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सोमवती अमावस्या पर आज करें गंगा स्नान और पीपल के पेड़ की पूजा, मिलेंगे कई लाभ

दिवाली के अगले दिन सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2023) का खासा महत्व है. इस दिन गंगा स्नान के साथ ही पीपल के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है. इस दिन दान और श्राद्ध का भी खासा महत्व है.

Somvati Amavasya 2023
Somvati Amavasya 2023
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 13, 2023, 12:02 AM IST

Updated : Nov 13, 2023, 5:59 AM IST

वाराणसी : सनातन धर्म ग्रंथों में सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान और पीपल के पेड़ की पूजा की विशेष महिमा बताई गई है. सोमवती अमावस्या दीपावली के अगले दिन पड़ती है. इस बार सोमवार को यह खास दिन है. ज्योतिषविद के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि रविवार, 12 नवंबर को दिन में 2 बजकर 46 मिनट पर लगेगी. यह अगले दिन सोमवार, 13 नवंबर को दिन में 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगी. विशाखा नक्षत्र रविवार, 12 नवम्बर को अर्द्धरात्रि के पश्चात 4 बजकर 52 मिनट से सोमवार, 13 नवंबर की रात 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. सौभाग्य योग रविवार, 12 नवंबर को दिन में 4 बजकर 24 मिनट से सोमवार, 13 नवंबर को दिन में 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. अमावस्या तिथि पर स्नान-दान-व्रत एवं श्राद्ध करने का विशेष महत्व है.

ऐसे करें पूजा-अर्चना : ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध व कुश लेकर अमावस्या तिथि के पूजन का संकल्प लेना चाहिए. सोमवती अमावस्या पर भगवान विष्णु एवं पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है. अमावस्या तिथि पर विधि-विधान पूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना की जाती है. पितरों के आशीर्वाद से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली का आगमन होता है. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना के पश्चात पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति का सुयोग बनता है. पीपल वृक्ष की विशेष महिमा धार्मिक मान्यता के अनुसार पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है.

108 बार करनी चाहिए परिक्रमा : पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाने के बाद विधि-विधान पूर्वक पूजा के पश्चात 108 बार परिक्रमा करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है. इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट देवी देवता एवं आराध्य देवी-देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए. ब्राह्मण को घर पर आमंत्रित कर उन्हें भोजन करवाकर सफेद रंग की वस्तुओं का दान जैसे- चावल, दूध, मिश्री, चीनी, खोवे से बने सफेद मिष्ठान्न, सफेद वस्त्र, चांदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ देकर, उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए. किसी कारणवश यदि ब्राह्मण को भोजन न करवा सकें तो इस स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री (सिद्धा) के साथ नकद देकर पुण्यलाभ प्राप्त करना चाहिए.

इस मंत्र का करें जप : ज्योतिषविद ने बताया कि समस्त धार्मिक अनुष्ठान करने पर उत्तम फल की प्राप्ति होती है. पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. पीपल वृक्ष पूजा मन्त्र - ॐ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः जपकर करना चाहिए. आज के दिन व्रतकर्ता को अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखते हुए यथासम्भव गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों की सेवा व सहायता, परोपकार अवश्य करना चाहिए. इससे जीवन में सुख-शांति व खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है.

यह भी पढ़ें : देव दीपावली पर काशी आने वाले पर्यटकों को ठहरने के लिए नहीं करनी होगी जद्दोजहद, यहां मिलेंगे कमरे

वाराणसी : सनातन धर्म ग्रंथों में सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान और पीपल के पेड़ की पूजा की विशेष महिमा बताई गई है. सोमवती अमावस्या दीपावली के अगले दिन पड़ती है. इस बार सोमवार को यह खास दिन है. ज्योतिषविद के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि रविवार, 12 नवंबर को दिन में 2 बजकर 46 मिनट पर लगेगी. यह अगले दिन सोमवार, 13 नवंबर को दिन में 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगी. विशाखा नक्षत्र रविवार, 12 नवम्बर को अर्द्धरात्रि के पश्चात 4 बजकर 52 मिनट से सोमवार, 13 नवंबर की रात 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. सौभाग्य योग रविवार, 12 नवंबर को दिन में 4 बजकर 24 मिनट से सोमवार, 13 नवंबर को दिन में 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. अमावस्या तिथि पर स्नान-दान-व्रत एवं श्राद्ध करने का विशेष महत्व है.

ऐसे करें पूजा-अर्चना : ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध व कुश लेकर अमावस्या तिथि के पूजन का संकल्प लेना चाहिए. सोमवती अमावस्या पर भगवान विष्णु एवं पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है. अमावस्या तिथि पर विधि-विधान पूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना की जाती है. पितरों के आशीर्वाद से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली का आगमन होता है. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना के पश्चात पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति का सुयोग बनता है. पीपल वृक्ष की विशेष महिमा धार्मिक मान्यता के अनुसार पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है.

108 बार करनी चाहिए परिक्रमा : पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाने के बाद विधि-विधान पूर्वक पूजा के पश्चात 108 बार परिक्रमा करने पर सौभाग्य में वृद्धि होती है. इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट देवी देवता एवं आराध्य देवी-देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए. ब्राह्मण को घर पर आमंत्रित कर उन्हें भोजन करवाकर सफेद रंग की वस्तुओं का दान जैसे- चावल, दूध, मिश्री, चीनी, खोवे से बने सफेद मिष्ठान्न, सफेद वस्त्र, चांदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ देकर, उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए. किसी कारणवश यदि ब्राह्मण को भोजन न करवा सकें तो इस स्थिति में उन्हें भोजन सामग्री (सिद्धा) के साथ नकद देकर पुण्यलाभ प्राप्त करना चाहिए.

इस मंत्र का करें जप : ज्योतिषविद ने बताया कि समस्त धार्मिक अनुष्ठान करने पर उत्तम फल की प्राप्ति होती है. पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. पीपल वृक्ष पूजा मन्त्र - ॐ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः जपकर करना चाहिए. आज के दिन व्रतकर्ता को अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखते हुए यथासम्भव गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों की सेवा व सहायता, परोपकार अवश्य करना चाहिए. इससे जीवन में सुख-शांति व खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है.

यह भी पढ़ें : देव दीपावली पर काशी आने वाले पर्यटकों को ठहरने के लिए नहीं करनी होगी जद्दोजहद, यहां मिलेंगे कमरे

Last Updated : Nov 13, 2023, 5:59 AM IST
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