वाराणसी: आजकल लोगों की दिनचर्या में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल उनकी लाइफ का अहम हिस्सा बन गया है. जिसमें मोबाइल फोन और लैपटॉप का सबसे ज्यादा यूज किया जाता है. इन गैजेट्स ने लोगों का काम तो आसान किया है, लेकिन आंखों को बहुत नुकसान पहुंचाया है. छोटे स्क्रीन पर अधिक समय काम करने से लोगों की आंखों में समस्या होने लगती है. इससे आंखों के आंसू सूख रहे हैं.
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रत्युष रंजन ने बताया कि आंखों में सूखापन तीन स्तर (Increased patients with blue light syndrome) का होता है. माइल्ड, मॉडरेट और सीवीयर. इनमें दिक्कतें भी अलग-अलग होती हैं. माइल्ड ड्राई आई की समस्या होने पर आंखों में जलन होगी, भारीपन लगेगा और ऐसा लगेगा कि पलक के नीचे रेत जैसा कुछ चुभ रहा है. मॉडरेट ड्राई आई में आंख लाल होने लगेगी. सीवियर में माइल्ड और मॉडरेट के लक्षण के साथ आंखों से पानी भी आने लगता है. इससे आंखों में खुजली भी हो सकती है. आंख से कीचड़ भी आने लगता है.
डॉ. रंजन ने बताया कि लैपटॉप पर 60 फीसदी ब्लिंक रेट कम हो जाता है. वहीं, मोबाइल पर लगभग 80 फीसदी ब्लिंक रेट कम होता है. लोगों की नौकरी का काम स्क्रीन पर ही करना पड़ता है. रात में अंधेरे में लोग मोबाइल यूज करते हैं. ये सभी चीजें आंखों को ड्राई कर रही हैं. 18 साल से छोटे बच्चों में स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से मायोपिया यानी माइनस नंबर पर चश्मा लगने की दिक्कत भी बढ़ जाती है. ये दोनों मिलकर छोटे बच्चों के चश्मे का नंबर तेजी से बढ़ाते हैं, जबकि बड़ों की आंखों को स्ट्रेंड करता है. इसके 3 तरह से नुकसान होंगे. पहला तो ड्राई आई होगा. जलन, भारीपन, दर्द और धुंधलापन की शिकायत हो सकती है. इसके सीवियर केस में आपकी आंख में हमेशा पानी आता रहेगा. दूसरी दिक्कत सिर में दर्द हो सकता है. सिर में भारीपन लगता है, आंख भारी लगने लगती है. तीसरी दिक्कत आपको गर्दन में भी दिक्कत हो सकती है. ये तीनों दिक्कतें आपको डिजिटलाइज्ड स्ट्रेन की वजह से होती हैं.
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