प्रयागराजः देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाने के आजादी के आंदोलन में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का अहम योगदान रहा है. चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक थे और उनके जैसे तमाम वीरों के बलिदान का नतीजा है कि आज हम आजाद मुल्क में सांस ले रहे हैं. आजाद के जीवन और जंग ए आजादी को दिखाने बताने वाली देश की पहली आजाद गैलरी संगम नगरी प्रयागराज में बन रही है. जहां पर ऑडियो, वीडियो के जरिए डिजिटल तरीके से इन गाथाओं तक पहुंचने की व्यवस्था रहेगी.
इलाहाबाद संग्रहालय में आजाद गैलरी का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, जो अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है. सब कुछ सही समय से हुआ तो आने वाली 23 जुलाई को आजाद जयंती के मौके पर इस आजाद गैलरी का उद्घाटन हो सकता है. इसके बाद लोग संग्रहालय की आजाद गैलरी में जाकर लोग आजाद और देश की आजादी की वीरगाथा को देखने और सुनने के साथ ही पढ़कर भी उसके बारे में जान सकेंगे.
प्रयागराज स्थित चंद्रशेखर आजाद पार्क में ही इलाहाबाद संग्रहालय स्थित है. यही नहीं इस म्यूजिमय के पास ही वह स्थान भी है, जहां पर अंग्रेजों का मुकाबला करते हुए चंद्र शेखर आजाद शहीद हुए थे. अंग्रेजी सेना से लोहा लेते वक्त जब उनकी पिस्टल में आखिरी गोली बची, तो उन्होंने उसी से खुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी थी. संग्रहालय में आजाद के शहादत स्थल के पास ही म्यूजियम के अंदर अब आजाद गैलरी का निर्माण अंतिम दौर में पहुंच गया है. आजाद के जन्म से लेकर उनके शहादत तक से जुड़ी तमाम गाथाएं इस आजाद गैलरी में ऑडियो, वीडियो के जरिए लोगों को दिखायी जाएगी.
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इसके अलावा आजादी की लड़ाई के करीब 190 साल का इतिहास भी यहां देखने, जानने का मौका मिलेगा. जिसमें जंग ए आजादी के बड़े और महत्वपूर्ण घटनाओं का विस्तृत वर्णन मिलेगा. आजाद गैलरी का निर्माण म्यूजियम के अंदर एक बड़े हिस्से में करीब दो साल से चल रहा है. बाहर से आए हुए इंजीनियर अलग-अलग टेक्निक का इस्तेमाल कर इस गैलरी का निर्माण तेजी के साथ कर रहे हैं. संग्रहालय के जिम्मेदार अफसरों ने उम्मीद जतायी है कि इस साल आजाद जयंती के मौके तक यह गैलरी बनकर तैयार हो सकती है. इसके बाद 23 जुलाई को आजाद जयंती के मौके पर इसे जनता को समर्पित करने के लिए शुरू किया जा सकता है.
प्रेरणादायक वीडियो दिखाकर जगाई जाएगी देशभक्ति
आजाद गैलरी देश की पहली ऐसी डिजिटल गैलरी होगी, जहां पर आजाद से जुड़ी तमाम जानकारियां लोगों को ऑडियो, वीडियो के जरिए बताई जाएगी. इतना ही नहीं शार्ट फिल्म के जरिए भी आजादी की गाथा लोग इस गैलरी में देख सकेंगे. साथ ही इस शॉर्ट फिल्म में आजाद की शहादत से जुड़ी जानकारियां भी मिलेंगी, जिसमें चंद्र शेखर आजाद के अलावा आजादी की लड़ाई के अहम हिस्से दिखाएं जाएंगे. इसे देखकर लोगों के मन में देशभक्ति की भावनाओं को जगाने का प्रयास किया जाएगा. इस लघु फिल्म को देखने सुनने वाले थोड़ी देर के लिए उसमें लीन हो जाएंगे.
मिलेगी आजाद गैलरी में मिलेगी स्थानीय शहीदों की जानकारी
म्यूजियम में बन रहे इस आजाद गैलरी में सिर्फ चंद्र शेखर आजाद से जुड़ी जानकारी ही नहीं रहेगी बल्कि इस गैलरी में प्रयागराज और आसपास के गुमनाम शहीदों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया जाएगा. इन स्थानीय शहीदों के बारे में भी विस्तृत जानकारी आजाद गैलरी में जाने वालों को मिलेगी, क्योंकि यहां सिर्फ आजाद ही नहीं स्थानीय शहीदों से जुड़ी जानकारी भी देखने को मिलेंगी. इसके अलावा देश की आजादी के 190 साल की प्रमुख घटनाक्रम की जानकारी भी इस गैलरी में मिलेगी, जिसे स्क्रीन के अलावा बड़े-बड़े डिस्प्ले बोर्ड के जरिए भी लोगों को देखने, सुनने और पढ़ने की व्यवस्था की गई है.
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आजाद गैलरी में चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल करेगी आकर्षित
बता दें, कि चंद्र शेखर आजाद को अपनी पिस्टल बहुत ही अधिक प्रिय थी. वे हमेशा अपनी पिस्टल को अपने पास रखते थे. यही वजह है कि उन्होंने अपनी पिस्टल का नाम बमतुल बुखारा रखा हुआ था. उनकी उस पिस्टल ने मरते दम तक उनका साथ भी निभाया. लेकिन उनकी मौत के बाद अंग्रेज उस बमतुल बुखारा को इंग्लैंड उठा ले गए थे. चंद्रशेखर आजाद से मुठभेड़ के बाद अंग्रेज अफसर सर जॉन नॉट बावर बमतुल बुखारा को इंग्लैंड ले गया था. देश की आजादी के बाद आजाद की प्रिय पिस्टल बमतुल बुखारा को देश में वापस लाने के लिए प्रयास शुरू हुआ. इसके बाद यूके से वह पिस्टल देश में वापस आ गयी.
नवम्बर 1975 में इलाहाबाद संग्रहालय की तरफ से प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर उस पिस्टल को प्रयागराज के संग्रहालय को सौंपने की मांग की गई. 3 जुलाई 1976 को यह बमतुल बुखारा उसी स्थान पर पहुंच गई, जहां से अंग्रेज उसे आजाद से अलग करके ले गए थे. अल्फ्रेड पार्क में जिस स्थान पर 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आजाद शहीद हुए थे आज उसी पार्क में उनके शहादत स्थल से चंद कदमों की दूरी पर संग्रहालय में यह पिस्टल सुरक्षित रखी हुई है. यह पिस्टल इस म्यूजियम की शान बढ़ा रही है. आज भी म्यूजियम में आने वाले पर्यटक इस पिस्टल को देखते हैं और ये पिस्टल उनके आकर्षण का केंद्र रहती है. आने वाले दिनों में आजाद की पिस्टल आजाद गैलरी में नजर आएगी. इस पिस्टल को देखने वाले उससे जुड़ी ये जानकारी भी हासिल कर लेंगे.
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पिस्टल बमतुल बुखारा की खासियत
इलाहाबाद में रखी हुई ये पिस्टल कोल्ट कंपनी की है. ये पिस्टल 1903 की बनी हुई है. यह पिस्टल 32 बोर के साथ मरलेस सेमी ऑटोमेटिक भी है. इसमें एक बार 8 गोलियों की एक मैगजीन लगती थी. इसकी खासियत ये थी कि इसमें फायर करने के बाद धुंआ नहीं निकलता था. यही वजह थी कि अल्फ्रेड पार्क में आजाद की अंग्रेजों से जो अंतिम मुठभेड़ हो रही थी उस दिन भी काफी देर तक अंग्रेज सैनिक यह नहीं जान सके थे कि आजाद किस पेड़ के पीछे बैठकर गोली चला रहे थे. अंत में जब सिर्फ एक गोली बची तो आजाद ने उसे खुद को मारकर अंतिम सांस ली थी.
आजाद से जुड़ी जानकारी और वस्तुएं संग्रहालय को देने की अपील
आजाद गैलरी का निर्माण अंतिम दौर में है और यही वजह है कि संग्रहालय से जुड़े अफसर चाहते हैं कि इस गैलरी से आजाद के जीवन से जुड़ी हर जानकारी लोगों को इस छत के नीचे से मिल सके. म्यूजियम के जिम्मेदार अधिकारी लोगों से अपील कर रहे हैं कि किसी के भी पास आजाद से जुड़ी कोई निशानी या वस्तु अथवा कोई दस्तावेज मौजूद है, तो वह उसे संग्रहालय को दान कर सकते हैं. महत्वपूर्ण लगने वाली हर वस्तु को म्यूजियम में रखा जाएगा. इसके लिए संग्रहालय की ईमेल आईडी allahabadmuseum@rediffmail.com मेल के जरिए संपर्क किया जा सकता है.
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