वाराणसी: 29 सितंबर से नवरात्र शुरू हो रहा है. नवरात्र के शुरू होने के साथ ही भोले की नगरी काशी पूरी तरह से शक्ति की उपासना में लीन हो जाती है, क्योंकि बनारस को मिनी कोलकाता के नाम से जाना जाता है. इसकी बड़ी वजह है यहां पर लगभग 300 से ज्यादा दुर्गा पूजा पंडालों में देवी प्रतिमा का स्थापना होना. इसके लिए महीने भर पहले से मूर्तिकार दुर्गा समेत अन्य प्रतिमाओं का निर्माण शुरू कर देते हैं और नवरात्रि के 10 दिन पहले से ही इस को अंतिम रूप देते हैं. इन दिनों मूर्तिकार परेशान हैं, क्योंकि इंद्र भगवान प्रतिमाओं के निर्माण में बड़ा रोड़ा बना रहे हैं. लगातार हो रही बारिश ने मूर्तिकारों के माथे पर शिकन ला दी है. हालात यह हैं कि प्रतिमाएं सुख नहीं रही हैं, जिसकी वजह से इनकी डिलीवरी देने में देरी हो रही है.
300 से ज्यादा पंडालों में बैठाई जाती हैं मूर्तियां
वाराणसी में कोलकाता की तर्ज पर बड़े पैमाने पर दुर्गा पूजा होती है. गलियों से लेकर सड़कों तक हर ओर माता दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं बैठाई जाती हैं. जिसके लिए देवनाथपुरा, सोनारपुरा पांडेय हवेली इलाके में दुर्गा प्रतिमाओं के बनने का सिलसिला लगभग 3 महीने पहले से शुरू हो जाता है, नवरात्र के 10 दिन पहले इसमें और तेजी आती है. देवी दुर्गा के साथ उनका शेर महिषासुर, गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी समेत भगवान शंकर की प्रतिमाओं को भी अलग से बनाया जाता है.
प्रतिमाओं को खुले में रखा जाता है सूखने के लिए
काफी बड़ी संख्या में बनने वाली प्रतिमाओं को बंद कमरे के बाहर खुले में रखा जाता है, ताकि मिट्टी व उस पर लगाए गए रंग धूप से सूख जाए लेकिन बीते 1 सप्ताह से ज्यादा से लगातार हो रही बरसात ने इस मूर्ति कारोबार पर बड़ा असर डाला है. हालात यह हैं कि धूप ना निकलने की वजह से मूर्तियां बाहर रखी नहीं जा रही हैं. बंद कमरों में और बाहर रखी प्रतिमाओं को तिरपाल प्लास्टिक से ढक कर रखने की वजह से ना ही यह सूख पा रही हैं और न ही तैयार हो पाई हैं. जिसकी वजह से मूर्तिकार काफी परेशान है.