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आजमगढ़ में कागजों पर चल रहे 219 मदरसों के खिलाफ एक्शन शुरू, EOW ने दर्ज कराए कुल 11 मुकदमे - ACTION STARTED AGAINST MADRASSAS

आजमगढ़ में मदरसे की जगह मिली शटरनुमा दुकानें तो कहीं धरातल से मिले गायब. एक शख्स कर रहा कई-कई मदरसों का संचालन. एफआईआर होंगे दर्ज

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कागजों पर चल रहे मदरसों पर शिकंजा (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 9, 2025, 7:27 PM IST

Updated : Feb 9, 2025, 9:55 PM IST

आजमगढ़: यूपी आजमगढ़ जिले में मदरसा पोर्टल ऑनलाइन फीडिंग में 313 मदरसे मानक के अनुरूप नहीं मिले थे. इस मामले में जब एसआईटी ने जांच की तो 219 मदरसों का अस्तित्व में ही नहीं मिला. एसआईटी की ओर से जब इन मदरसा पोर्टल पर मदरसा प्रबंधकों की ओर से दर्ज किए गए डाटा की जांच की गई तो कहीं मौके पर मदरसे की जगह शटरनुमा दुकानें संचालित होती मिलीं तो कहीं धरातल पर मदरसा ही नहीं मिला. वहीं कई जगहों पर मदरसों की जगह पर दूसरे विद्यालय का संचालन होता मिला. अब EOW इन फर्जी मदरसों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा रहा है.

बता दें कि जिले में वर्ष 2009-10 में बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता और अनुदान देने का मामला सामने आया था. 2017 में इस बात की शिकायत सरकार से की गई थी. 2017 में हुई जांच में 387 मदरसे वैध मिले. जबकि 313 मदरसे में गड़बड़ियां पाई गई थी. इसके बाद इस पूरे मामले की जांच शासन ने एसआईटी की टीम को दे दी थी. 2022 में शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में एसआईटी ने बताया​ था कि 219 मदरसे ऐसे हैं जो अस्तित्व विहीन थे. इन मदरसे के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का शासन ने निर्देश दिया था. लेकिन अब तक इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी.

फर्जी मदरसों के खिलाफ एक्शन (Video Credit; ETV Bharat)

शासन के निर्देश पर अब इन मदरसों के ​खिलाफ एफआई दर्ज होनी शुरू हो गई है. सभी थानों में एफआईआर की कॉपी पहुंच गई है. किसी थाने को 50 कॉपी तो किसी थाने को 20 कॉपी तहरीर मुकदमा दर्ज करने के लिए भेजी गई है. इस मामले में छह फरवरी को पहला मुकदमा कंधरापुर थाने में दर्ज हुआ था. वहीं आठ फरवरी को कुल 11 मुकदमे दर्ज हुए हैं.

कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज

ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह की तहरीर पर कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज किया गया है. इसमें मदरसा की प्रबंधक रुमाना बानो पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है. दी गई तहरीर में ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह ने पुलिस को बताया कि पूर्व में एसआईटी की ओर से उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर मदरसा अजीजिया खड़गपुर कंधरापुर अस्तित्वहीन मदरसों की श्रेणी में पाया गया. इस मदरसे को 05 फरवरी 2009 में तहतानिया स्तर की अस्थायी मान्यता दी गयी. ये मान्यता तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रभात कुमार और लिपिक वक्फ ओम प्रकाश पांडेय की ओर से दी गयी.

इंटर कॉलेज को बताया गया मदरसा

मदरसे की ओर से मदरसा पोर्टल पर तहतानिया स्तर के 03 कक्ष 300 वर्गफीट माप का दर्शाया गया है, जबकि मौके पर मदरसा नहीं मिला. बल्कि भारतीय जनता इंटर कालेज को ही मदरसा बताया गया. जिसे मदरसा नहीं माना जा सकता. बच्चों से पूछने पर उनके द्वारा भारतीय जनता इंटर का छात्र बताया गया, न कि मदरसे का. मदरसा अस्तित्वहीन है. मदरसे द्वारा मदरसा पोर्टल पर तहतानिया स्तर के 110 छात्र दर्शाए गए हैं, जबकि मौके पर इनकी पुष्टि नहीं हुई.

3 कमरे की जगह मिली 3 दुकानें

आजमगढ़ एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा इस्लामिया फैजुल उलूम नई बस्ती रौनापार का निरीक्षण किया गया तो पाया कि 11 जून 2008 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी. पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में तीन शटरनुमा दुकानें मौके पर मिली. इन पर ही मदरसे का बोर्ड और ब्लैक बोर्ड लगा था. छात्र संख्या 140 बताई गई थी लेकिन मौके पर एक भी छात्र की पु​ष्टि नहीं हुई.

एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा मिफ्तादुल उलूम, प्राथमिक रौनापार का निरीक्षण किया गया तो पाया कि 24 अप्रैल 1998 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी. पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में दो जर्जर कमरे मौके पर मिले. छात्र संख्या 190 बताई गई लेकिन मौके पर 67 मिले.

रौनापार में नहीं मिला मदरसे का अस्तित्व

वहीं एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा दर्सगाह अरबिया चांदपट्टी रौनापार का निरीक्षण किया तो पाया कि 3 जून 2010 को इसे फौकानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी. पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तहतानिया स्तर के तीन और फौकानिया स्तर के तीन के अलावा एक प्रधानाचार्य कक्ष और पुस्तकालय कक्ष के निर्माण को दर्ज किया गया. जांच में मौके पर मदरसा ही नहीं मिला. तहतानिया के 60 और फौकानिया के 30 पोर्टल पर दर्शाए गए थे. लेकिन, जांच में इनकी पु​​ष्टि नहीं हुई.

इस मामले में एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि जनवरी 2023 में शासन की ओर से एक जांच एसआईटी से कराई गई थी. इसमें जिले के कई मदरसे जो पोर्टल पर दर्ज थे उनमें से 219 मदरसे अस्तित्वविहीन पाए गए थे. इनके द्वारा फर्जी तरीके से सरकारी अनुदान लेकर उसका उपयोग किया जा रहा था. इसके बाद शासन की ओर से इनके ​खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया. इस पर ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह ने थानों में तहरीर दी गई है. 11 मुकदमे दर्ज हुए हैं और अन्य दर्ज किए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी में सरकारी छुट्टियों का एक और कैलेंडर जारी, जानिए कितने दिन बंद रहेंगे मदरसे?

आजमगढ़: यूपी आजमगढ़ जिले में मदरसा पोर्टल ऑनलाइन फीडिंग में 313 मदरसे मानक के अनुरूप नहीं मिले थे. इस मामले में जब एसआईटी ने जांच की तो 219 मदरसों का अस्तित्व में ही नहीं मिला. एसआईटी की ओर से जब इन मदरसा पोर्टल पर मदरसा प्रबंधकों की ओर से दर्ज किए गए डाटा की जांच की गई तो कहीं मौके पर मदरसे की जगह शटरनुमा दुकानें संचालित होती मिलीं तो कहीं धरातल पर मदरसा ही नहीं मिला. वहीं कई जगहों पर मदरसों की जगह पर दूसरे विद्यालय का संचालन होता मिला. अब EOW इन फर्जी मदरसों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा रहा है.

बता दें कि जिले में वर्ष 2009-10 में बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता और अनुदान देने का मामला सामने आया था. 2017 में इस बात की शिकायत सरकार से की गई थी. 2017 में हुई जांच में 387 मदरसे वैध मिले. जबकि 313 मदरसे में गड़बड़ियां पाई गई थी. इसके बाद इस पूरे मामले की जांच शासन ने एसआईटी की टीम को दे दी थी. 2022 में शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में एसआईटी ने बताया​ था कि 219 मदरसे ऐसे हैं जो अस्तित्व विहीन थे. इन मदरसे के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का शासन ने निर्देश दिया था. लेकिन अब तक इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी.

फर्जी मदरसों के खिलाफ एक्शन (Video Credit; ETV Bharat)

शासन के निर्देश पर अब इन मदरसों के ​खिलाफ एफआई दर्ज होनी शुरू हो गई है. सभी थानों में एफआईआर की कॉपी पहुंच गई है. किसी थाने को 50 कॉपी तो किसी थाने को 20 कॉपी तहरीर मुकदमा दर्ज करने के लिए भेजी गई है. इस मामले में छह फरवरी को पहला मुकदमा कंधरापुर थाने में दर्ज हुआ था. वहीं आठ फरवरी को कुल 11 मुकदमे दर्ज हुए हैं.

कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज

ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह की तहरीर पर कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज किया गया है. इसमें मदरसा की प्रबंधक रुमाना बानो पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है. दी गई तहरीर में ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह ने पुलिस को बताया कि पूर्व में एसआईटी की ओर से उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर मदरसा अजीजिया खड़गपुर कंधरापुर अस्तित्वहीन मदरसों की श्रेणी में पाया गया. इस मदरसे को 05 फरवरी 2009 में तहतानिया स्तर की अस्थायी मान्यता दी गयी. ये मान्यता तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रभात कुमार और लिपिक वक्फ ओम प्रकाश पांडेय की ओर से दी गयी.

इंटर कॉलेज को बताया गया मदरसा

मदरसे की ओर से मदरसा पोर्टल पर तहतानिया स्तर के 03 कक्ष 300 वर्गफीट माप का दर्शाया गया है, जबकि मौके पर मदरसा नहीं मिला. बल्कि भारतीय जनता इंटर कालेज को ही मदरसा बताया गया. जिसे मदरसा नहीं माना जा सकता. बच्चों से पूछने पर उनके द्वारा भारतीय जनता इंटर का छात्र बताया गया, न कि मदरसे का. मदरसा अस्तित्वहीन है. मदरसे द्वारा मदरसा पोर्टल पर तहतानिया स्तर के 110 छात्र दर्शाए गए हैं, जबकि मौके पर इनकी पुष्टि नहीं हुई.

3 कमरे की जगह मिली 3 दुकानें

आजमगढ़ एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा इस्लामिया फैजुल उलूम नई बस्ती रौनापार का निरीक्षण किया गया तो पाया कि 11 जून 2008 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी. पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में तीन शटरनुमा दुकानें मौके पर मिली. इन पर ही मदरसे का बोर्ड और ब्लैक बोर्ड लगा था. छात्र संख्या 140 बताई गई थी लेकिन मौके पर एक भी छात्र की पु​ष्टि नहीं हुई.

एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा मिफ्तादुल उलूम, प्राथमिक रौनापार का निरीक्षण किया गया तो पाया कि 24 अप्रैल 1998 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी. पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में दो जर्जर कमरे मौके पर मिले. छात्र संख्या 190 बताई गई लेकिन मौके पर 67 मिले.

रौनापार में नहीं मिला मदरसे का अस्तित्व

वहीं एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा दर्सगाह अरबिया चांदपट्टी रौनापार का निरीक्षण किया तो पाया कि 3 जून 2010 को इसे फौकानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी. पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तहतानिया स्तर के तीन और फौकानिया स्तर के तीन के अलावा एक प्रधानाचार्य कक्ष और पुस्तकालय कक्ष के निर्माण को दर्ज किया गया. जांच में मौके पर मदरसा ही नहीं मिला. तहतानिया के 60 और फौकानिया के 30 पोर्टल पर दर्शाए गए थे. लेकिन, जांच में इनकी पु​​ष्टि नहीं हुई.

इस मामले में एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि जनवरी 2023 में शासन की ओर से एक जांच एसआईटी से कराई गई थी. इसमें जिले के कई मदरसे जो पोर्टल पर दर्ज थे उनमें से 219 मदरसे अस्तित्वविहीन पाए गए थे. इनके द्वारा फर्जी तरीके से सरकारी अनुदान लेकर उसका उपयोग किया जा रहा था. इसके बाद शासन की ओर से इनके ​खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया. इस पर ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह ने थानों में तहरीर दी गई है. 11 मुकदमे दर्ज हुए हैं और अन्य दर्ज किए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी में सरकारी छुट्टियों का एक और कैलेंडर जारी, जानिए कितने दिन बंद रहेंगे मदरसे?

Last Updated : Feb 9, 2025, 9:55 PM IST
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