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BHU के नेग्रीच्यूड में दिखा 1920 के दशक के अफ्रीकी-अमेरिकी कलाकारों का संघर्ष - वाराणसी की खबर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित कला प्रदर्शनी में साल 1920 से 1930 तक अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों के जीवन और उनके संघर्ष को दिखाया गया.

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बीएचयू में कला प्रदर्शनी का आयोजन
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Published : Mar 3, 2020, 2:26 PM IST

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन में अफ्रीकी-अमेरिकी कला नेग्रीच्यूड प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. प्रदर्शनी में इतिहास कला विभाग द्वारा अमेरिका के 26 प्रतिभागियों ने ब्रश के माध्यम से बेहद खास पेंटिंग बनाई है. इन पेंटिंग के जरिए साल 1920 से 1930 तक अफ्रीकी-अमेरिकी कलाकारों का जीवन संघर्ष दिखाया गया है.

बीएचयू में कला प्रदर्शनी का आयोजन

प्रदर्शनी में एपेक्स संग्रहालय और उत्तरी कैरोलिना की पेंटिंग सहित कुल 31 कलाकृतियां शामिल की गई हैं. यह प्रदर्शनी एक हफ्ते तक रहेगी. यह प्रदर्शनी इससे पहले कोच्ची में लगी थी. वाराणसी के बाद शांति निकेतन और गोवा में लगने वाली है. प्रदर्शनी के क्यूरेटर और सवाना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पैंगी प्रोपेन गी ब्लड ने बीएचयू का आभार व्यक्त किया.

कला के इतिहास में सबसे बड़ी क्रांति 1920 और 30 के हाल में पुनर्जागरण की थी, जिसने पूरे राष्ट्र की संस्कृति को बदल दिया. यह प्रदर्शनी पिछली सदी में और वर्तमान के अफ्रीकी-अमेरिकी कलाकारों के जीवन और संघर्ष को दर्शाता है.
प्रो. प्रदोष कुमार मिश्र, समन्वयक

बीएचयू के लिए यह गर्व की बात है, यह इंटरनेशनल पेंटिंग है. हर देश का अपना संघर्ष होता है, अफ्रीका-अमेरिका के संघर्षों को इस पेंटिंग में बखूबी दर्शाया गया है. यह हमारे लिए बहुत ही सीखने का बात है कि हमारे यहां देश के अलग कलाकारों ने पेंटिंग लगाई है.
वंदना तोमर, दर्शक

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन में अफ्रीकी-अमेरिकी कला नेग्रीच्यूड प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. प्रदर्शनी में इतिहास कला विभाग द्वारा अमेरिका के 26 प्रतिभागियों ने ब्रश के माध्यम से बेहद खास पेंटिंग बनाई है. इन पेंटिंग के जरिए साल 1920 से 1930 तक अफ्रीकी-अमेरिकी कलाकारों का जीवन संघर्ष दिखाया गया है.

बीएचयू में कला प्रदर्शनी का आयोजन

प्रदर्शनी में एपेक्स संग्रहालय और उत्तरी कैरोलिना की पेंटिंग सहित कुल 31 कलाकृतियां शामिल की गई हैं. यह प्रदर्शनी एक हफ्ते तक रहेगी. यह प्रदर्शनी इससे पहले कोच्ची में लगी थी. वाराणसी के बाद शांति निकेतन और गोवा में लगने वाली है. प्रदर्शनी के क्यूरेटर और सवाना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पैंगी प्रोपेन गी ब्लड ने बीएचयू का आभार व्यक्त किया.

कला के इतिहास में सबसे बड़ी क्रांति 1920 और 30 के हाल में पुनर्जागरण की थी, जिसने पूरे राष्ट्र की संस्कृति को बदल दिया. यह प्रदर्शनी पिछली सदी में और वर्तमान के अफ्रीकी-अमेरिकी कलाकारों के जीवन और संघर्ष को दर्शाता है.
प्रो. प्रदोष कुमार मिश्र, समन्वयक

बीएचयू के लिए यह गर्व की बात है, यह इंटरनेशनल पेंटिंग है. हर देश का अपना संघर्ष होता है, अफ्रीका-अमेरिका के संघर्षों को इस पेंटिंग में बखूबी दर्शाया गया है. यह हमारे लिए बहुत ही सीखने का बात है कि हमारे यहां देश के अलग कलाकारों ने पेंटिंग लगाई है.
वंदना तोमर, दर्शक

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