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क्या आपने कभी खाई है लाल भिंडी, जानिए इसके फायदे - लाल भिंडी

यूपी के वाराणसी में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने लाल भिंडी की नई प्रजाति पैदा कर एक इतिहास रचने का काम किया है. वैज्ञानिकों ने ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक बताते हुए इसे 'काशी लालिमा' का नाम दिया है.

लाल भिंडी कई बीमारियों के लिए है रामबाण.
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Published : Sep 27, 2019, 3:17 PM IST

वाराणसी: खाने में हरी सब्जियों का होना बेहद जरूरी है. खास तौर पर हरी भिंडी हो तो फिर आपको कोई बीमारी नहीं हो सकती, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी को उलटते हुए हरी भिंडी की जगह लाल भिंडी को लोगों के लिए ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक बताया है. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने लगभग 23 साल की मेहनत के बाद लाल भिंडी की नई प्रजाति पैदा कर इतिहास रचने का काम किया है.

लाल भिंडी कई बीमारियों के लिए है रामबाण.


हालांकि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के रिसर्च से पहले छत्तीसगढ़ के कुछ जनजाति इलाकों में कुछ छात्र लाल भिंडी पैदा कर रहे हैं, लेकिन सबसे पहले भारत में इसको परिष्कृत रूप में वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में उगाया गया है. इससे पहले अमेरिका के क्लीमसन विवि में भी लाल भिंडी को उगाया जा चुका है.

पढ़ें:- हमीरपुर: आवक कम होने से हरी सब्जियों के दाम आसमान पर, आम-आदमी परेशान

काशी लालिमा के नाम से जानी जाएगी लाल भिंडी
बनारस शहर से लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान लगातार सब्जियों की नई और ज्यादा फायदेमंद प्रजातियों पर रिसर्च कर रहा है. इस क्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों ने भिंडी की नई प्रजाति जिसे लाल भिंडी कहा जाता है उस पर काम करते हुए उसे खेतों में उगाने का काम किया. वैज्ञानिकों ने इसे काशी लालिमा नाम दिया है. इसको विकसित करने में 23 वर्ष की कड़ी मेहनत लगी है. वैज्ञानिकों ने चयन विधि का प्रयोग कर इस लाल भिंडी की प्रजाति को और विकसित किया. इस भिंडी में हरी भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह एंथोसाइनिन की मात्रा होती है जो इसके लाल रंग का कारक है.


वैज्ञानिकों की मानें तो आम भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें आयरन, कैल्‍श‍ियम और जिंक की मात्रा होती है. सामान्य भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें पोषक तत्व होने के चलते ये कहीं ज्यादा स्वास्थवर्धक है. सामान्य हरी भिंडी की तरह इसको उगाना भी आसान होता है. इसमें लागत भी उतनी ही आती है. इतना ही नहीं इसके लाल रंग की वजह से इसमें एंटीऑक्सीडेंट कहीं ज्यादा है. वैज्ञानिक इसे पकाकर खाने के बजाए सलाद के रूप में खाने की सलाह देते हैं.


वैज्ञानिकों का कहना है कि
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के तकनीकी अधिकारी बताते हैं कि इस भिंडी को लगाने में किसानों को डेढ़ गुना तक फायदा होगा. क्योंकि इसको लगाने के तरीके से लेकर लागत तक सब कुछ सामान्य भिंडी की तरह है. वहीं संस्थान के निदेशक की मानें तो यह भिंडी आम भिंडी की तुलना में बहुत ज्यादा फायदेमंद है. खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए जिनके शरीर में फॉल‍िक अम्ल की कमी के चलते बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता है. वह फॉल‍िक अम्ल भी इस काशी लालिमा भिंडी में पाया जाता है. इतना ही नहीं इस भिंडी में पाए जाने वाले तत्व लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे हृदय संबंधी बामारी, मोटापा और डायब‍िटीज को भी नियंत्रित करते हैं.

पढ़ें:- आगरा: बारिश के बाद सब्जियों के दाम बढ़े, 60 से 70 रुपये किलो बिक रहा टमाटर

संस्थान के निदेशक बताते हैं कि लाल या हरी भिंडी पकने के बाद स्वाद में एक जैसी ही होती है. डायरेक्टर के मुताबिक एक हेक्टेयर में हरी भिंडी 190 से 200 क्व‍िंटल तक पैदावार देती है तो वहीं काशी लालिमा की उपज 130-150 क्व‍िंटल तक ही है. इसलिए वैज्ञानिक इसकी पैदावार बढ़ाने की दिशा में अभी कार्य कर रहे हैं.

वाराणसी: खाने में हरी सब्जियों का होना बेहद जरूरी है. खास तौर पर हरी भिंडी हो तो फिर आपको कोई बीमारी नहीं हो सकती, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी को उलटते हुए हरी भिंडी की जगह लाल भिंडी को लोगों के लिए ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक बताया है. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने लगभग 23 साल की मेहनत के बाद लाल भिंडी की नई प्रजाति पैदा कर इतिहास रचने का काम किया है.

लाल भिंडी कई बीमारियों के लिए है रामबाण.


हालांकि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के रिसर्च से पहले छत्तीसगढ़ के कुछ जनजाति इलाकों में कुछ छात्र लाल भिंडी पैदा कर रहे हैं, लेकिन सबसे पहले भारत में इसको परिष्कृत रूप में वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में उगाया गया है. इससे पहले अमेरिका के क्लीमसन विवि में भी लाल भिंडी को उगाया जा चुका है.

पढ़ें:- हमीरपुर: आवक कम होने से हरी सब्जियों के दाम आसमान पर, आम-आदमी परेशान

काशी लालिमा के नाम से जानी जाएगी लाल भिंडी
बनारस शहर से लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान लगातार सब्जियों की नई और ज्यादा फायदेमंद प्रजातियों पर रिसर्च कर रहा है. इस क्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों ने भिंडी की नई प्रजाति जिसे लाल भिंडी कहा जाता है उस पर काम करते हुए उसे खेतों में उगाने का काम किया. वैज्ञानिकों ने इसे काशी लालिमा नाम दिया है. इसको विकसित करने में 23 वर्ष की कड़ी मेहनत लगी है. वैज्ञानिकों ने चयन विधि का प्रयोग कर इस लाल भिंडी की प्रजाति को और विकसित किया. इस भिंडी में हरी भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह एंथोसाइनिन की मात्रा होती है जो इसके लाल रंग का कारक है.


वैज्ञानिकों की मानें तो आम भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें आयरन, कैल्‍श‍ियम और जिंक की मात्रा होती है. सामान्य भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें पोषक तत्व होने के चलते ये कहीं ज्यादा स्वास्थवर्धक है. सामान्य हरी भिंडी की तरह इसको उगाना भी आसान होता है. इसमें लागत भी उतनी ही आती है. इतना ही नहीं इसके लाल रंग की वजह से इसमें एंटीऑक्सीडेंट कहीं ज्यादा है. वैज्ञानिक इसे पकाकर खाने के बजाए सलाद के रूप में खाने की सलाह देते हैं.


वैज्ञानिकों का कहना है कि
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के तकनीकी अधिकारी बताते हैं कि इस भिंडी को लगाने में किसानों को डेढ़ गुना तक फायदा होगा. क्योंकि इसको लगाने के तरीके से लेकर लागत तक सब कुछ सामान्य भिंडी की तरह है. वहीं संस्थान के निदेशक की मानें तो यह भिंडी आम भिंडी की तुलना में बहुत ज्यादा फायदेमंद है. खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए जिनके शरीर में फॉल‍िक अम्ल की कमी के चलते बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता है. वह फॉल‍िक अम्ल भी इस काशी लालिमा भिंडी में पाया जाता है. इतना ही नहीं इस भिंडी में पाए जाने वाले तत्व लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे हृदय संबंधी बामारी, मोटापा और डायब‍िटीज को भी नियंत्रित करते हैं.

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संस्थान के निदेशक बताते हैं कि लाल या हरी भिंडी पकने के बाद स्वाद में एक जैसी ही होती है. डायरेक्टर के मुताबिक एक हेक्टेयर में हरी भिंडी 190 से 200 क्व‍िंटल तक पैदावार देती है तो वहीं काशी लालिमा की उपज 130-150 क्व‍िंटल तक ही है. इसलिए वैज्ञानिक इसकी पैदावार बढ़ाने की दिशा में अभी कार्य कर रहे हैं.

Intro:स्पेशल:

वाराणसी: बचपन से सुनते आए हैं कि खाने में हरी सब्जियों का होना बेहद जरूरी है और खासतौर पर हरी हरी भिंडी या अगर खाने में है तो फिर आपको कोई बीमारी नहीं पकड़ सकते लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी को उलट करते हुए हरी भिंडी की जहां लाल भिंडी को लोगों के लिए ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक बताते हुए खेतों से उगाया है. यह कारनामा किया है पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित राष्ट्रीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने लगभग 23 साल की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने लाल भिंडी की नई प्रजाति पैदा कर एक इतिहास रचने का काम किया है. हालांकि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के रिसर्च से पहले छत्तीसगढ़ के कुछ जनजाति इलाकों में कुछ छात्र लाल भिंडी पैदा कर रहे हैं लेकिन सबसे पहले भारत में इसको परिष्कृत रूप में वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में उगाया गया है. इससे पहले अमेरिका के क्लीमसन विवि में भी लाल भिंडी को उगाया जा चुका है.Body:वीओ-01 बनारस शहर से लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित काशी सब्जी अनुसंधान संस्थान लगातार सब्जियों की नई और ज्यादा फायदेमंद प्रजातियों पर रिसर्च कर रहा है इस क्रम में संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा भिंडी की नई प्रजाति जिसे लाल भिंडी कहा जाता है उस पर काम करते हुए उसे खेतों में उगाने का काम किया वैज्ञानिकों ने इसे काशी लालिमा नाम दिया है. इसको विकसित करने में 23 वर्ष की कड़ी मेहनत लगी है. दरअसल लाल भिंडी के विकास की इसी तरह की भिंडी से हुआ जो कभी कहीं पाई गई थी. वैज्ञानिकों ने चयन विधि का प्रयोग करके इसी लाल भिंडी की प्रजाति को और विकसित किया. इस भिंडी में आम हरी सब्जी यहां तक की भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह एंथोसाइनिन की मात्रा होती है जो इसके लाल रंग का कारक है. वैज्ञानिकों की मानें तो आम भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें आयरन, कैल्‍श‍ियम और जिंक की मात्रा होती है. सामान्य भिंडी से कहीं ज्यादा इसमें पोषक तत्व होने के चलते ये कहीं ज्यादा स्वास्थवर्धक है. सामान्य हरी भिंडी की ही तरह इसको उगाना भी आसान होता है. इसमें लागत भी उतनी ही आती है. इतना ही नहीं इसके लाल रंग की वजह से इसमें एंटीऑक्स‍िडेंट कहीं ज्यादा है. वैज्ञानिक इसे पकाकर खाने के बजाए सलाद के रूप में खाने की सलाह देते हैं. वैज्ञानिक इस भिंडी को और भी ज्यादा विकसित करने में लगे हैं.

बाईट- जगदीश सिंह, डायरेक्टर, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थानConclusion:वीओ-02 भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के तकनीकी अधिकारी बताते हैं कि इस भिंडी को लगाने में किसानों को डेढ़ गुना तक फायदा होगा, क्योंकि इसको लगाने के तरीके से लेकर लागत तक सब कुछ सामान्य भिंडी की तरह है. वहीं संस्थान के निदेशक की मानें तो ये भिंडी आम भिंडी की तुलना में बहुत ज्यादा फायदेमंद है, खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए जिनके शरीर में फॉल‍िक अम्ल की कमी के चलते बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता है. वह फॉल‍िक अम्ल भी इस काशी लालिमा भिंडी में पाया जाता है. इतना ही नहीं इस भिंडी में पाए जाने वाले तत्व लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे हृदय संबंधी बामारी, मोटापा और डायब‍िटीज को भी नियंत्रित करती है. संस्थान के निदेशक बताते हैं कि लाल या हरी भिंडी पकने के बाद स्वाद में एक जैसी ही होती है. डायरेक्टर के मुताबिक एक हेक्टेयर में हरी भिंडी 190 से 200 क्व‍िंटल तक पैदावार देती है तो वहीं काशी लालिमा की उपज 130-150 क्व‍िंटल तक ही है. इसलिए वैज्ञानिक इसकी पैदावार बढ़ाने की दिशा में अभी कार्य कर रहे हैं.


बाईट- विद्यासागर, वैज्ञानिक, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान
बाईट- डॉ प्रदीप कर्मकार, वैज्ञानिक, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान

गोपाल मिश्र

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