वाराणसी: कोरोना महामारी से भले ही पूरा विश्व थम गया हो, लेकिन कोरोना धर्म और अध्यात्म की नगरी के धार्मिक अनुष्ठानों को नहीं रोक पाया है. संकट मोचन संगीत समारोह में कुछ अलग अंदाज में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर समारोह का आयोजन किया. कलाकारों ने भी घरों से शानदार प्रस्तुतियां दीं और बाबा संकटमोचन के दरबार में फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब के जरिए हाजिरी लगाई. यह कार्यक्रम रविवार देर रात से प्रारंभ होकर 6 दिनों तक चलेगा.
संगीत समारोह में कई कार्यक्रमों की हुई प्रस्तुति
कार्यक्रम के आरंभ में पंडित राममोहन महाराज ने राधा के गत भाव दिखाए, तत्पश्चात पंडित किशन मोहन महाराज ने तीन ताल की रचना और सूफी कलाम पर भाव नृत्य प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति तबला वादन की रही. बनारस घराने के तबला वादन के वरिष्ठ अभिभावक कलाकार पंडित समर साहा जी ने कोलकाता से स्वतंत्र तबला वादन की प्रस्तुति दी. बता दें कि पंडित समर साहा को संकट मोचन महाराज के दरबार से विशेष लगाव है वो प्रतिवर्ष हाजिरी लगाने आते हैं, इस बार भी वो डिजिटल कार्यक्रम से जुड़े.
कार्यक्रम के अगले क्रम में चेन्नई से मृदंगम वादन हेतु प्रतिभाशाली कलाकार श्री अनंत आर कृष्णन जुड़े. श्री कृष्णन विख्यात मृदंगम के कलाकार, विद्वान पलघट आर रघु के पौत्र एवं शिष्य हैं. इसके अतिरिक्त उन्होंने उस्ताद जाकिर हुसैन जी से भी तालीम ली है. उन्होंने कर्नाटक शैली की परंपरागत रचनाओं की प्रस्तुति दी.
तत्पश्चात सितार वादन की प्रस्तुति हेतु युवा समृद्ध कलाकार पुणे से श्री शाकिर खां जुड़े. श्री शाकिर खां, पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ सितार वादक कलाकार उस्ताद शाहिद परवेज खां साहब के पुत्र और शिष्य हैं. पहली बार इस आयोजन का हिस्सा होने पर उन्होंने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हनुमान जी की कृपा है कि ऐसे कठिन समय में भी उन्होंने मुझे सुनाने का मौका दिया. इन्होंने राग राजेश्वरी में मध्य लय की बंदिश बजाई.
अगली प्रस्तुति में स्वरांजली की अभ्यर्थना हेतु बनारस घराने के सुविदित गायक कलाकार पंडित देवाशीष दे ने वायलिन पर सहयोग प्रदान किया. उनके शिष्य श्री के रोहन नायडू ने तानपुरा एवं गायन पर सुपुत्री कुमारी जयांतिका दे ने सहयोग प्रदान किया. उन्होंने राग भिन्न षड्ज में नीबद्ध स्वरचित रचना की प्रस्तुति दी.
प्रथम दिन की अंतिम प्रस्तुति गायन की रही. इसमें ग्वालियर, आगरा एवं जयपुर घराने के वरिष्ठ कलाकार पद्मश्री पंडित उल्हास कशालकर जी गायन की प्रस्तुति हेतु पुणे से जुड़े.