वाराणसी: मंदिरों की नगरी काशी अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. महादेव की इस नगरी में सदियों से स्थापित बहुत से मंदिर हैं, जिनका इतिहास खुद में अद्भुत रहा है. काशी में कण कण में शंकर की बात ऐसे ही नहीं कही जाती, यहां के ज्यादातर घरों में अति प्राचीन मंदिर स्थापित हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके आस पास कई मंदिर ऐसे भी हैं, जिनके बारे में यहां लोग भी नहीं जानते. ऐसे ही मंदिरों के इतिहास की तलाश की जा रही है. दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को इन मंदिरों की जानकारी देने के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है.
इस संबंध में मंडलायुक्त वाराणसी दीपक अग्रवाल ने बताया कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के दौरान बहुत से ऐसे मंदिर मिलें हैं, जिनके इतिहास के बारे में किसी को जानकारी नहीं है. इन्हीं मंदिरों के इतिहास की तलाश की जा रही है, जिसकी जानकारी दर्शन के लिए आने भक्तों को भी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि इसके लिए एक नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जिसके माध्यम से भक्तों और श्रद्धालुओं के पास से गुजरने वाले मंदिरों की जानकारी मिलेगी. भक्त उसी का अनुसरण करते हुए दर्शन के साथ उस मंदिर का इतिहास भी जान सकेंगे.
काशी खंड में मौजूद हैं सभी मंदिरों की गाथा
पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के आस पास मिले सभी मंदिरों का इतिहास काशी खंड नामक पुस्तक में वर्णित है. इसके बारे में जानकारी देते हुए बीएचयू के सामाजिक विज्ञानं संकाय के हेड प्रो. कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि काशी खंड नामक पौराणिक पुस्तक में काशी में स्थित सभी मंदिरों का इतिहास दर्ज है. उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ क्षेत्र को काशी राज क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. बाबा काशी विश्वनाथ के आस पास मिले मंदिर उन्हीं की प्रजा के रूप में देखें जाते हैं.
औरंगजेब के दौर में शुरू हुआ विस्थापन
प्रो. कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि औरंगजेब ने अपने कार्यकाल में काशी के मंदिरों को तोडना शुरू किया और काशी के लोगों ने मंदिरों के संरक्षण के लिए उन्हें अपने घरों में रखना शुरू किया, जिसके बाद उन ऐतिहासिक मंदिरों को बचाया गया. आज उनके इतिहास की तलाश की जा रही है.