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world day against child labor 2021: बालश्रम से बाहर निकालकर, बच्चों का कल संवार रही ये संस्था

12 जून को पूरी दुनिया में विश्व बालश्रम निषेध दिवस (world day against child labor) मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में अस्मिता चाइल्ड लाइन (asmita child line) नामक संस्था है, जो इस दिशा में सराहनीय काम कर रही है.

वाराणसीः
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Published : Jun 12, 2021, 1:11 PM IST

Updated : Jun 12, 2021, 1:44 PM IST

वाराणसीः 12 जून यानी विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (world day against child labor) . ये वो दिन है जब पूरी दुनिया संकल्प लेती है कि छोटे बच्चों के जीवन को मजदूरी में बर्बाद नहीं करने देंगे. उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए समाज में व्यवस्था बनाएंगे. इसके लिए हर साल संकल्प किए जाते हैं, भाषण होते हैं, बाते होती हैं लेकिन जमीनी हकीकत बहुत अलग है. सच्चाई ये है कि हमारे देश में आज भी लाखों बच्चे बाल मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं. सरकार ने भी 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराने पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन इसके बावजूद बाल मजदूरी खत्म नहीं हो रही. ऐसे हालात में वाराणसी (varanasi) में एक संस्था है जो सिर्फ बातें नहीं कर रही बल्कि धरातल पर उतर कर सराहनीय काम कर रही है. ये संस्था है अस्मिता चाइल्ड लाइन (asmita child line).

झुग्गियों में जाकर करते हैं जागरूक
यह संस्था झुग्गियों में जाकर तमाम परिवारों को जागरूक करती है. न केवल परिजनों को प्रेरित करती है कि अपने बच्चों को पढ़ने भेजें बल्कि वहां बच्चों को शिक्षा भी देती है. अस्मिता चाइल्ड लाइन के केयरटेकर फादर मजू मैथिव ने बताया कि वाराणसी के लगभग हर स्थान पर बाल श्रम करते हुए बच्चे मिल जाते हैं. इसके कई कारण हैं. एक तो यह कि बच्चों के परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, दूसरा इनका घरेलू वातावरण पढ़ाई के अनुकूल नहीं होता है. ऐसे बच्चों को हम रेस्क्यू करते हैं. उन्हें रिहैबिलिटेट करके उन्हें घर भेजते हैं. उन्होंने बताया कि हमारी संस्था दो बिन्दुओं पर फोकस करती है. एक तो हमारी 9 सदस्यीय टीम बालश्रम कर रहे बच्चों का रेस्क्यू करती हैं. दूसरा समाज में जाकर बच्चों और परिवार को जागरूक करते हैं. इसके लिए हमारी 16 सदस्यीय टीम वाराणसी के स्लम एरिया में जाकर वहां रहने वाले बच्चों को पढ़ाती है.

विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर विशेष
200 से ज्यादा बच्चों को किया है रेस्क्यूउन्होंने बताया कि अब तक हमारी संस्था ने 286 बच्चों का रेस्क्यू किया है. उन्हें उनके घर भेज दिया है. उन्होंने बताया कि हमारे पास बच्चों से संबंधित 50 केस यदि हर माह आते हैं तो उनमें चार से पांच के बाल श्रम से संबंधित होते हैं. कोरोना काल के बाबत उन्होंने बताया कि निश्चित तौर पर बाल श्रम में कमी आई है, लेकिन आगामी एक डेढ़ महीने में ये ग्राफ बढ़ेगा क्योंकि बीते साल भी लॉक डाउन में आंकड़ों में कमी थी लेकिन अनलॉक हो जाने के बाद जब प्रतिष्ठान खुल गए तो पुनः बच्चे बाहर निकलने लगे और बाल मजदूरी करने लगे. उन्होंने बताया कि इसके कुछ मुख्य कारण होते हैं. कोरोना काल की वजह से सभी प्रतिष्ठानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में युवक से काम कराने में उन्हें ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा और बच्चों को कम भुगतान करके आसानी से काम करा सकते हैं. दूसरा बच्चों के घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है. वह अपने अभिभावक के साथ मिलकर काम करते हैं. ऐसे में हमारा प्रयास होगा हम स्थिति पर नियंत्रण कर सकें.प्रशासन के साथ मिलकर समाज को बालश्रम मुक्त करने का चला रहे अभियानउन्होंने बताया कि हमारी संस्था के द्वारा प्रशासन के सहयोग से समय-समय पर कई योजनाओं का संचालन किया जाता है. हम जगह-जगह पोस्टर बैनर व सभाओं का आयोजन कर लोगों को जागरूक करते हैं. इसके साथ ही प्रशासन के साथ मिलकर के कई अभियान भी चलाते हैं. इनमें बच्चों को रेस्क्यू किया जाता है. अभी बीते दिनों जिला प्रशासन के साथ मिलकर के हम लोगों ने एक अभियान चलाया था, जिसमें चौराहे पर जो बच्चे घूम-घूमकर भीख मांगते हैं, उनका रेस्क्यू किया गया था. इसमें हम लोगों ने 30 बच्चों को रेस्क्यू किया था और उन्हें रिहैबिलिटेट करवाया. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही यदि हमें कोई सूचना देता है कि कहीं पर बाल श्रम कराया जा रहा है तो हम श्रम विभाग और प्रशासन की मदद से वहां पर जाते हैं. बच्चे को आईडेंटिफाई करते हैं. सत्यता की जांच करते हैं. फिर उसके बाद जो भी कागजी कार्रवाई होती है, उसे संपन्न कराते हैं और पुनः बच्चे को जल्दी से निकालकर के उन्हें परिवार के सुपुर्द कर देते हैं. इसके साथ ही लोगों से अपील भी है कि वो बाल मजदूरी दिखने पर 1098 पर सूचना दे.श्रम विभाग भी है प्रयासरतवहीं, एलएसी देवव्रत यादव ने बताया कि श्रम विभाग के द्वारा समय-समय पर अभियान चलाकर के बाल श्रम को रोकने की कवायद की जाती है. यदि कहीं पर भी ऐसी कोई घटना होती है तो हमें सूचना मिलती है और हम वहां जाकर के कानूनी कार्रवाई करते है. उन्होंने बताया कि अभी हमने पूरे शहर में जितने भी प्रतिष्ठान थे, वहां पर पोस्टर चस्पा कराए हैं, जहां अब स्वयं दुकानदार बताएंगे कि उनके प्रतिष्ठान बालश्रम से मुक्त है. इसके साथ ही जितने भी धार्मिक स्थल हैं, वहां बड़ा अभियान चलाया जा रहा है. वहां पर जो बालश्रम करने वाले बच्चे हैं या जो भीख मांगने वाले बच्चे उनका रेस्क्यू कर उन्हें एक बेहतर जीवन दिया जा सके. हमारी भी है शहरवासियों से अपील भी है कि यदि कहीं पर भी बाल श्रम दिखे तो वह तुरंत हमें सूचित करें.

इसे भी पढ़ेंः देश की जनता को गुमराह करना चाहती है भाजपाः ओमप्रकाश राजभर


हर साल अलग थीम
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन में बाल श्रम को खत्म करने के लिए 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का शुभारंभ किया था. हर वर्ष बाल श्रम निषेध दिवस की थीम अलग होती है. इस वर्ष की थीम कोरोना वायरस के दौर में बच्चों को बचाना रखी गई है.

इसे भी पढ़ेंः कोरोना से बढ़ी बेरोजगारी तो बढ़ने लगे बाल श्रमिक

वाराणसीः 12 जून यानी विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (world day against child labor) . ये वो दिन है जब पूरी दुनिया संकल्प लेती है कि छोटे बच्चों के जीवन को मजदूरी में बर्बाद नहीं करने देंगे. उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए समाज में व्यवस्था बनाएंगे. इसके लिए हर साल संकल्प किए जाते हैं, भाषण होते हैं, बाते होती हैं लेकिन जमीनी हकीकत बहुत अलग है. सच्चाई ये है कि हमारे देश में आज भी लाखों बच्चे बाल मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं. सरकार ने भी 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराने पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन इसके बावजूद बाल मजदूरी खत्म नहीं हो रही. ऐसे हालात में वाराणसी (varanasi) में एक संस्था है जो सिर्फ बातें नहीं कर रही बल्कि धरातल पर उतर कर सराहनीय काम कर रही है. ये संस्था है अस्मिता चाइल्ड लाइन (asmita child line).

झुग्गियों में जाकर करते हैं जागरूक
यह संस्था झुग्गियों में जाकर तमाम परिवारों को जागरूक करती है. न केवल परिजनों को प्रेरित करती है कि अपने बच्चों को पढ़ने भेजें बल्कि वहां बच्चों को शिक्षा भी देती है. अस्मिता चाइल्ड लाइन के केयरटेकर फादर मजू मैथिव ने बताया कि वाराणसी के लगभग हर स्थान पर बाल श्रम करते हुए बच्चे मिल जाते हैं. इसके कई कारण हैं. एक तो यह कि बच्चों के परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, दूसरा इनका घरेलू वातावरण पढ़ाई के अनुकूल नहीं होता है. ऐसे बच्चों को हम रेस्क्यू करते हैं. उन्हें रिहैबिलिटेट करके उन्हें घर भेजते हैं. उन्होंने बताया कि हमारी संस्था दो बिन्दुओं पर फोकस करती है. एक तो हमारी 9 सदस्यीय टीम बालश्रम कर रहे बच्चों का रेस्क्यू करती हैं. दूसरा समाज में जाकर बच्चों और परिवार को जागरूक करते हैं. इसके लिए हमारी 16 सदस्यीय टीम वाराणसी के स्लम एरिया में जाकर वहां रहने वाले बच्चों को पढ़ाती है.

विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर विशेष
200 से ज्यादा बच्चों को किया है रेस्क्यूउन्होंने बताया कि अब तक हमारी संस्था ने 286 बच्चों का रेस्क्यू किया है. उन्हें उनके घर भेज दिया है. उन्होंने बताया कि हमारे पास बच्चों से संबंधित 50 केस यदि हर माह आते हैं तो उनमें चार से पांच के बाल श्रम से संबंधित होते हैं. कोरोना काल के बाबत उन्होंने बताया कि निश्चित तौर पर बाल श्रम में कमी आई है, लेकिन आगामी एक डेढ़ महीने में ये ग्राफ बढ़ेगा क्योंकि बीते साल भी लॉक डाउन में आंकड़ों में कमी थी लेकिन अनलॉक हो जाने के बाद जब प्रतिष्ठान खुल गए तो पुनः बच्चे बाहर निकलने लगे और बाल मजदूरी करने लगे. उन्होंने बताया कि इसके कुछ मुख्य कारण होते हैं. कोरोना काल की वजह से सभी प्रतिष्ठानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में युवक से काम कराने में उन्हें ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा और बच्चों को कम भुगतान करके आसानी से काम करा सकते हैं. दूसरा बच्चों के घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है. वह अपने अभिभावक के साथ मिलकर काम करते हैं. ऐसे में हमारा प्रयास होगा हम स्थिति पर नियंत्रण कर सकें.प्रशासन के साथ मिलकर समाज को बालश्रम मुक्त करने का चला रहे अभियानउन्होंने बताया कि हमारी संस्था के द्वारा प्रशासन के सहयोग से समय-समय पर कई योजनाओं का संचालन किया जाता है. हम जगह-जगह पोस्टर बैनर व सभाओं का आयोजन कर लोगों को जागरूक करते हैं. इसके साथ ही प्रशासन के साथ मिलकर के कई अभियान भी चलाते हैं. इनमें बच्चों को रेस्क्यू किया जाता है. अभी बीते दिनों जिला प्रशासन के साथ मिलकर के हम लोगों ने एक अभियान चलाया था, जिसमें चौराहे पर जो बच्चे घूम-घूमकर भीख मांगते हैं, उनका रेस्क्यू किया गया था. इसमें हम लोगों ने 30 बच्चों को रेस्क्यू किया था और उन्हें रिहैबिलिटेट करवाया. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही यदि हमें कोई सूचना देता है कि कहीं पर बाल श्रम कराया जा रहा है तो हम श्रम विभाग और प्रशासन की मदद से वहां पर जाते हैं. बच्चे को आईडेंटिफाई करते हैं. सत्यता की जांच करते हैं. फिर उसके बाद जो भी कागजी कार्रवाई होती है, उसे संपन्न कराते हैं और पुनः बच्चे को जल्दी से निकालकर के उन्हें परिवार के सुपुर्द कर देते हैं. इसके साथ ही लोगों से अपील भी है कि वो बाल मजदूरी दिखने पर 1098 पर सूचना दे.श्रम विभाग भी है प्रयासरतवहीं, एलएसी देवव्रत यादव ने बताया कि श्रम विभाग के द्वारा समय-समय पर अभियान चलाकर के बाल श्रम को रोकने की कवायद की जाती है. यदि कहीं पर भी ऐसी कोई घटना होती है तो हमें सूचना मिलती है और हम वहां जाकर के कानूनी कार्रवाई करते है. उन्होंने बताया कि अभी हमने पूरे शहर में जितने भी प्रतिष्ठान थे, वहां पर पोस्टर चस्पा कराए हैं, जहां अब स्वयं दुकानदार बताएंगे कि उनके प्रतिष्ठान बालश्रम से मुक्त है. इसके साथ ही जितने भी धार्मिक स्थल हैं, वहां बड़ा अभियान चलाया जा रहा है. वहां पर जो बालश्रम करने वाले बच्चे हैं या जो भीख मांगने वाले बच्चे उनका रेस्क्यू कर उन्हें एक बेहतर जीवन दिया जा सके. हमारी भी है शहरवासियों से अपील भी है कि यदि कहीं पर भी बाल श्रम दिखे तो वह तुरंत हमें सूचित करें.

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हर साल अलग थीम
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन में बाल श्रम को खत्म करने के लिए 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का शुभारंभ किया था. हर वर्ष बाल श्रम निषेध दिवस की थीम अलग होती है. इस वर्ष की थीम कोरोना वायरस के दौर में बच्चों को बचाना रखी गई है.

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Last Updated : Jun 12, 2021, 1:44 PM IST
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