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वाराणसी में गंगा घाटों पर होने वाली आरती के लिए कराना होगा रजिस्ट्रेशन

वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर शुरू हुई विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती के बाद अलग-अलग घाटों पर होने वाली गंगा आरती को लेकर डीएम ने कड़ा निर्देश दिया है. डीएम ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि कोई भी गंगा आरती जो नगर निगम की सीमा में घाटों पर की जा रही है, वह बिना अनुमति के आयोजित नहीं हो सकेगी. इसके लिए अब रजिस्ट्रेशन कराना होगा.

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Published : Feb 19, 2021, 10:59 AM IST

Updated : Feb 19, 2021, 12:44 PM IST

गंगा आरती
गंगा आरती

वाराणसीः घाटों पर होने वाली नियमित गंगा आरती को लेकर अब प्रशासन कड़ा रुख अपनाने जा रहा है. दशाश्वमेध घाट पर शुरू हुई गंगा आरती के बाद अलग-अलग घाटों पर होने वाली गंगा आरती के दृष्टिगत जिलाधिकारी ने स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया है कि कोई भी गंगा आरती जो नगर निगम की सीमा में घाटों पर की जा रही है, वह बिना अनुमति के आयोजित नहीं हो सकेगी. इसके लिए आरती करवाने वाले व्यक्ति या संस्था को 1 साल के लिए रजिस्ट्रेशन करने के साथ अनुमति जारी की जाएगी. जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया है कि गंगा आरती के नाम पर घाटों का अतिक्रमण किसी हाल में बर्दाश्त नहीं होगा.

क्योंकि घाट है निगम की संपत्ति
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा है कि वाराणसी में गंगा किनारे के सार्वजनिक घाट स्थायी रूप से सार्वजनिक सम्पत्ति है और इसका स्वामित्व राज्य सरकार का है. कुछ वर्ष पूर्व ये घाट संबंधित ग्राम समाज की सम्पत्ति रही होगी, परन्तु वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में स्वामित्व होने की वजह से इसका प्रबन्धन नगर निगम के पास है. इससे स्पष्ट है कि वर्तमान में इन घाटों का स्वामित्व राज्य सरकार का है और इसका प्रबन्धन नगर निगम के पास है.

यह भी पढ़ेंः- गंगा आरती को अद्भुत बनाने वाले कौन हैं गंगा अर्चक, जानें

एक वर्ष के लिए होगा आरती स्थल का आवंटन
आरती के संबंध में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने नगर आयुक्त को पत्र लिखा है और कहा है कि कभी-कभी यह देखने में आता है कि कुछ लोग इन घाटों पर आरती को लेकर विवाद करते हैं. कुछ लोग नई आरती प्रारम्भ करते हैं और कुछ लोग उनका विरोध शुरू करते हैं. इस बारे में नगर निगम को बिलकुल स्पष्ट व्यवस्था करनी चाहिए कि जितनी भी आरतियां घाटों पर होती हैं उनका रजिस्ट्रेशन नगर निगम के द्वारा किया जाए. उन्हें स्थान का आवंटन भी नगर निगम के द्वारा एक-एक वर्ष के लिए किया जाना चाहिए और इसका नवीनीकरण प्रत्येक वर्ष किया जाना चाहिए. इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किसी भी घाट पर किसी भी निजी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा भविष्य में कोई भी आरती बिना नगर निगम की अनुमति के न की जाए.

यह भी पढ़ेंः- यूपी में बनेंगे 1038 नए गंगा आरती स्थल, विकसित होंगे धार्मिक स्थल

पिछली आरतियों का बनेगा रिकॉर्ड
डीएम ने यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि यह भी चेक किया जाए कि एक ही संस्था या व्यक्तियों का समूह एक से अधिक घाटों पर आरती न करे. वर्तमान में जितनी आरतियां गंगा नदी के घाटों पर 17 फरवरी की सायंकाल तक हुईं थी, उनका रिकार्ड बनवाया जाये और आगामी एक माह में उनका रजिस्ट्रेशन कराया जाए. रजिस्ट्रेशन के लिए एक प्रपत्र भी नगर निगम की तरफ से डिजाईन करके जारी किया जाए. 31 मार्च तक यह कार्य पूर्ण किया जाए. इसके लिए सभी नगर निगम अन्तर्गत घाटों हेतु एक नोडल अधिकारी भी नामित करें.

31 मार्च तक हो रजिस्ट्रेशन नहीं तो बंद होगी आरतियां
प्रत्येक वित्तीय वर्ष हेतु जो भी संस्था/व्यक्ति घाटों पर आरती किये जाने हेतु आवेदन करें अथवा नवीनीकरण कराएं. उनकी एलआईयू जांच तथा विभिन्न आवश्यक जांच पूरी कराते हुए उनके नवीनीकरण पर निर्णय लिया जाए. 31 मार्च के उपरान्त केवल वे ही व्यक्ति/संस्था घाटों पर आरती कर सकेंगे जिनका रजिस्ट्रेशन नगर निगम के द्वारा किया गया होगा. रजिस्ट्रेशन करते समय घाट पर आरती हेतु प्रयोग किया जाने वाला स्थान, आरती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या आदि का उल्लेख भी रजिस्ट्रेशन फार्म में किया जाए, ताकि कोई भी व्यक्ति/संस्था आरती करने के नाम पर घाटों पर अतिक्रमण न करे. किसी भी दशा में घाटों का स्वामित्व बाधित करके उनके सार्वजनिक प्रयोग में बाधा डालने का कार्य न कर सके.

वाराणसीः घाटों पर होने वाली नियमित गंगा आरती को लेकर अब प्रशासन कड़ा रुख अपनाने जा रहा है. दशाश्वमेध घाट पर शुरू हुई गंगा आरती के बाद अलग-अलग घाटों पर होने वाली गंगा आरती के दृष्टिगत जिलाधिकारी ने स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया है कि कोई भी गंगा आरती जो नगर निगम की सीमा में घाटों पर की जा रही है, वह बिना अनुमति के आयोजित नहीं हो सकेगी. इसके लिए आरती करवाने वाले व्यक्ति या संस्था को 1 साल के लिए रजिस्ट्रेशन करने के साथ अनुमति जारी की जाएगी. जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया है कि गंगा आरती के नाम पर घाटों का अतिक्रमण किसी हाल में बर्दाश्त नहीं होगा.

क्योंकि घाट है निगम की संपत्ति
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा है कि वाराणसी में गंगा किनारे के सार्वजनिक घाट स्थायी रूप से सार्वजनिक सम्पत्ति है और इसका स्वामित्व राज्य सरकार का है. कुछ वर्ष पूर्व ये घाट संबंधित ग्राम समाज की सम्पत्ति रही होगी, परन्तु वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में स्वामित्व होने की वजह से इसका प्रबन्धन नगर निगम के पास है. इससे स्पष्ट है कि वर्तमान में इन घाटों का स्वामित्व राज्य सरकार का है और इसका प्रबन्धन नगर निगम के पास है.

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एक वर्ष के लिए होगा आरती स्थल का आवंटन
आरती के संबंध में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने नगर आयुक्त को पत्र लिखा है और कहा है कि कभी-कभी यह देखने में आता है कि कुछ लोग इन घाटों पर आरती को लेकर विवाद करते हैं. कुछ लोग नई आरती प्रारम्भ करते हैं और कुछ लोग उनका विरोध शुरू करते हैं. इस बारे में नगर निगम को बिलकुल स्पष्ट व्यवस्था करनी चाहिए कि जितनी भी आरतियां घाटों पर होती हैं उनका रजिस्ट्रेशन नगर निगम के द्वारा किया जाए. उन्हें स्थान का आवंटन भी नगर निगम के द्वारा एक-एक वर्ष के लिए किया जाना चाहिए और इसका नवीनीकरण प्रत्येक वर्ष किया जाना चाहिए. इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किसी भी घाट पर किसी भी निजी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा भविष्य में कोई भी आरती बिना नगर निगम की अनुमति के न की जाए.

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पिछली आरतियों का बनेगा रिकॉर्ड
डीएम ने यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि यह भी चेक किया जाए कि एक ही संस्था या व्यक्तियों का समूह एक से अधिक घाटों पर आरती न करे. वर्तमान में जितनी आरतियां गंगा नदी के घाटों पर 17 फरवरी की सायंकाल तक हुईं थी, उनका रिकार्ड बनवाया जाये और आगामी एक माह में उनका रजिस्ट्रेशन कराया जाए. रजिस्ट्रेशन के लिए एक प्रपत्र भी नगर निगम की तरफ से डिजाईन करके जारी किया जाए. 31 मार्च तक यह कार्य पूर्ण किया जाए. इसके लिए सभी नगर निगम अन्तर्गत घाटों हेतु एक नोडल अधिकारी भी नामित करें.

31 मार्च तक हो रजिस्ट्रेशन नहीं तो बंद होगी आरतियां
प्रत्येक वित्तीय वर्ष हेतु जो भी संस्था/व्यक्ति घाटों पर आरती किये जाने हेतु आवेदन करें अथवा नवीनीकरण कराएं. उनकी एलआईयू जांच तथा विभिन्न आवश्यक जांच पूरी कराते हुए उनके नवीनीकरण पर निर्णय लिया जाए. 31 मार्च के उपरान्त केवल वे ही व्यक्ति/संस्था घाटों पर आरती कर सकेंगे जिनका रजिस्ट्रेशन नगर निगम के द्वारा किया गया होगा. रजिस्ट्रेशन करते समय घाट पर आरती हेतु प्रयोग किया जाने वाला स्थान, आरती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या आदि का उल्लेख भी रजिस्ट्रेशन फार्म में किया जाए, ताकि कोई भी व्यक्ति/संस्था आरती करने के नाम पर घाटों पर अतिक्रमण न करे. किसी भी दशा में घाटों का स्वामित्व बाधित करके उनके सार्वजनिक प्रयोग में बाधा डालने का कार्य न कर सके.

Last Updated : Feb 19, 2021, 12:44 PM IST
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