहीं करना चाहिए.
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