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वाराणसीः लगातार हो रही बारिश बनी मुसीबत, दुर्गा प्रतिमा बना रहे मूर्तिकारों के माथे पर शिकन

वाराणसी में बारिश की मार और लगातार बिगड़े मौसम की वजह से नवरात्र के शुरू होने से पहले ही मूर्तिकार परेशान हैं. नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो रहा है और अब मूर्ति की डिलीवरी इन मूर्तिकारों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

लगातार हो रही बारिश से मूर्तिकार परेशान.
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Published : Sep 26, 2019, 5:01 PM IST

वाराणसी: 29 सितंबर से नवरात्र शुरू हो रहा है. नवरात्र के शुरू होने के साथ ही भोले की नगरी काशी पूरी तरह से शक्ति की उपासना में लीन हो जाती है, क्योंकि बनारस को मिनी कोलकाता के नाम से जाना जाता है. इसकी बड़ी वजह है यहां पर लगभग 300 से ज्यादा दुर्गा पूजा पंडालों में देवी प्रतिमा का स्थापना होना. इसके लिए महीने भर पहले से मूर्तिकार दुर्गा समेत अन्य प्रतिमाओं का निर्माण शुरू कर देते हैं और नवरात्रि के 10 दिन पहले से ही इस को अंतिम रूप देते हैं. इन दिनों मूर्तिकार परेशान हैं, क्योंकि इंद्र भगवान प्रतिमाओं के निर्माण में बड़ा रोड़ा बना रहे हैं. लगातार हो रही बारिश ने मूर्तिकारों के माथे पर शिकन ला दी है. हालात यह हैं कि प्रतिमाएं सुख नहीं रही हैं, जिसकी वजह से इनकी डिलीवरी देने में देरी हो रही है.

लगातार हो रही बारिश से मूर्तिकार परेशान.

300 से ज्यादा पंडालों में बैठाई जाती हैं मूर्तियां

वाराणसी में कोलकाता की तर्ज पर बड़े पैमाने पर दुर्गा पूजा होती है. गलियों से लेकर सड़कों तक हर ओर माता दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं बैठाई जाती हैं. जिसके लिए देवनाथपुरा, सोनारपुरा पांडेय हवेली इलाके में दुर्गा प्रतिमाओं के बनने का सिलसिला लगभग 3 महीने पहले से शुरू हो जाता है, नवरात्र के 10 दिन पहले इसमें और तेजी आती है. देवी दुर्गा के साथ उनका शेर महिषासुर, गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी समेत भगवान शंकर की प्रतिमाओं को भी अलग से बनाया जाता है.

प्रतिमाओं को खुले में रखा जाता है सूखने के लिए

काफी बड़ी संख्या में बनने वाली प्रतिमाओं को बंद कमरे के बाहर खुले में रखा जाता है, ताकि मिट्टी व उस पर लगाए गए रंग धूप से सूख जाए लेकिन बीते 1 सप्ताह से ज्यादा से लगातार हो रही बरसात ने इस मूर्ति कारोबार पर बड़ा असर डाला है. हालात यह हैं कि धूप ना निकलने की वजह से मूर्तियां बाहर रखी नहीं जा रही हैं. बंद कमरों में और बाहर रखी प्रतिमाओं को तिरपाल प्लास्टिक से ढक कर रखने की वजह से ना ही यह सूख पा रही हैं और न ही तैयार हो पाई हैं. जिसकी वजह से मूर्तिकार काफी परेशान है.



वाराणसी: 29 सितंबर से नवरात्र शुरू हो रहा है. नवरात्र के शुरू होने के साथ ही भोले की नगरी काशी पूरी तरह से शक्ति की उपासना में लीन हो जाती है, क्योंकि बनारस को मिनी कोलकाता के नाम से जाना जाता है. इसकी बड़ी वजह है यहां पर लगभग 300 से ज्यादा दुर्गा पूजा पंडालों में देवी प्रतिमा का स्थापना होना. इसके लिए महीने भर पहले से मूर्तिकार दुर्गा समेत अन्य प्रतिमाओं का निर्माण शुरू कर देते हैं और नवरात्रि के 10 दिन पहले से ही इस को अंतिम रूप देते हैं. इन दिनों मूर्तिकार परेशान हैं, क्योंकि इंद्र भगवान प्रतिमाओं के निर्माण में बड़ा रोड़ा बना रहे हैं. लगातार हो रही बारिश ने मूर्तिकारों के माथे पर शिकन ला दी है. हालात यह हैं कि प्रतिमाएं सुख नहीं रही हैं, जिसकी वजह से इनकी डिलीवरी देने में देरी हो रही है.

लगातार हो रही बारिश से मूर्तिकार परेशान.

300 से ज्यादा पंडालों में बैठाई जाती हैं मूर्तियां

वाराणसी में कोलकाता की तर्ज पर बड़े पैमाने पर दुर्गा पूजा होती है. गलियों से लेकर सड़कों तक हर ओर माता दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं बैठाई जाती हैं. जिसके लिए देवनाथपुरा, सोनारपुरा पांडेय हवेली इलाके में दुर्गा प्रतिमाओं के बनने का सिलसिला लगभग 3 महीने पहले से शुरू हो जाता है, नवरात्र के 10 दिन पहले इसमें और तेजी आती है. देवी दुर्गा के साथ उनका शेर महिषासुर, गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी समेत भगवान शंकर की प्रतिमाओं को भी अलग से बनाया जाता है.

प्रतिमाओं को खुले में रखा जाता है सूखने के लिए

काफी बड़ी संख्या में बनने वाली प्रतिमाओं को बंद कमरे के बाहर खुले में रखा जाता है, ताकि मिट्टी व उस पर लगाए गए रंग धूप से सूख जाए लेकिन बीते 1 सप्ताह से ज्यादा से लगातार हो रही बरसात ने इस मूर्ति कारोबार पर बड़ा असर डाला है. हालात यह हैं कि धूप ना निकलने की वजह से मूर्तियां बाहर रखी नहीं जा रही हैं. बंद कमरों में और बाहर रखी प्रतिमाओं को तिरपाल प्लास्टिक से ढक कर रखने की वजह से ना ही यह सूख पा रही हैं और न ही तैयार हो पाई हैं. जिसकी वजह से मूर्तिकार काफी परेशान है.



Intro:वाराणसी: 29 सितंबर से नवरात्र शुरू हो रहा नवरात्र के शुरू होने के साथ ही भोले की नगरी काशी में पूरी तरह से शक्ति की उपासना शुरू हो जाती है क्योंकि बनारस को मिनी कोलकाता के नाम से जाना जाता है इसकी बड़ी वजह है यहां पर लगभग 300 से ज्यादा दुर्गा पूजा पंडालों में देवी की स्थापना होती है जिसके लिए महीने पहले से मूर्तिकार दुर्गा समेत अन्य प्रतिमाओं का निर्माण शुरू कर देते हैं और नवरात्रि के 10 दिन पहले से ही इस को अंतिम रूप देते हैं लेकिन इन दिनों मूर्तिकार परेशान हैं क्योंकि भगवान इंद्र देवी दुर्गा इन प्रतिमाओं के निर्माण में बड़ा रोड़ा बना रहे हैं लगातार हो रही बारिश ने मूर्ति कारों के माथे पर शादी है हालात यह हैं प्रतिमाएं सुख नहीं रही हैं जिसकी वजह से इनकी डिलीवरी में देरी हो रही है.


Body:वीओ-01 वाराणसी में कोलकाता की तर्ज पर बड़े पैमाने पर दुर्गा पूजा होती है गलियों से लेकर सड़कों तक हर और माता दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं बैठती है. जिसके लिए देवनाथपुरा, सोनारपुरा पांडेयहवेली इलाके में दुर्गा प्रतिमाओं के बनने का सिलसिला लगभग 3 महीने पहले से शुरू हो जाता है और नवरात्र के 10 दिन पहले इसमें और तेजी आती है. देवी दुर्गा के साथ उनका शेर महिषासुर, गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी समेत भगवान शंकर की प्रतिमाओं को भी अलग से बनाया जाता है. काफी बड़े लेवल पर बनने वाली प्रतिमाओं को बंद कमरे के बाहर खुले में रखा जाता है ताकि मिट्टी व उस पर लगाए गए रंग धूप से सूख जाए लेकिन बीते 1 सप्ताह से ज्यादा से लगातार हो रही बरसात ने इस मूर्ति कारोबार पर बड़ा असर डाला है हालात यह हैं कि धूप ना निकलने की वजह से मूर्तियां बाहर रखी नहीं जा रही हैं बंद कमरों में और बाहर रखी प्रतिमाओं को त्रिपाल प्लास्टिक से ढक कर रखने की वजह से ना ही यह सूख नही पाइन हैं और न ही तैयार हो पाई हैं. जिसकी वजह से मूर्तिकार काफी परेशान है.


Conclusion:वीओ-02 फिलहाल बारिश की मार और मौसम के लगातार बिगड़े हालात की वजह से नवरात्र के शुरू होने से पहले ही मूर्तिकार परेशान हैं और अगर धूप नहीं निकलती है तो इन मूर्ति कारों की मुश्किलें और बढ़ेंगी क्योंकि नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो रहा है और अब मूर्ति की डिलीवरी आज शाम और कल सुबह से देनी इन मूर्ति कारों के लिए जरूरी है. जिसके लिए यह मूर्तियों को सुखाने के लिए अब तकनीक पर ही निर्भर दिख रहे हैं.

बाइट- गोपाल डे, मूर्तिकार
बाइट- राजू दादा, मूर्तिकार

गोपाल मिश्र

9839809074
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