प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू मंदिरों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी शिक्षक को राहत दी है. कोर्ट ने मन्दिरों को जूते-चप्पल से अपित्र करने के लिए उकसाने के आरोपी स्कूल शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य से छह सप्ताह में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी व न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने भीष्म पाल सिंह की याचिका पर दिया.
गोरखपुर के कैंट थाने में शिकायतकर्ता ने वायरल वीडियो के आधार पर याची पर धार्मिक भावना को आहत करने के मामले में मुकदमा दर्ज कराया है. एफआईआर के अनुसार याची एक बैठक में शामिल हुआ, जिसमें आगरा के एक कंपोजिट विद्यालय में कार्यरत शिक्षिका ने हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की. बैठक में मौजूद लोगों को हिंदू प्रतीकों सिंदूर, बिछिया का अपमान करने के लिए उकसाया. इसके साथ लोगों को मंदिरों पर जूते मारकर उन्हें अपवित्र करने के लिए प्रोत्साहित किया.
एफआईआर में आगे कहा गया है कि इस तरह की टिप्पणियों से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. इससे सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हो सकता है. याचिकाकर्ता ने एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया और कहा कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं. क्योंकि आरोपों के अनुसार वह अपमानजनक टिप्पणी करने या सांप्रदायिक वैमनस्य भड़काने में शामिल नहीं था.
याचिकाकर्ता के वकील शिवपूजन यादव ने दलील दी कि याचिकाकर्ता केवल बैठक में मौजूद था और उसने किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में भाग नहीं लिया. यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता के खिलाफ सार्वजनिक शांति भंग करने के लिए पहले भी कई मुकदमें दर्ज हैं. छोटी बातों पर भी मुकदमे दर्ज कराना उसकी आदत है. एफआईआर रद्द करने और पुलिस के किसी भी तरह की बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की.
कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए शिकायतकर्ता, राज्य सरकार सहित सभी पपक्षकारों को छह सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने निर्देश दिया है. साथ ही याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी.
ये भी पढ़ें- गूगल मैप की मदद लेना पड़ा भारी, खेतों के बीच फंसी कार, मदद के बहाने कार-मोबाइल लूट ले गए बदमाश