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Sawan 2020: आज से सावन शुरू, ऐसी दिखेगी इस बार काशी

सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय मास होता है. हर तरफ 'हर हर महादेव' और 'बोल बम' का जयघोष सुनाई देता है. धर्म नगरी काशी में सावन का अलग ही महत्व है. यहां का हर शिवालय, हर कोना सावन में शिवमय नजर आता है, लेकिन इस बार कोरोना वैश्विक महामारी में यहां की तस्वीर बदली सी नजर आएगी. कोरोना काल में सावन में कैसे दिखेगी काशी, देखिए इस स्पेशल रिपोर्ट में...

savan 2020 kashi vishwanath devotees
वाराणसी सावन स्पेशल स्टोरी.
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Published : Jul 6, 2020, 2:20 AM IST

Updated : Jul 6, 2020, 3:48 AM IST

वाराणसी: सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय मास होता है. सावन में जहां पूरे देश में भक्तिभाव की एक अनोखी छटा देखने को मिलती है तो वहीं शिव की नगरी काशी एक अद्भुत भक्ति भाव के संगम में लीन रहती है. काशी में सावन का अपना अलग मनभावन नजारा होता है, जिसको नैनों में समाहित करने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु काशी आते हैं और सावन में भगवान की भक्ति में लीन हो जाते हैं. सावन में काशी का हर कोना और हर शिवालय शिवमय नजर आता है.

स्पेशल रिपोर्ट.

काशी विश्वनाथ की महिमा अपरंपार
यूं तो सावन में हर शिवालय पर पूजा-अर्चना का महत्व है, लेकिन बाबा विश्वनाथ के दर्शन का अपना अलग ही महत्व है. काशी में सावन के दिनों में मुख्य तौर पर सोमवार को बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहती हैं. भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए 1 दिन पहले से ही लाइन में लग जाते हैं और अपनी बारी का इंतजार करते हैं.

savan 2020 kashi vishwanath devotees
कांवड़िए (फाइल फोटो).

सारंग महादेव का भी है विशेष महत्व
कहा जाता है कि जो भी भक्तगण बाबा विश्वनाथ का दर्शन नहीं कर पाते, वे उनके साले यानी कि सारनाथ स्थित सारंग महादेव का दर्शन पूजन कर पुण्य अर्जित करते हैं. इसी को लेकर सावन के पहले सोमवार पर काशी विश्वनाथ के साथ-साथ सारंग महादेव के मंदिर में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ता है. सभी लोग सारंग महादेव का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

savan 2020 kashi vishwanath devotees
जलाभिषेक के लिए जाते श्रद्धालु (फाइल फोटो).

कोरोना ने भगवान और भक्तों के बीच बनाई दूरी
सावन में इस बार काशी की एक अनोखी तस्वीर देखने को मिल रही है. जहां एक ओर कोरोना वायरस ने आम जनजीवन पर गहरा प्रभाव बना रखा है तो वहीं भगवान और भक्तों के बीच भी यह एक दीवार बनकर खड़ा हुआ है. इस महामारी को देखते हुए वाराणसी के लगभग सभी मंदिरों के साथ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर स्थित नए विश्वनाथ मंदिर को भी बंद रखा गया है, जिससे कि कहीं भी ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित न हो सके. इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन-पूजन की एक अलग गाइडलाइन के आधार पर निर्धारण किया गया है.

savan 2020 kashi vishwanath devotees
लाइन में लगे भक्त (फाइल फोटो).

भक्त नहीं कर पाएंगे बाबा के दर्शन
भक्तगण बाबा विश्वनाथ के इस बार दर्शन नहीं कर सकेंगे. सिर्फ काशी और आसपास के जिले के लोग ही बाबा विश्वनाथ की झांकी का दर्शन कर सकेंगे. इसको लेकर जिला प्रशासन ने अलग इंतजाम किया है. वाराणसी के हर चौराहे पर एलईडी के माध्यम से भी बाबा का लाइव दर्शन हो सकेगा, जिससे कि सभी लोग बाबा के प्रिय मास में उनका आशीर्वाद ले सकें.

kashi during kanwar yatra
गंगा तट का नजारा (फाइल फोटो).

सदी में पहली बार सूना रहेगा बाबा का दरबार
महंत काशी प्रमुख शिव प्रसाद पांडेय महाराज जी लिंगिया ने बताया कि सदी में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब सावन में बाबा का दरबार इतना सूना लग रहा है. अब तक कभी भी ऐसा नहीं हुआ था कि कांवरिया बंधु बाबा का जलाभिषेक नहीं कर सकें, परंतु इस बार महामारी के दृष्टिगत कुछ अलग फैसला लिया गया है, जिससे सभी लोगों को इससे सुरक्षित रखा जा सके. इसलिए इस बार सभी लोग ऑनलाइन भी बाबा का दर्शन कर सकेंगे.

ऑनलाइन कर सकेंगे रुद्धाभिषेक
महंत काशी प्रमुख ने बताया कि भक्तगण ऑनलाइन रुद्राभिषेक समेत तमाम पूजा-अर्चना बाबा के धाम में करा सकेंगे. उन्होंने बताया कि सावन के हर सोमवार को बाबा विश्वनाथ के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन होंगे. पहले सोमवार को भगवान शंकर स्वरूप में तो दूसरे सोमवार को शिव पार्वती स्वरूप में, तीसरे सोमवार को अर्धनारीश्वर स्वरूप, चौथे में बाबा विश्वनाथ का रुद्राक्ष श्रृंगार होगा. पांचवें व अंतिम सोमवार को श्रावण पूर्णिमा के दिन शिव पार्वती एवं गणेश की प्रतिमा का झूला श्रंगार होगा. इसके अलावा प्रत्येक सोमवार को मंदिर को फूल एवं मालाओं से सजाया जाएगा.

यादव बंधु करते हैं महादेव का जलाभिषेक
महादेव की नगरी काशी में पिछले कई दशकों से एक अनूठी परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है, जिसके चलते काशी के सभी प्रमुख शिवालयों में हजारों की संख्या में यादव बंधु महादेव का जलाभिषेक करते हैं, लेकिन इस बार यह तस्वीर कुछ अलग दिखाई देगी. इसको लेकर ईटीवी भारत ने जलाभिषेक करने वाले यादव बंधु से बातचीत की. बातचीत में चंद्रवंशी गोपा सेवा समिति के अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया कि इस बार पूर्ण महामारी को देखते हुए हम सिर्फ पांच यादव बंधु बाबा का जलाभिषेक करेंगे. सबसे पहले हमारे दो प्रतीक होंगे और पीछे हम पांच लोग गंगा से जल पात्र में जल को भरकर जलाभिषेक करते हुए कुल 9 शिवालयों में जलाभिषेक करेंगे.

महामारी को खत्म करेंगे बाबा विश्वनाथ
लालजी यादव ने बताया कि बाबा से इस बार यह हम मांगेंगे कि जो हमारे देश में महामारी आई है, उसे जल्द से जल्द समाप्त कर दिया जाए. हमें पूर्ण विश्वास है कि सावन के पहले सोमवार के बाद से यह महामारी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी, क्योंकि महामारी से निजात दिलाने के लिए ही हम लोगों ने बाबा के जलाभिषेक की परंपरा को शुरू किया था और इस बार फिर से महामारी की भीषण त्रासदी पूरा विश्व झेल रहा है. इसलिए इस बार फिर बाबा हम सब को इस कष्ट से मुक्ति जरूर दिलाएंगे.

प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा
यदि हम यादव बंधुओं के द्वारा जलाभिषेक करने के पीछे की परंपरा की बात करें तो ऐसी मान्यता है कि अनादि काल में एक बार सावन के महीने में पूरे भारत में सूखा पड़ गया था. सभी लोग पानी को लेकर तरस रहे थे. उसी समय यादव बंधुओं ने भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए गंगा से जल भरते हुए तब तक महादेव का जलाभिषेक किया, जब तक कि महादेव ने उनकी बातों को नहीं सुना. जलाभिषेक करने के 24 घंटे के अंदर ही महादेव ने पूरे देश में घनघोर वर्षा कराई, जिसके बाद से यादव बंधु हर साल सावन के पहले सोमवार को बाबा का जलाभिषेक करते हैं.

लाट भैरव में होता है अंतिम जलाभिषेक
जलाभिषेक में सबसे पहले दो प्रतीक जिसमें एक भगवान शिव का त्रिशूल तो दूसरा डमरु आगे-आगे चलता है और पीछे हजारों लाखों की तादाद में यादव बंधु बम-बम की गूंज के साथ आगे बढ़ते हैं. गौरतलब हो कि सभी यादव बंधु सर्वप्रथम प्रातः केदारेश्वर घाट से पात्र में जल भरकर केदारेश्वर महादेव को जल अर्पित करते हैं, इसके बाद वह तिलभांडेश्वर महादेव और शीतला जी अल्हदेश्वर महादेव, काशी विश्वनाथ, महामृत्युंजय, त्रिलोचन महादेव, ओमकारेश्वर और अंत में लाट भैरव में जलाभिषेक करते हैं.

प्रवेश और निकास के लिए बनाए गए चार द्वार
विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गौरांग राठी ने मंदिर की दर्शन व्यवस्था के बारे में बताया कि सोमवार को मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास को देखते हुए चार मार्ग बनाए गए हैं. सावन के अन्य दिनों में प्रवेश और निकास के लिए तीन रास्तों का इस्तेमाल किया जाएगा. पांचों पांडव और ज्ञानवापी से प्रवेश करने वालों की निकासी भी इसी मार्ग से होगी. इसके साथ ही गेट नंबर-2 ढूंढीराज गणेश की ओर से प्रवेश करने वालों की निकासी भी नंदूफारिया की ओर से होगी.

एक बार में 5 श्रद्धालु ही कर सकेंगे मंदिर में प्रवेश
विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गौरांग राठी ने बताया कि 6-6 फीट की दूरी पर सर्किल रहेंगे. इसके अलावा फ्री हैंड सैनिटाइजेशन की भी व्यवस्था की जा रही है. एक बार में मंदिर में से 5 श्रद्धालु ही प्रवेश करके जा सकेंगे. कई जोन में बांटकर ट्रैफिक और पुलिस की मदद से भी श्रद्धालुओं को प्रवेश कराया जाएगा. इसके साथ ही हर 6 घंटे पर मंदिर के आसपास के इलाके को सोडियम हाइपोक्लोराइट से सैनिटाइज किया जाएगा. प्रवेश द्वार पर इंफ्रारेड थर्मामीटर गन भी रहेगा.

ये भी पढ़ें: वाराणसी का यह आश्रम लोगों को दे रहा अनोखा संदेश, गोमाता और नंदी का किया जाता है संरक्षण

गंगा स्नान पर प्रतिबंध
गौरतलब हो कि इस बार श्रद्धालु एलईडी के जरिए भी भगवान की आरती देख सकेंगे. इसके लिए शहर के विभिन्न चौराहे पर जहां भी एलईडी लगी हुई है, वहां पर बाबा का लाइव दर्शन कराया जाएगा. उसके साथ ही यदि गंगा की बात करें तो हर बार जहां लाखों की संख्या में कांवरिया बंधुओं के संग अन्य श्रद्धालु गंगा में स्नान करते थे तो वहीं इस बार गंगा में स्नान पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया गया है. यहां पर प्रशासन के द्वारा पुख्ता इंतजाम किया गया है, जिससे कि कोई भी व्यक्ति गंगा में स्नान न कर सके.

वाराणसी: सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय मास होता है. सावन में जहां पूरे देश में भक्तिभाव की एक अनोखी छटा देखने को मिलती है तो वहीं शिव की नगरी काशी एक अद्भुत भक्ति भाव के संगम में लीन रहती है. काशी में सावन का अपना अलग मनभावन नजारा होता है, जिसको नैनों में समाहित करने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु काशी आते हैं और सावन में भगवान की भक्ति में लीन हो जाते हैं. सावन में काशी का हर कोना और हर शिवालय शिवमय नजर आता है.

स्पेशल रिपोर्ट.

काशी विश्वनाथ की महिमा अपरंपार
यूं तो सावन में हर शिवालय पर पूजा-अर्चना का महत्व है, लेकिन बाबा विश्वनाथ के दर्शन का अपना अलग ही महत्व है. काशी में सावन के दिनों में मुख्य तौर पर सोमवार को बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहती हैं. भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए 1 दिन पहले से ही लाइन में लग जाते हैं और अपनी बारी का इंतजार करते हैं.

savan 2020 kashi vishwanath devotees
कांवड़िए (फाइल फोटो).

सारंग महादेव का भी है विशेष महत्व
कहा जाता है कि जो भी भक्तगण बाबा विश्वनाथ का दर्शन नहीं कर पाते, वे उनके साले यानी कि सारनाथ स्थित सारंग महादेव का दर्शन पूजन कर पुण्य अर्जित करते हैं. इसी को लेकर सावन के पहले सोमवार पर काशी विश्वनाथ के साथ-साथ सारंग महादेव के मंदिर में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ता है. सभी लोग सारंग महादेव का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

savan 2020 kashi vishwanath devotees
जलाभिषेक के लिए जाते श्रद्धालु (फाइल फोटो).

कोरोना ने भगवान और भक्तों के बीच बनाई दूरी
सावन में इस बार काशी की एक अनोखी तस्वीर देखने को मिल रही है. जहां एक ओर कोरोना वायरस ने आम जनजीवन पर गहरा प्रभाव बना रखा है तो वहीं भगवान और भक्तों के बीच भी यह एक दीवार बनकर खड़ा हुआ है. इस महामारी को देखते हुए वाराणसी के लगभग सभी मंदिरों के साथ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर स्थित नए विश्वनाथ मंदिर को भी बंद रखा गया है, जिससे कि कहीं भी ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित न हो सके. इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन-पूजन की एक अलग गाइडलाइन के आधार पर निर्धारण किया गया है.

savan 2020 kashi vishwanath devotees
लाइन में लगे भक्त (फाइल फोटो).

भक्त नहीं कर पाएंगे बाबा के दर्शन
भक्तगण बाबा विश्वनाथ के इस बार दर्शन नहीं कर सकेंगे. सिर्फ काशी और आसपास के जिले के लोग ही बाबा विश्वनाथ की झांकी का दर्शन कर सकेंगे. इसको लेकर जिला प्रशासन ने अलग इंतजाम किया है. वाराणसी के हर चौराहे पर एलईडी के माध्यम से भी बाबा का लाइव दर्शन हो सकेगा, जिससे कि सभी लोग बाबा के प्रिय मास में उनका आशीर्वाद ले सकें.

kashi during kanwar yatra
गंगा तट का नजारा (फाइल फोटो).

सदी में पहली बार सूना रहेगा बाबा का दरबार
महंत काशी प्रमुख शिव प्रसाद पांडेय महाराज जी लिंगिया ने बताया कि सदी में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब सावन में बाबा का दरबार इतना सूना लग रहा है. अब तक कभी भी ऐसा नहीं हुआ था कि कांवरिया बंधु बाबा का जलाभिषेक नहीं कर सकें, परंतु इस बार महामारी के दृष्टिगत कुछ अलग फैसला लिया गया है, जिससे सभी लोगों को इससे सुरक्षित रखा जा सके. इसलिए इस बार सभी लोग ऑनलाइन भी बाबा का दर्शन कर सकेंगे.

ऑनलाइन कर सकेंगे रुद्धाभिषेक
महंत काशी प्रमुख ने बताया कि भक्तगण ऑनलाइन रुद्राभिषेक समेत तमाम पूजा-अर्चना बाबा के धाम में करा सकेंगे. उन्होंने बताया कि सावन के हर सोमवार को बाबा विश्वनाथ के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन होंगे. पहले सोमवार को भगवान शंकर स्वरूप में तो दूसरे सोमवार को शिव पार्वती स्वरूप में, तीसरे सोमवार को अर्धनारीश्वर स्वरूप, चौथे में बाबा विश्वनाथ का रुद्राक्ष श्रृंगार होगा. पांचवें व अंतिम सोमवार को श्रावण पूर्णिमा के दिन शिव पार्वती एवं गणेश की प्रतिमा का झूला श्रंगार होगा. इसके अलावा प्रत्येक सोमवार को मंदिर को फूल एवं मालाओं से सजाया जाएगा.

यादव बंधु करते हैं महादेव का जलाभिषेक
महादेव की नगरी काशी में पिछले कई दशकों से एक अनूठी परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है, जिसके चलते काशी के सभी प्रमुख शिवालयों में हजारों की संख्या में यादव बंधु महादेव का जलाभिषेक करते हैं, लेकिन इस बार यह तस्वीर कुछ अलग दिखाई देगी. इसको लेकर ईटीवी भारत ने जलाभिषेक करने वाले यादव बंधु से बातचीत की. बातचीत में चंद्रवंशी गोपा सेवा समिति के अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया कि इस बार पूर्ण महामारी को देखते हुए हम सिर्फ पांच यादव बंधु बाबा का जलाभिषेक करेंगे. सबसे पहले हमारे दो प्रतीक होंगे और पीछे हम पांच लोग गंगा से जल पात्र में जल को भरकर जलाभिषेक करते हुए कुल 9 शिवालयों में जलाभिषेक करेंगे.

महामारी को खत्म करेंगे बाबा विश्वनाथ
लालजी यादव ने बताया कि बाबा से इस बार यह हम मांगेंगे कि जो हमारे देश में महामारी आई है, उसे जल्द से जल्द समाप्त कर दिया जाए. हमें पूर्ण विश्वास है कि सावन के पहले सोमवार के बाद से यह महामारी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी, क्योंकि महामारी से निजात दिलाने के लिए ही हम लोगों ने बाबा के जलाभिषेक की परंपरा को शुरू किया था और इस बार फिर से महामारी की भीषण त्रासदी पूरा विश्व झेल रहा है. इसलिए इस बार फिर बाबा हम सब को इस कष्ट से मुक्ति जरूर दिलाएंगे.

प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा
यदि हम यादव बंधुओं के द्वारा जलाभिषेक करने के पीछे की परंपरा की बात करें तो ऐसी मान्यता है कि अनादि काल में एक बार सावन के महीने में पूरे भारत में सूखा पड़ गया था. सभी लोग पानी को लेकर तरस रहे थे. उसी समय यादव बंधुओं ने भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए गंगा से जल भरते हुए तब तक महादेव का जलाभिषेक किया, जब तक कि महादेव ने उनकी बातों को नहीं सुना. जलाभिषेक करने के 24 घंटे के अंदर ही महादेव ने पूरे देश में घनघोर वर्षा कराई, जिसके बाद से यादव बंधु हर साल सावन के पहले सोमवार को बाबा का जलाभिषेक करते हैं.

लाट भैरव में होता है अंतिम जलाभिषेक
जलाभिषेक में सबसे पहले दो प्रतीक जिसमें एक भगवान शिव का त्रिशूल तो दूसरा डमरु आगे-आगे चलता है और पीछे हजारों लाखों की तादाद में यादव बंधु बम-बम की गूंज के साथ आगे बढ़ते हैं. गौरतलब हो कि सभी यादव बंधु सर्वप्रथम प्रातः केदारेश्वर घाट से पात्र में जल भरकर केदारेश्वर महादेव को जल अर्पित करते हैं, इसके बाद वह तिलभांडेश्वर महादेव और शीतला जी अल्हदेश्वर महादेव, काशी विश्वनाथ, महामृत्युंजय, त्रिलोचन महादेव, ओमकारेश्वर और अंत में लाट भैरव में जलाभिषेक करते हैं.

प्रवेश और निकास के लिए बनाए गए चार द्वार
विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गौरांग राठी ने मंदिर की दर्शन व्यवस्था के बारे में बताया कि सोमवार को मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास को देखते हुए चार मार्ग बनाए गए हैं. सावन के अन्य दिनों में प्रवेश और निकास के लिए तीन रास्तों का इस्तेमाल किया जाएगा. पांचों पांडव और ज्ञानवापी से प्रवेश करने वालों की निकासी भी इसी मार्ग से होगी. इसके साथ ही गेट नंबर-2 ढूंढीराज गणेश की ओर से प्रवेश करने वालों की निकासी भी नंदूफारिया की ओर से होगी.

एक बार में 5 श्रद्धालु ही कर सकेंगे मंदिर में प्रवेश
विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गौरांग राठी ने बताया कि 6-6 फीट की दूरी पर सर्किल रहेंगे. इसके अलावा फ्री हैंड सैनिटाइजेशन की भी व्यवस्था की जा रही है. एक बार में मंदिर में से 5 श्रद्धालु ही प्रवेश करके जा सकेंगे. कई जोन में बांटकर ट्रैफिक और पुलिस की मदद से भी श्रद्धालुओं को प्रवेश कराया जाएगा. इसके साथ ही हर 6 घंटे पर मंदिर के आसपास के इलाके को सोडियम हाइपोक्लोराइट से सैनिटाइज किया जाएगा. प्रवेश द्वार पर इंफ्रारेड थर्मामीटर गन भी रहेगा.

ये भी पढ़ें: वाराणसी का यह आश्रम लोगों को दे रहा अनोखा संदेश, गोमाता और नंदी का किया जाता है संरक्षण

गंगा स्नान पर प्रतिबंध
गौरतलब हो कि इस बार श्रद्धालु एलईडी के जरिए भी भगवान की आरती देख सकेंगे. इसके लिए शहर के विभिन्न चौराहे पर जहां भी एलईडी लगी हुई है, वहां पर बाबा का लाइव दर्शन कराया जाएगा. उसके साथ ही यदि गंगा की बात करें तो हर बार जहां लाखों की संख्या में कांवरिया बंधुओं के संग अन्य श्रद्धालु गंगा में स्नान करते थे तो वहीं इस बार गंगा में स्नान पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया गया है. यहां पर प्रशासन के द्वारा पुख्ता इंतजाम किया गया है, जिससे कि कोई भी व्यक्ति गंगा में स्नान न कर सके.

Last Updated : Jul 6, 2020, 3:48 AM IST
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