वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 नवंबर को अपने एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी आ रहे हैं. पीएम मोदी का यह दौरा काशी और तमिल के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है. क्योंकि, इस दौरे पर पीएम मोदी काशी में आयोजित हो रहे तमिल संगम के मुख्य कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे. प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए काशी में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इन्ही तैयारियों के तहत पीएम मोदी के लिए एक खास तोहफा भी तैयार किया गया है, जो काशी और तमिल के संबंध को और मजबूत बनाएगा.
दरअसल, पीएम मोदी को हमेशा से काशी की कला और यहां की कारीगरी से बेहद लगाव रहा है. जिसकी तस्वीर समय-समय पर नजर आती है. जब भी पीएम मोदी कहीं बाहर या किसी विदेशी मेहमान का स्वागत करते हैं, तो वह काशी की कला, हैंडीक्राफ्ट को जरूर शामिल करते हैं. प्रधानमंत्री की पसंद को देखते हुए ही काशी में जिला प्रशासन ने गुलाबी मीनाकारी के जरिए एक खास तरीके का स्मृति चिन्ह तैयार कराया है.
5 दिनों में तैयार हुआ है स्मृति चिन्ह
इस बारे में तोहफा तैयार करने वाले गुलाबी मीनाकारी के कारीगर कुंज बिहारी सिंह बताते हैं कि जिला प्रशासन के निर्देश पर 5 दिनों में इसे बनाया गया है. इसे तमिल संगम के लोगों के अनुसार तैयार किया गया है, जिसमें नीले, लाल व पीले रंग का प्रयोग किया गया है. इसके साथ ही मोतियों की माला के जरिए इसकी कोटिंग की गई है जो इसे बेहद आकर्षक बना रहा है.
कारीगरों में उल्लास
उन्होंने कहा कि हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि हम अपने प्रधानमंत्री के लिए कोई तोहफा तैयार कर पा रहे हैं. पीएम मोदी हमेशा से ही इन इन कलाओं को प्रोत्साहित करते आए हैं और समय-समय पर इसकी तस्वीर भी नजर आती है.
बनारस पहुंचे तमिलनाडु के बुद्धिजीवी और धर्माचार्य, एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत
काशी तमिल संगमम की शुरुआत हो चुकी है पूरे 1 महीने तक चलने वाले इस आयोजन में कल यानी 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीएचयू के एम्फी थियेटर ग्राउंड में शिरकत करने वाले हैं. इस कार्यक्रम में छात्रों से लेकर तमिलनाडु के धर्माचार्य और अन्य कई बड़े लोग भी शामिल होंगे. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तमिलनाडु से पहला जत्था वाराणसी पहुंच चुका है. जिसमें धर्माचार्य भी शामिल है. वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पर इनका भव्य स्वागत हुआ और इसके बाद यह सभी काशी विश्वनाथ मंदिर भी दर्शन के लिए पहुंचे. जहां पर डमरू दल ने उनका स्वागत किया और इन पर पुष्प वर्षा करते हुए इन्हें बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करवाया गया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी यहां मौजूद थे.
वाराणसी में शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी एक माह तक चलने वाले काशी तमिल संगमम का उद्घाटन करने वाले हैं,. उससे पहले ही यहां तमिल श्रद्धालुओं के आगमन का सिलसिला तेज हो गया है. कई बार बनारस आ चुके तीर्थयात्री इस बात को भी स्पष्ट रूप से स्वीकार कर रहे हैं कि पहले की काशी और आज की नई काशी में काफी बदलाव आ चुका है.
काशी में बड़ी संख्या में तमिलनाडु के श्रद्धालु आते रहे हैं. मगर अब उन्हें काशी की बदलती तस्वीर भाने लगी है. वे अब योगी आदित्यनाथ जैसा मुख्यमंत्री अपने प्रदेश में भी चाहने लगे हैं. काशी तमिल संगमम में शामिल होने तमिलनाडु से आई अन्नपूर्णिनी ने बताया कि शिव जी की नगरी काशी की आध्यात्मिकता और धार्मिकता के चलते हम लोग हजारों किलोमीटर दूर से काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आते हैं. उन्होंने कहा काशी साफ सुथरी हो गई है. आप (उत्तर प्रदेश) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी को बहुत अच्छा बना दिया है. अन्नपूर्णिनी ने कहा हम लोग काशी विश्वनाथ से प्रार्थना किए हैं कि जैसा मुख्यमंत्री आप लोगों को मिला है वैसा ही तमिलनाडु को मिलना चाहिए.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्पीथियेटर में एक महीने तक चलने वाले ‘काशी तमिल संगमम्’ में तमिलनाडु से करीब 2500 लोग शामिल होंगे. बता दें कि धर्म और अध्यात्म की राजधानी काशी आज देशभर में विकास के मॉडल के रूप में पहचानी जा रही है. यहां गंगा घाट, विश्वनाथ धाम से लेकर सड़क तक हर जगह विकास साफ दिख रहा है. तमिलनाडु के यात्री बनारस में आयोजित काशी तमिल संगमम् की सराहना कर रहे हैं. उनका कहना है कि मोदी-योगी देशभर की जनता के दिलों में उतर रहे हैं. ऐसे कार्यक्रम से ना सिर्फ दक्षिण व उत्तर भारत के निगेटिव नैरेटिव को समाप्त करने में मदद मिलेगी बल्कि आत्मीय रिश्ते भी मजबूत होंगे.
वहीं काशी-तमिल संगमम में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के धर्मगुरुओं आदिनम का पहला जत्था वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर पहुंचा. जहां पर उनका भव्य स्वागत किया गया. स्वागत के पश्चात यह लोग काशी विश्वनाथ दर्शन करने के लिए रवाना हो गए. कल यह आदिनम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भी शामिल होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे. 9 सदस्य इस दल में तमिलनाडु के वरिष्ठ धर्माचार्य शामिल हैं.
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