वाराणसी: काशी में हल्की सर्दियों की शुरुआत में ही घाटों पर साइबेरियन पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है. ये विदेशी पक्षी लगभग 1 से 2 महीने काशी के घाटों पर रहते हैं और यहां की शोभा बढ़ाते हैं. इसके साथ ही नौका विहार करने वाले लोगों के लिए भी ये पक्षी आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं.
खुशनुमा हुआ नौका विहार
काशी में अक्टूबर माह के मध्य से ही यह साइबेरियन पक्षी गंगा की लहरों के बीच अठखेलियां करते हुए नजर आते हैं. यही कारण है कि काशी में नौका विहार करने वाले लोगों के लिए यह एक आकर्षण का केंद्र होता है और विशेषकर सैलानी भी इसी समय में काशी के घाटों का लुफ्त उठाने के लिए आते हैं. नौका विहार करने वालों का कहना है कि अगर नौका विहार के समय इन पक्षियों को नहीं देखा, तो नौका विहार को अधूरा माना जाता है.
पर्यटन को बढ़ावा देते हैं ये पक्षी
रंगीन ठंड के मौसम में घाटों पर आने वाले यह पक्षी पर्यटकों की पहली पसंद होते हैं. अगर पर्यटकों की माने तो नौका विहार के समय इन साइबेरियन पक्षियों की चहचहाहट उत्साह प्रकट करने का काम करती हैं. लोग इन्हें चारा खिलाते हैं, जिससे यह पक्षी पर्यटकों के बिल्कुल समीप आ जाते हैं. जिसका आनंद यह पर्यटक भरपूर लेते हैं.
नाविकों का बढ़ता है रोजगार
इन पक्षियों के संबंध में काशी के नाविक समाज का कहना है कि इन पक्षियों की वजह से नौका विहार करने वालों की संख्या में भारी मात्रा में बढ़ोतरी होती है, जिसके कारण नाविकों की रोजी-रोटी अच्छे से चलती है. नाविक समाज के अध्यक्ष शंभू मांझी का कहना है कि सात समंदर पार से यह पक्षी आकर हम नाविकों को सौगात देते हैं. इनके आगमन से जहां एक और घाटों की सुंदरता में चार चांद लग जाता है, वहीं दूसरी ओर घाटों पर पर्यटकों की संख्या भी बढ़ती है, जिससे घाटों पर रोजगार करने वाले लोगों को इसका लाभ प्राप्त होता है.
हल्की ठंड में होता है आगमन
वैश्विक महामारी कोरोना ने भले ही पूरी दुनिया में कहर बरपाया हो, लेकिन इन साइबेरियन पक्षियों की उड़ान ने सभी को पीछे छोड़ दिया है. यही कारण है कि यह पक्षी सात समंदर पार से आकर घाटों की रौनक बढ़ा रहे हैं. बता दें कि हल्की ठंडी कि शुरुआत में ही इन पक्षियों का आगमन काशी में होता है. इस नजारे को देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है.