वाराणसी: उत्तर भारत में एचआईवी के साथ जी रहे कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में क्रिप्टोकोकल एंटीजन की उपस्थिति अधिक है. एक शोध में पता चला है कि यहां देश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा क्रिप्टोकोकल एंटीजन का प्रसार दर बहुत ऊंचा है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने HIV के साथ जी रहे लोगों में क्रिप्टोकोकल मेनिनजाइटिस प्रबंधन को लेकर एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्ययन किया है. वहीं वैज्ञानिकों ने HIV संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर में कमी लाने का एक प्रभावी तरीका भी सुझाया है.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हुआ शोध
काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान स्थित मेडिसिन विभाग की प्रो. जया चक्रवर्ती, प्रो. श्याम सुंदर, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रो. रागिनी तिलक, डॉ. मुनेश कुमार गुप्ता और उनके रेज़ीडेंट्स ने मिलकर यह शोध किया है. इस शोध में पाया गया है कि गंभीर रूप से कमजोर प्रतिरक्षण वाले एचआईवी के साथ जी रहे लोगों की क्रिप्टोकोकल एंटीजन जांच, लक्षण दिखने से पहले ही व उचित थैरेपी शुरू कर मृत्यु दर को कम किया जा सकता है. अध्ययन के नतीजे लिपिनकोट विलियम्स व विल्किंस के प्रतिष्ठित एड्स जनरल में प्रकाशित हुए हैं. इसे ऑनलाइन https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/37650766/ पर पढ़ा जा सकता है.
बीएचयू में 500 रुपये में होती है स्क्रीनिंग
मेडिसिन विभाग की प्रो. जया चक्रवर्ती ने बताया कि यह शोध ऐसे महत्वपूर्ण समय पर आया है. जब हम स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं को फंगल संक्रमण के बारे में प्रोत्साहित करने के लिए फंगल संक्रमण जागरूकता सप्ताह मना रहे हैं. उन्होंने कहा ऐसे व्यक्तियों की स्क्रीनिंग क्षेत्र के एआरटी सेंटर द्वारा की जानी चाहिए. यह जांच बीएचयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 500 रुपये प्रति परीक्षण के दर से की जाती है. हम उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण समिति से परीक्षण किट्स निशुल्क प्रदान करने का अनुरोध करना चाहेंगे, जिससे एआरटी सेंटर पर ऐसे सभी लोगों की स्क्रीनिंग की जा सके.
क्रिप्टोकोकल एंटीजन का प्रसार दर बहुत ऊंचा
प्रो. जया चक्रवर्ती ने इस शोध को एचआईवी साइंस पर ब्रिस्बेन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय एड्स सोसाइटी के 12वें सम्मेलन में भी प्रस्तुत किया था. यह सम्मेलन एड्स के प्रति जागरूकता तथा बचाव के लिए कार्य कर रहे संगठनों का सबसे प्रमुख आयोजन था. प्रो. जया ने बताया कि इस अध्ययन में पाया गया कि उत्तर भारत में एचआईवी के साथ जी रहे कमजोर प्रतिरक्षण वाले लोगों में क्रिप्टोकोकल एंटीजन की उपस्थिति अधिक है. यहां देश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा क्रिप्टोकोक्कल एंटीजन का प्रसार दर बहुत ऊंचा (15%) है.
क्रिप्टोकोकल मेनिनजाइटिस मृत्यु का कारण बनता है
उन्होंने यह भी बताया कि क्रिप्टोकोकल मेनिनजाइटिस केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) से जुड़ा संक्रमण है, जो कवक (फंगल संक्रमण) के कारण होता है तथा एचआईवी के साथ जी रहे लोगों में मृत्यु का प्रमुख कारण है. इसका इलाज लंबा चलता है और इलाज के बाद भी मृत्यु दर अधिक होती है. वैज्ञानिकों ने HIV संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर में कमी लाने का एक प्रभावी तरीका भी सुझाया है. इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि ऐसे व्यक्तियों की स्क्रीनिंग क्षेत्र के एआरटी सेंटर द्वारा की जानी चाहिए. साथ ही बीएचयू को परीक्षण किट नि:शुल्क देने की मांग की है.
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