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हाई स्पीड ट्रेन को लेकर काम हुआ तेज, किसानों से मिले अधिकारी

वाराणसी में हाई स्पीड ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों और अधिकारियों के साथ उपजिलाधिकारी ने की बैठक की. इस बैठक में भूमि अधिग्रहण, सार्वजनिक प्रस्तुतिकरण, पर्यावरण और सामाजिक परामर्श सहित कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई.

high speed train route
हाई स्पीड ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण.
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Published : Mar 27, 2021, 1:48 AM IST

वाराणसी: राजातालाब तहसील सभागार में शुक्रवार को सार्वजनिक प्रस्तुतिकरण, पर्यावरण और सामाजिक परामर्श के लिए उपजिलाधिकारी मणिकंडन ए की अध्यक्षता में मीटिंग बुलाई गई. मीटिंग में किसानों संग परियोजना के अधिकारियों ने मंथन किया गया. वाराणसी-दिल्ली हाई स्पीड कॉरिडोर वाराणसी सहित 21 जिलों से होकर गुजरेगी. परियोजना की पूरी लंबाई 810 किमी होगी. राजातालाब तहसील क्षेत्र के गांवों के प्लाटों को अधिग्रहित करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

अधिकारियों के साथ बैठक.
अधिकारियों के साथ बैठक.

सर्वे के साथ अन्य तैयारियों में जुटे अधिकारी

दरअसल वाराणसी से दिल्ली के बीच हाई स्पीड ट्रेन चलाई जाने को लेकर सर्वे पहले ही शुरू किया जा चुका था. इसे लेकर दिल्ली से इस सर्वे की शुरुआत हुई है और नई टेक्नोलॉजी से आसमान के जरिए यह पूरा सर्वे कंप्लीट किया जा रहा है. इसमें रास्ते में अलग-अलग जगहों पर आने वाली दिक्कतों को दूर करने के फायदे जमीन अधिग्रहण को लेकर मंथन जारी है. इस क्रम में दिल्ली-वाराणसी कॉरिडोर की जिम्मेदारी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और ईजीआइएस-इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी बनारस पहुंचकर किसानों से मुलाकात करने में जुट गए हैं.

बैठक में शामिल किसान.
बैठक में शामिल किसान.

यह होगा प्लान

कॉर्पोरेशन के प्रोजेकट मैनेजर सत्यव्रत पांडेय और सब डिविजनल अफसर अनिल शर्मा ने बताया कि दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर को प्राथमिकता में शामिल किया गया है. इसके अलावा भी मुंबई-अहमदाबाद और लखनऊ से अयोध्या रेल कॉरिडोर पर काम चल रहा है. दिल्ली-वाराणसी कॉरिडोर की लंबाई 810 किमी, मुंबई से अहमदाबाद की लंबाई 945 किलोमीटर जबकि लखनऊ से अयोध्या लंबाई 135 किलोमीटर है.

बताया कि दिल्ली, प्रयागराज और भदोही से बनारस के लिए तीन डिपो बनाए गए हैं. दिल्ली से वाराणसी की परियोजना में 23 जिलों के 46 तहसीलों और 794 गांव शामिल हैं. इसमें कुल भूमि 2,00,324. 22 हेक्टेयर अधिग्रहित की जाएगी. अधिग्रहण के लिए शहरी क्षेत्रों में सर्किल रेट से दो गुना जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा. इसके लिए भूमि स्वामी से सहमति ली जाएगी. सक्षम अधिकारियों द्वारा इसका मूल्यांकन किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- गुजरात के कांडला से गोरखपुर तक बिछाई जा रही विश्व की सबसे बड़ी पाइपलाइन

वाराणसी: राजातालाब तहसील सभागार में शुक्रवार को सार्वजनिक प्रस्तुतिकरण, पर्यावरण और सामाजिक परामर्श के लिए उपजिलाधिकारी मणिकंडन ए की अध्यक्षता में मीटिंग बुलाई गई. मीटिंग में किसानों संग परियोजना के अधिकारियों ने मंथन किया गया. वाराणसी-दिल्ली हाई स्पीड कॉरिडोर वाराणसी सहित 21 जिलों से होकर गुजरेगी. परियोजना की पूरी लंबाई 810 किमी होगी. राजातालाब तहसील क्षेत्र के गांवों के प्लाटों को अधिग्रहित करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

अधिकारियों के साथ बैठक.
अधिकारियों के साथ बैठक.

सर्वे के साथ अन्य तैयारियों में जुटे अधिकारी

दरअसल वाराणसी से दिल्ली के बीच हाई स्पीड ट्रेन चलाई जाने को लेकर सर्वे पहले ही शुरू किया जा चुका था. इसे लेकर दिल्ली से इस सर्वे की शुरुआत हुई है और नई टेक्नोलॉजी से आसमान के जरिए यह पूरा सर्वे कंप्लीट किया जा रहा है. इसमें रास्ते में अलग-अलग जगहों पर आने वाली दिक्कतों को दूर करने के फायदे जमीन अधिग्रहण को लेकर मंथन जारी है. इस क्रम में दिल्ली-वाराणसी कॉरिडोर की जिम्मेदारी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और ईजीआइएस-इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी बनारस पहुंचकर किसानों से मुलाकात करने में जुट गए हैं.

बैठक में शामिल किसान.
बैठक में शामिल किसान.

यह होगा प्लान

कॉर्पोरेशन के प्रोजेकट मैनेजर सत्यव्रत पांडेय और सब डिविजनल अफसर अनिल शर्मा ने बताया कि दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर को प्राथमिकता में शामिल किया गया है. इसके अलावा भी मुंबई-अहमदाबाद और लखनऊ से अयोध्या रेल कॉरिडोर पर काम चल रहा है. दिल्ली-वाराणसी कॉरिडोर की लंबाई 810 किमी, मुंबई से अहमदाबाद की लंबाई 945 किलोमीटर जबकि लखनऊ से अयोध्या लंबाई 135 किलोमीटर है.

बताया कि दिल्ली, प्रयागराज और भदोही से बनारस के लिए तीन डिपो बनाए गए हैं. दिल्ली से वाराणसी की परियोजना में 23 जिलों के 46 तहसीलों और 794 गांव शामिल हैं. इसमें कुल भूमि 2,00,324. 22 हेक्टेयर अधिग्रहित की जाएगी. अधिग्रहण के लिए शहरी क्षेत्रों में सर्किल रेट से दो गुना जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा. इसके लिए भूमि स्वामी से सहमति ली जाएगी. सक्षम अधिकारियों द्वारा इसका मूल्यांकन किया जाएगा.

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