वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी की पहचान मां गंगा प्रदूषित हो रही है. शैवाल अधिक होने के कारण गंगा का पानी हरा हो गया है. जिसकी वजह से वैज्ञानिक से लेकर गंगा प्रेमी भी चिंतित हैं. अब गंगा के पानी को शुद्ध करने के लिए रविवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नमामि गंगे की टीम ने गंगा नदी में छिड़काव किया गया. बताया जा रहा है कि इस छिड़काव से हरे शैवाल जल्द खत्म हो जाएंगे और फिर से गंगा का पानी साफ हो जाएगा.
जिले के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने गंगा नदी में बायोरेमेडीएशन सोल्यूशन (Bioremediation Solution) स्प्रे किया. सुबह नाव में सवार होकर कर्मचारियों ने स्प्रे किया. शाम को भी दशाश्वमेध घाट पर पुनः स्प्रे किया गया. यह स्प्रे की प्रक्रिया 1 से 2 दिन तक चलेगी. गंगा में हरे शैवाल को खत्म करने के लिए यह सलूशन जर्मन कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया गया है.
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नमामि गंगे प्रोजेक्ट के टेक्निकल अधिकारी नीरज गहलावत ने बताया कि बायोरेमेडीएशन सॉल्यूशन (Bioremediation Solution) स्प्रे से हरे शैवाल का उपचार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कई लैब एजेंसियों ने बताया कि हरे शैवालों को खत्म करने के लिए यह स्प्रे कारगर होगा, इसलिए हम इसका परीक्षण कर रहे हैं. गंगा नदी में स्प्रे नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की देखरेख किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सेंट्रल उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा नदी से सैंपल लिया था, जिसकी जांच चल रही है. नीरज गहलावत ने बताया कि लगातार गंगा के जल का मॉनिटरिंग कर रहे हैं कि पानी हरा क्यों हुआ. सुबह और शाम को गंगा में स्प्रे कर रहे हैं, जिसे जल्द ही गंगा साफ होगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल गंगा में ऑक्सीजन लेवल 8 परसेंट है, जो मानक के अनरूप सही है.
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बता दें कि 21 मई को वाराणसी में गंगा जल हरा हो गया. जानकारी मिलने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और गंगा जल का सैंपल लेने के लिए टीम गठित की.
डीएम के आदेश पर जांच समिति ने गंगा जल सैंपल लिया, जिमकी जांच में गंगा के पानी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की अधिक मात्रा पाया गया.आक्सीजन कम होने के कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तीन चार दिनों स्नान और आचमन से परहेज करने की सलाह भी दी थी.