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काशी पर चढ़ा होली का खुमार, संतो ने खेली फूलों से होली

रंगभरी एकादशी के दिन से बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में होली के पर्व की शुरुआत हो गई है. गुरुवार को मणिकर्णिका घाट पर जहां एक तरफ लोगों ने जमकर चिता भस्म के साथ होली खेली तो वही संत समाज के लोगों ने भी फूलों के साथ होली खेली.

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Published : Mar 26, 2021, 11:24 AM IST

वाराणसी: 24 मार्च को रंगभरी एकादशी के दिन से बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में होली के पर्व की शुरुआत हो गई है. इसके साथ ही पूरे बनारस शहर पर होली की खुमरी चढ़ गई है. काशी में हर दिन होली का अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. गुरुवार को मणिकर्णिका घाट पर जहां एक तरफ लोगों ने जमकर चिता भस्म के साथ होली खेली तो वही संत समाज के लोगों ने भी फूलों के साथ होली खेली. काशी के पातालपुरी मठ में संत समाज के लोगों ने भजन-संगीत के साथ होली का आनंद लिया.

संतो ने खेली फूलों से होली

गुलाब की पंखुड़ियों से हुई होली
वाराणसी के पातालपुरी मठ में महंत बालक दास और उनके शिष्यों के साथ संत समाज के लोगों ने भजन-संगीत के साथ गुलाब की पंखुड़ियों और अबीर गुलाल के साथ जमकर होली खेली. मंदिर परिसर में इकट्ठा होकर संतों ने 'खेले मसाने में होरी दिगम्बर' समेत होली के अन्य परंपरागत गीतों और भजन का आनंद उठाया. इस दौरान वहां मौजूद लोगों पर गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश होती रही.

संतों ने पानी बचाने का दिया संदेश
संत समाज के लोग सादगी के साथ फूलों की होली को खेलकर पानी बचाने का भी संदेश दे रहे थे.

वाराणसी: 24 मार्च को रंगभरी एकादशी के दिन से बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में होली के पर्व की शुरुआत हो गई है. इसके साथ ही पूरे बनारस शहर पर होली की खुमरी चढ़ गई है. काशी में हर दिन होली का अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. गुरुवार को मणिकर्णिका घाट पर जहां एक तरफ लोगों ने जमकर चिता भस्म के साथ होली खेली तो वही संत समाज के लोगों ने भी फूलों के साथ होली खेली. काशी के पातालपुरी मठ में संत समाज के लोगों ने भजन-संगीत के साथ होली का आनंद लिया.

संतो ने खेली फूलों से होली

गुलाब की पंखुड़ियों से हुई होली
वाराणसी के पातालपुरी मठ में महंत बालक दास और उनके शिष्यों के साथ संत समाज के लोगों ने भजन-संगीत के साथ गुलाब की पंखुड़ियों और अबीर गुलाल के साथ जमकर होली खेली. मंदिर परिसर में इकट्ठा होकर संतों ने 'खेले मसाने में होरी दिगम्बर' समेत होली के अन्य परंपरागत गीतों और भजन का आनंद उठाया. इस दौरान वहां मौजूद लोगों पर गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश होती रही.

संतों ने पानी बचाने का दिया संदेश
संत समाज के लोग सादगी के साथ फूलों की होली को खेलकर पानी बचाने का भी संदेश दे रहे थे.

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