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वाराणसी में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन

धर्म और मोक्ष की नगरी काशी के दुर्गा कुण्ड स्थित धर्म संघ में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के कथावाचक संजय लीला जी महाराज सोमवार को वृंदावन से पधारे. कार्यक्रम में माहौल पूरा शिवमय था.

श्रीमद्भागवत कथा सुनते श्रद्धालु
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Published : Aug 6, 2019, 1:22 PM IST

वाराणसी: काशी में मोक्ष की कामना को लेकर श्रीमद्भागवत कथा का कार्यक्रम आयोजित किया गया. सोमवार को कार्यक्रम का तीसरा दिन रहा. वृंदावन से आए कथावाचक संजय लीला जी महाराज ने तीसरे दिन श्री कृष्ण जन्म का महत्व बताते हुए कहा कि श्री कृष्ण का जन्म अत्याचार और पाप का शमन करने के लिए हुआ था.

श्रीमद्भागवत कथा का किया गया आयोजन.
श्रीमद्भागवत कथा का किया गया आयोजनवाराणसी के दुर्गा कुंड स्थित धर्म संघ में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन तीन दिन पहले शनिवार को ही हो गया था. भगवान शिव की नगरी में उनके आराध्य भगवान विष्णु की कथा अपने आप में अपनी महत्ता को बताती है. ऐसे में देश के विभिन्न कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने बड़ी आस्था के साथ श्रीमद्भागवत का अनुसरण किया और अपने जीवन में उसे पालन करने के लिए भगवान से प्रार्थना किया. कथा में जब भी श्री कृष्ण के बालपन का जिक्र होता था तो जय श्री राम, हरे कृष्ण हरे राम और हर-हर महादेव से पूरा परिसर गूंज उठता था.

वृंदावन से संजय लीला जी महाराज आए हैं. सावन का पवित्र महीना और बाबा विश्वनाथ की नगरी हो तो ऐसे में श्रीमद्भागवत गीता सुनने का अलग ही महत्व है. यह कथा भगवान उनके भक्तों और आस्था की कथा है, क्योंकि जाने -नजाने में किये गये पाप से हम भगवान से क्षमा मांगते हैं.
-संजय सलीका, आयोजक

वाराणसी: काशी में मोक्ष की कामना को लेकर श्रीमद्भागवत कथा का कार्यक्रम आयोजित किया गया. सोमवार को कार्यक्रम का तीसरा दिन रहा. वृंदावन से आए कथावाचक संजय लीला जी महाराज ने तीसरे दिन श्री कृष्ण जन्म का महत्व बताते हुए कहा कि श्री कृष्ण का जन्म अत्याचार और पाप का शमन करने के लिए हुआ था.

श्रीमद्भागवत कथा का किया गया आयोजन.
श्रीमद्भागवत कथा का किया गया आयोजनवाराणसी के दुर्गा कुंड स्थित धर्म संघ में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन तीन दिन पहले शनिवार को ही हो गया था. भगवान शिव की नगरी में उनके आराध्य भगवान विष्णु की कथा अपने आप में अपनी महत्ता को बताती है. ऐसे में देश के विभिन्न कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने बड़ी आस्था के साथ श्रीमद्भागवत का अनुसरण किया और अपने जीवन में उसे पालन करने के लिए भगवान से प्रार्थना किया. कथा में जब भी श्री कृष्ण के बालपन का जिक्र होता था तो जय श्री राम, हरे कृष्ण हरे राम और हर-हर महादेव से पूरा परिसर गूंज उठता था.

वृंदावन से संजय लीला जी महाराज आए हैं. सावन का पवित्र महीना और बाबा विश्वनाथ की नगरी हो तो ऐसे में श्रीमद्भागवत गीता सुनने का अलग ही महत्व है. यह कथा भगवान उनके भक्तों और आस्था की कथा है, क्योंकि जाने -नजाने में किये गये पाप से हम भगवान से क्षमा मांगते हैं.
-संजय सलीका, आयोजक

Intro:मोक्ष की नगरी काशी में मोक्ष की कामना लेकर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया जिसका आज तीसरा दिन रहा वृंदावन से आए कथावाचक संजय लीला जी महाराज के मुख से भक्तों ने श्रीमद्भागवत का श्रवण किया कथा वाचक संजय लीला जी ने तीसरे दिन श्री कृष्ण जन्म का महत्व बताते हुए कहा कि श्री कृष्ण का जन्म अत्याचार और पाप का शमन करने के लिए हुआ था


Body:जैसा की विधित है कि मनुष्य को उसका बाप ही उसको मारता है उन्होंने कहा कि गंगा में स्नान करने से दही शुद्धता प्राप्त होती है लेकिन श्री कृष्ण कथा के अंतर सागर में डुबकी लगाने से हृदय शुद्ध होता है भगवान सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाने वाली अमृत कथा है।
भगवान शिव की नगरी में उनके आराध्य भगवान विष्णु की कथा अपने आप में अपनी महत्वता को बताती है ऐसे में देश के विभिन्न कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने बड़ी आस्था के साथ श्रीमद्भागवत का अनुसरण किया और अपने जीवन में उसे पालन करने के लिए भगवान से प्रार्थना किया। कथा में जब जब भी श्री कृष्ण के बालपन का जिक्र होता था तो जय श्री राम हरे कृष्ण हरे राम और हर हर महादेव से पूरा परिसर गूंज उठा था।


Conclusion:संजय सलीका ने बताया कि वृंदावन से महाराज जी आए हैं सावन का पवित्र महीना हो और बाबा विश्वनाथ की नगरी हो ऐसे में श्रीमद्भागवत गीता सुनने का अलग ही महत्व है यह कथा है भगवान की और उनके भक्तों की यह कथा है आस्था की क्योंकि जाने अनजाने में हम जो पाप करते हैं हम भगवान से उसके लिए क्षमा मांगते हैं।


अशुतोष

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