वाराणसी : डिप्थीरिया यानी कि गलघोंटू की रोकथाम और बचाव के लिए विशेष टीकाकरण का अभियान चलाया जाएगा. इसके तहत स्कूल जाने वाले बच्चों को डीपीटी व टीडी का टीका लगाया जाएगा. मुख्य विकास अधिकारी के अनुसार यह विशेष टीकाकरण अभियान एक नवंबर से 10 नवंबर तक पूरे जिले में चलेगा. इस दौरान जिले के समस्त सरकारी व निजी क्षेत्र के स्कूलों में बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा. एसीएमओ का कहना है कि टिटनेस, डिप्थीरिया से बचाव के लिए बच्चों को पहली डोज 10 साल और बूस्टर डोज 16 वर्ष पर अनिवार्य रूप से लगवाएं.
10 नवंबर तक चलेगा अभियान : मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि स्कूल आधारित यह विशेष टीकाकरण अभियान एक नवंबर से 10 नवंबर तक चलेगा. अभियान जिले के सभी सरकारी व निजी क्षेत्र के स्कूलों में चलाया जाएगा. इस दौरान उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक को इस संबंध में निर्देश जारी किए. प्रधानाचार्यों से संपर्क कर कक्षावार नोडल अधिकारी नामित कराने को कहा गया है.
सभी बच्चों के माता-पिता से ली जाएगी सहमति : सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने कहा, अभियान से पहले सभी शिक्षक अभिभावक बैठक या स्कूल डायरी के माध्यम से बच्चों के माता-पिता को इस अभियान के बारे में बताएं. इसके साथ ही टीकाकरण के लिए उनसे सहमति लें. इस दौरान टीकाकरण के लिए लिखित असहमति व्यक्त करने वाले अभिभावक के बच्चों को छोड़कर शेष का टीकाकरण किया जाएगा. वहीं असहमत माता-पिता को उनके बच्चे के टीकाकरण के लिये प्रेरित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि स्कूल आधारित टीकाकरण अभियान एक से 10 नवम्बर के बीच गैर टीकाकरण दिवस जैसे 2 व 3 नवम्बर एवं 6 व 7 नवम्बर को सभी स्कूलों में आयोजित किया जाएगा.
इन कक्षाओं के बच्चों को लगाए जाएंगे टीके : सीएमओ ने बताया कि छूटे हुए बच्चों के लिए 9 एवं 10 नवम्बर को टीकाकरण सत्र नियोजित किए जा सकते हैं. वहीं एसीएमओ डॉ. एके मौर्य ने कहा कि कक्षा एक में बढ़ने वाले 5 साल तक के बच्चों को डीपीटी सेकेंड बूस्टर डोज, कक्षा 5 में पढ़ने वाले 10 साल तक के बच्चों को टीडी प्रथम डोज, कक्षा 10 में पढ़ने वाले 16 साल तक के बच्चों को टीडी बूस्टर डोज लगाया जाएगा. इस अभियान के बुधवार व शनिवार को सभी स्कूल न जाने वाले और वैक्सीन से छूटे हुए बच्चों को ड्यू टीके लगाए जाएंगे. इस दौरान प्रचार-प्रसार के लिए बैनर, पोस्टर इत्यादि का प्रयोग किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
बच्चों को इस अंतराल पर लगवाएं ये डोज : डॉ. एके मौर्य ने कहा, प्रत्येक टीकाकरण सत्र पर एडवर्स इवैंट फोलोविंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) प्रबंधन के लिए आवश्यक किट और डीपीटी के बाद बुखार के प्रबन्धन के लिए आवश्यक दवा की उपलब्धता जरूर सुनिश्चित कर लें. उन्होंने बताया कि डीपीटी यानि डिप्थीरिया, पर्ट्युसिस (काली खांसी) और टिटनेस से अपने बच्चों को बचाने के लिए 16 से 24 माह पर इसकी पहली डोज और 5 से 6 साल पर दूसरी या बूस्टर डोज अनिवार्य रूप से लगवाएं. इसके साथ ही टीडी यानी टिटनेस डिप्थीरिया से बचाव के लिए इसकी पहली डोज 10 साल और दूसरी या बूस्टर डोज 16 वर्ष पर अनिवार्य रूप से लगवाएं.
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