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बाबा विश्वनाथ को गर्मी से बचाने के लिए लगा रजत जलधारी

अक्षय तृतीया के मौके पर गर्मी से बाबा विश्वनाथ को बचाने के लिए भक्तों ने शिवलिंग पर रजत जलधारी लगाया है. इसके अलावा भक्तों ने बाबा के शिललिंग पर सैकड़ों किलों लंगड़ा आम का भोग लगाया है.

भोलेनाथ को चढ़ा सैकड़ों किलो लंगड़ा आम
भोलेनाथ को चढ़ा सैकड़ों किलो लंगड़ा आम
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Published : May 15, 2021, 3:44 AM IST

वाराणसी: अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर शुक्रवार को श्री काशी विश्वनाथ के गर्भगृह में बाबा को गर्मी की तपिश से बचाने के लिए रजत जलधारी लगाया गया. हर साल की तरह इस साल भी वैशाख-ज्येष्ठ और आषाढ़ की तपिश गर्मी से काशी पुराधिपति को बचाने के लिए शिवभक्तों ने गर्भगृह में अरघे से ठीक ऊपर जलधारी लगाई. रजत जलधारी (फव्वारा) से लगातार गंगाजल, गुलाब जल, इत्र बाबा के शिवलिंग पर गिर रहा है.

बाबा विश्वनाथ को तपिश से बचाने के लिए लगा रजत जलधारी
बाबा विश्वनाथ को तपिश से बचाने के लिए लगा रजत जलधारी

बरसों से चली आ रही है ये परंपरा
आस्था से जुड़ी इस अनूठी परम्परा को अक्षय तृतीया पर ही निभाने की परंपरा बरसों से चली आ रही है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक की माने तो बाबा भोलेनाथ को शीतलता अतिप्रिय है. इससे वो अति प्रशन्न हो जाते हैं. ऐसे में अक्षयफल की कामना से पर्व विशेष पर यह विधान किये जाते हैं. खास बात यह कि इस बार गंगा जल सीधे इसमें आएगा. इसके लिए निर्माणाधीन कॉरिडोर की सुरक्षा में लगे पीएसी के जवानों ने पंप-पाइप लगाकर जलधारी का अस्थायी टंकी से कनेक्शन कर दिया है. इससे पहले इस काम के लिए दो सेवादारों की ड्यूटी लगाई जाती थी, जो रजत कलश में जल लाकर टंकी में भरते थे. फिलहाल यह सिलसिला अक्षय तृतीया से अनवरत सावन माह के पूर्णिमा तक चलता रहेगा.

इसे भी पढ़ें: अक्षय तृतीया पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

बाबा ने चढ़ा लंगड़ा आम
वहीं अक्षय तृति‍या पर बाबा श्री काशी वि‍श्‍वनाथ को चढ़ा बनारसी लंगड़ा आम का भोग भी लाग्या गया. मंदिर के अर्चकों ने सैकड़ों किलो आम से भोलेनाथ का अरघा भरकर उन्हें भोग-प्रसाद चढ़ाया. अर्चकों ने बनारसी लंगड़े आम से पूरा अरघा भर दिया था.

वाराणसी: अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर शुक्रवार को श्री काशी विश्वनाथ के गर्भगृह में बाबा को गर्मी की तपिश से बचाने के लिए रजत जलधारी लगाया गया. हर साल की तरह इस साल भी वैशाख-ज्येष्ठ और आषाढ़ की तपिश गर्मी से काशी पुराधिपति को बचाने के लिए शिवभक्तों ने गर्भगृह में अरघे से ठीक ऊपर जलधारी लगाई. रजत जलधारी (फव्वारा) से लगातार गंगाजल, गुलाब जल, इत्र बाबा के शिवलिंग पर गिर रहा है.

बाबा विश्वनाथ को तपिश से बचाने के लिए लगा रजत जलधारी
बाबा विश्वनाथ को तपिश से बचाने के लिए लगा रजत जलधारी

बरसों से चली आ रही है ये परंपरा
आस्था से जुड़ी इस अनूठी परम्परा को अक्षय तृतीया पर ही निभाने की परंपरा बरसों से चली आ रही है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक की माने तो बाबा भोलेनाथ को शीतलता अतिप्रिय है. इससे वो अति प्रशन्न हो जाते हैं. ऐसे में अक्षयफल की कामना से पर्व विशेष पर यह विधान किये जाते हैं. खास बात यह कि इस बार गंगा जल सीधे इसमें आएगा. इसके लिए निर्माणाधीन कॉरिडोर की सुरक्षा में लगे पीएसी के जवानों ने पंप-पाइप लगाकर जलधारी का अस्थायी टंकी से कनेक्शन कर दिया है. इससे पहले इस काम के लिए दो सेवादारों की ड्यूटी लगाई जाती थी, जो रजत कलश में जल लाकर टंकी में भरते थे. फिलहाल यह सिलसिला अक्षय तृतीया से अनवरत सावन माह के पूर्णिमा तक चलता रहेगा.

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बाबा ने चढ़ा लंगड़ा आम
वहीं अक्षय तृति‍या पर बाबा श्री काशी वि‍श्‍वनाथ को चढ़ा बनारसी लंगड़ा आम का भोग भी लाग्या गया. मंदिर के अर्चकों ने सैकड़ों किलो आम से भोलेनाथ का अरघा भरकर उन्हें भोग-प्रसाद चढ़ाया. अर्चकों ने बनारसी लंगड़े आम से पूरा अरघा भर दिया था.

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